दिल्ली का दिल
हमारे शहर में
कोई व्याकुल है
ब्याह रचाने को
तैयार हैं बाराती
बैंड बाजा घोड़ी गाड़ी.
पंडित करता है हर बार
एक तिथि की घोषणा
दुल्हन की तरफ से हर बार
आता है एक जवाब डाक्टर का
दुलहन को समय चाहिए.
दुलहन बीमार है
हर बार एक नई बीमारी
मलेरिया, डेंगू, अपच, लकवा, पीलिया
मुहसे और अब चेचक
पूरी देह पर बड़े बड़े गड्ढे धब्बे.
गर्द माटी से सनी देह
हाँ मेरे शहर का दिल
कनाट प्लेस बेताब है
पिछले चार सालों से
दुलहन बनने को.
हम सब उसे देखने को
इस बार फिर एक नई तिथि
मिली है उसको
तीस जून.