गतिशास्त्र
"जीवन चलने का नाम"
"चलते रहो सुबहो शाम"
"जीवन गति है"
"गति ही जीवन है"
जाने किसने,
कैसे
और क्यों कह दिया ये ?
क्यों नहीं देख पाते वो
इसके पीछे की गणित
और मेहनत.
तभी बात बेबात कहते हैं
"फ़ाइल और कागज़ चलते ही नहीं"
नहीं जानते हैं वो
गति में सापेक्षता होती हैं.
वस्तु के भार और
उस पर लगे बल की दिशा में जाने की
फाइल पर जितना भारी बण्डल
उतनी ही उसकी गति
जाने क्या सोचता होगा
गति के नियम बनाने वाला,
अपने और अपने नियम के बारे में.
आश्चर्य होता है
जब गति के नियमों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ,
कोई आस्तित्वान हीन कागज़
किसी भारी बण्डल के प्रभाव में,
त्वरित गति से गंतव्य पर पहुँच
आस्तित्व में आ जाता है.
तब शायद गति के नियम बनाने वाला ही
आस्तित्वहीन हो जाता है.
रचना जी ... आफिस में फ़ाइल के ऊपर रुपयों का दव्वाब होने से वह तेज गति से चलता है ... .. आपने कविता के माध्यम से कई पहलुयों को छुआ
जवाब देंहटाएंन्यूटन मुस्कुरा रहे हैं रचना जी....
जवाब देंहटाएंउनके बरसों की मेहनत से बनाए नियम को आपने एक नया आयाम दे डाला...
:-)
बढ़िया है!!!
अनु
bahut badiya
जवाब देंहटाएंआश्चर्य होता है
जवाब देंहटाएंजब गति के नियमों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ,
कोई आस्तित्वान हीन कागज़
किसी भारी बण्डल के प्रभाव में,
त्वरित गति से गंतव्य पर पहुँच
आस्तित्व में आ जाता है ....
अब आश्चर्य नहीं शोक होता है :(
कुछ भार हो तभी गति भी होती है ...जितना अधिक भार उतनी ही त्वरितता .....वैसे भारी वस्तु या इंसान की गति धीमी ही रहती है ... :):) बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा
जवाब देंहटाएं"जीवन गति है" बहुत सुन्दर..बढ़िया
जवाब देंहटाएं"जीवन गति है" बहुत सुन्दर..बढ़िया
जवाब देंहटाएंचलाने कि लिये कितने तो धक्के लगाने पड़ते हैं।
जवाब देंहटाएंगति के नियमों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ,सटीक समायिक सार्थक प्रस्तुति,,,,,बहुत खूब,,,रचना जी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT P0ST फिर मिलने का
जीवन की गति में जब अवरुद्ध उत्पन्न होता है , तभी गति का बोध होता है . वर्ना तो जीवन चलता रहता है .
जवाब देंहटाएंसमयानुसार बदलती गति..... बदलाव निश्चय ही आवश्यक हैं.... बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंगतिशात्र के माध्यम से अपने विभिन्न आयामों
जवाब देंहटाएंको स्पष्ट किया है..
सुन्दर...
:-)
वाह ... बेहतरीन शब्दों का संगम
जवाब देंहटाएंअर्थ का दबाव ... फ़ाइल की गति को तेज कर देता है ...
जवाब देंहटाएंनए रंग में लिखी व्यंग रचना ...
jisme jitni pairon ki chapalta hogi gati utni hi gatimaan hogi. files me pair do tareeke se lagte hain (paisa aur approch) insaan k pair man aur tan ki shakti se gatimaan hote hain.
जवाब देंहटाएंbas yahi baat hai jo astitvheen bhi twarit gati se gatimaan ho jate hain.
गति भी सापेक्ष होती है...बहुत प्रभावशाली रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत तीक्ष्ण कटाक्ष...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंयही तो संकट है जितना ज्यादा द्रव्य(मान ),उतना ज्यादा जडत्व ,गति -हीनता ,डॉलर फैंक तमाशा देख .चल सरपट चल .अब कोई संकट नहीं है अस्तित्व -वाद का .
जवाब देंहटाएंजडत्व को हटाने के लिए बाहरी बल तो डालना पडेगा ही .तभी जडत्व हटेगा ,कुनबा आगे बढेगा ,.....
गति का नया नियम क़ाबिले तारीफ़ है...
जवाब देंहटाएंपुराने सारे नियम धराशायी हो गएः)
ek alag vishay lekar badi gahanata se ..bahut khoob likha hai ..!!
जवाब देंहटाएंek alag vishay lekar badi gahanata se ..bahut khoob likha hai ..!!
जवाब देंहटाएंek alag vishay lekar badi gahanata se ..bahut khoob likha hai ..!!
जवाब देंहटाएंइस देश की पूरी अर्थव्यवस्था ही ऐसी है ...
जवाब देंहटाएंसापेक्ष गति के लिए हल्के कागज़ का वजन भारी हो जाता है कभी !
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य है !
bahut khoob rachna ji....
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