मन की बात
मन की बात जबसे मन की न रही,
इनकी उनकी जन जन की हो गई.
पूरे शहर में चर्चा ये पुरजोर है
बात भी अब बदचलन हो गई.
मुद्रा का उठना, उठ-उठ के गिरना,
समस्या देश के उत्प्लवन की हो गई,
जो मुह खोले उसकी हत्या, आत्महत्या,
बात इंसानियत के हनन की हो गयी.
अपराध जगत और उसके किस्से
सुन सुन के इच्छा वमन की हो गई
नसों में रक्त नहीं, दौड़ती चाटुकारिता
कहते हैं बात महिमामंडन की हो गई.
भ्रूण हत्या, शीलहरण फिर चरित्र हनन
कैसी पराकाष्ठा भ्रष्टाचरण की हो गई.
बिकता है माँ का दूध भी बाज़ारों में अब,
देखो नीलामी माँ के स्तन की हो गई.
इस तरह मुख म्लान हुआ देश समाज का
घड़ी मनन, चिंतन, स्तवन की हो गई.
मन की बात जब से मन की न रही,
इनकी उनकी जन जन की हो गई.
पूरे शहर में चर्चा ये पुरजोर है
मन की बात भी अब बदचलन हो गई.