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रविवार, 23 दिसंबर 2012

सूर्य का संताप

सूर्य का संताप

मैंने बचपन से आज तक
हर रोज़
सूरज को सुबह औ शाम
गंगा नहाते देखा है
जैसे मानो उसने
भीष्म प्रतिज्ञा कर रखी हो
गंगा में डुबकी लगाये बिना
गंगा के चरण स्पर्श किये बिना
न तो मैं धरती में प्रवेश करूँगा
न ही धरती से बाहर आऊंगा.

इधर कुछ दिनों से देखती हूँ
सूरज कुछ अनमना सा है
हिम्मत जुटा पूंछ ही बैठी मैं
किन सोंचों में गुम रहते हो
बड़ा दयनीय सा चेहरा बना कर
बोला मैं सोचता हूँ
भगवान से प्रार्थना करूं
कि इस धरती पर पानी बरसे
रात दिन पानी बरसे
और कुछ नहीं तो केवल
सुबह शाम तो बरसे.

मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गयी
आखिरकार इसे भी 
इन्सान का दुख समझ आ रहा है
फिर सोचा शायद स्वार्थी हो गया है
खुद इतनी लम्बी पारी
खेलते-खेलते थक गया है
कुछ दिन विश्राम करना चाहता है
मेरे चेहरे की कुटिल मुस्कान
देख कर वो बोला
तुम जो समझ रहे हो वो बात नहीं है
दरअसल मैं
इस गन्दी मैली कुचैली गंगा में
और स्नान नहीं कर सकता.

अवाक् रह गयी थी मैं
पूछा
अपनी माँ को गन्दा मैला कुचैला कहते
जबान न कट गयी तेरी.
जवाब मिला
अपनी माँ को इस हाल में पहुँचाने वाले
हर दिन उसका चीर हरण करने वाले
हर दिन उसकी मर्यादा को
ठेस पहुँचाने वाले
तुम इंसानों को ये सब करते
कभी हाँथ पाँव कटे क्या?

फिर मैं ही क्यों?
इसी से चाहता हूँ कि
सुबह शाम बरसात हो
तो कम से कम 
मैं नहाने से बच जाऊँगा
सीधा दोपहर में चमकूंगा
अपना सा मुंह ले कर
कोसती रही मैं
अपने आपके इन्सान को.

रविवार, 18 सितंबर 2011

बाज़ार


बाज़ार 

एक तरफ शेयर बाज़ार की अस्थिरता
रोज गिरते चढ़ते भाव 
आसमान छूते 
सोने चांदी के दाम.
बाजार से दुखी 
हार्ट अटैक और आत्मा हत्या से मरते लोग 
दुसरी तरफ मेरी जमा पूंजी 
बाज़ार के उतार चढ़ाव से बेपरवाह. 
सोने चांदी के आभूषण
लॉकर की चहारदीवारी में
इत्मिनान से हैं 
ई टी एफ गोल्ड
सुस्ता रहा है मस्ता रहा है.
मेरा इकलौता शेयर..... 
कब लिया था....याद ही नहीं 
शायद बीस पच्चीस बरस पहले.  
याद है तो बस इतना
कि लोगों ने 
उसके बाज़ार भाव को टटोला  
उसके तिमाही, छमाही और सालाना 
नतीजों की पड़ताल की  
उसमे मेरे भविष्य की संभावनाओं को तलाशा  
और नकार दिया.  
पर मैं दृढ थी 
नहीं तलाशा मैंने उसमे भविष्य.
वो भी आम शेयर की तरह घटता बढ़ता है. 
पर वो जब भी घटा 
घटा है मेरे अंदर 
क्रोध, इर्ष्या, अशांति 
और समाज से अलग रहने की प्रवृति.
जब भी बढ़ा वो 
बढ़ा है मेरे अंदर, मेरे लिए 
प्रेम, आत्म सम्मान, आत्म विश्वास. 
उसके और दूसरों के लिए
प्रेम, सम्मान व निष्ठा.   
आज लोग
पूछते हैं मुझ से 
पिछले जन्म में 
बहुत गहरी गंगा में जौ बोये थे क्या?
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