क्षणिकाएं
[1]
सीली हवा
अनवरत सिसकियों की आवाज़
अलमारी में रखी
किताबों के
जिल्द सिसक रहे थे
किताबों को माउस कुतर गए थे.
[2]
अपनी चिकनी देह पर
मेरे चिर परिचित हाथों का
कोमल स्पर्श पाने की जिद्द
वर्षों का अनशन
आखिर दम तोड़ ही दिया
कल मेरी कलम ने.
[3]
अंगूठे और तर्जनी में
आजकल ठनी है
अंगूठे का स्पर्श
न मिल पाने के कारण
वो अनमनी है
कभी घंटों का साथ
अब जन्मों की दूरी....
कम भी कैसे हो
मध्यस्थता करने वाला
कलम भी तो न रहा अब.