शनिवार, 30 जनवरी 2010

दूजा ब्याह

दूजा ब्याह


शब्द का कलम से जब ब्याह हुआ था

मैं साक्षी थी और समाज साथ खड़ा था

हुए सातों वचन थे पूरे और सेंधुर दान हुआ था

आँखों ही आँखों में प्यार का इज़हार किया था,

कलम ने फिर शब्द के माथे पे प्यार किया था

सुहाग रात को सुखद स्पर्श का अहसास भी दिया था,

खुश हो गए दोनों खुश हाल हो गए

कलम फिसल कर, कभी शब्दों की बाहों में होता था

शब्द पिघल कर, कभी कलम की आग़ोश में होता

तकनीक की लगी नज़र हाय! ये क्या हो गया,

दूरियां बढ़ने लगीं, कोई गुनाह हो गया

हुआ कलम को संदेह, रिश्ता स्याह हो गया,

पीछा किया तो दर्द का दीदार हो गया

नजदीक जाके देखा तो बेज़ार हो गया,

एकांत था और खट-खट की आती थीं आवाजें

कोई प्यार से शब्द पे फिराता था उंगलियाँ,

दिल टूट गया उसका बैरागी हो गया

शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया.
आगे की कहानी अगली पोस्ट में अवश्य पढियेगा





रविवार, 24 जनवरी 2010

शहीद का वतन


शहीद का वतन


जहाँ की खुशबू,हवा और जुबाँ से हम महकते हैं
जिसकी हिफाज़त को हम धरम ईमान कहते हैं
सीने में जहाँ शहीद होने के अरमान रहते हैं
जिसके नाम पे हम, आज भी नाज़ करते हैं
उसी को शहीद का वतन कहते हैं !

पिता की आँखों मे जहाँ आंसू न बसते हैं
माँ की दवाई को पैसे न बचते हैं
पेंन्शन को दौड़ दौड़, मेरी बेवा के पांव न थकते हैं
खाने को कभी जहाँ पकवान न पकते हैं
हाँ! उसी को मेरी जाँ शहीद का वतन कहते हैं

ताबूत से जहाँ मेरे पैसे छनकते हैं
बेवा की पेंन्शन से प्याले छलकते हैं
न करो घर से बेघर, बीबी बच्चे कगरते हैं
घर वाले जहाँ जी जी के मेरे रोज मरते हैं
उसी  को शहीद का वतन कहते हैं ??
(यह फोटोग्राफ मलेशिया की राजधानी कुआला-लूम-पुर  के शहीद स्मारक का है)






रविवार, 17 जनवरी 2010

झूठ के पांव


झूठ के पांव



झूठ के पांव निकलते देखा है

सच पे सवार होते देखा है

कान्हा की आड़ में,

लीला का नाम ले,

कदाचार देखा है

पवनसुतों के सीने में,

व्याभिचार देखा है

मर्यादा पुरुशोत्तमों को करते,

भ्रष्टाचार देखा है

अपनी आयु लीलने को,

जानकी को लाचार देखा है

दूर क्यों जाऊं कहीं,

जब पतियों को,

करते दुश्शासन सा,

दुराचार देखा है

किस किस की गवाही दूँ,

कौन मानेगा

जब मैंने

झूठ के पांव निकलते देखा है

सच पे सवार होते देखा है

(फोटोग्राफ मेरी बेटी शाश्वती दीक्षित द्वारा हमारे व्यक्तिगत एल्बम से)














रविवार, 10 जनवरी 2010

प्रताड़ना

प्रताड़ना




कितने जनम और लूँ मैं

कब तक मौन सहूँ मैं

मैं वही, रंगमंच वही,

वाद, विवाद, संवाद, प्रतिवाद, अपवाद वही,

वेदना,संवेदना, भेदना, कुरेदना, वही,

तहरीर, तकरीर, तहकीर, तदवीर वही

पीर, तकदीर, तस्वीर वही

बदला है कुछ, तो बस इक किरदार

पिछला जन्म

पति और प्रताड़ना

वर्तमान

पिता और प्रताड़ना

क्या अग.....ला...... जनम ?

पुत्र औ .........?

पौत्र औ .............?


प्रपौत्र औ .......प्रताड़ना?



तहरीर - दस्तावेज़,   तहकीर- अपमान, तिरस्कार,   तदवीर - प्रयत्न,  तकरीर- कथन

रविवार, 3 जनवरी 2010

साथ तुम्हारा

साथ तुम्हारा




तुम प्रेम गीत मैं एक कविता


तुम निर्बाध संगीत मैं सुर सरिता


तुम निर्भीक व्योम मैं ध्रुव तारा


तुम चंचल चपला मैं अम्बर सारा


तुम पुण्य प्रसून मैं वरमाला


तुम गीत विरह का मैं पांव का छाला


तुम मदिरा मैं मय का प्याला


तुम जीवन संध्या मैं सानिध्य तुम्हारा


तुम अंतिम साँसें मैं तुलसी दल बेचारा


तुम सात जनम मैं साथ तुम्हारा
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