तैय्यारी नववर्षागमन की.
आन पड़ी है आवश्यकता
अब तो नव बीज वपन की
बदले आचारण अपना, छोड़ दें
आदत स्वस्तवन की
करें लहूलुहान आस
आज हर मलिन मन की.
बन जाएँ आंधी इस बार
दरिंदगी दमन की.
न रहे ये शब्द अब शब्द कोष में.
यही चाहत है आहत मन की
आओ खाएं सौगंध, करें तैय्यारी.
तैय्यारी नववर्षागमन की
आओ खाएं सौगंध, करें तैय्यारी.
तैय्यारी नववर्षागमन की.
करें जतन बदल दें दिशा
समाज के आचरण की
फले फूले समाज
न रहे जगह व्याभिचरण की.
दें सम्मान, करें रक्षा,
प्रकृति, धरती, माँ, बहन की
न मैं, न तू, बनें हम.
हो शुरुवात यही संचलन की
उतार दें हर देनदारी
पुराने हर दारुण क्षण की
आओ खाएं सौगंध, करें तैय्यारी
तैय्यारी नववर्षागमन की.