कल, मैंने उन पर चल कर देखा
प्रेम पसारे, राहें तकते
उनको आज वहीँ पर देखा
मैंने कितनी धारें बदलीं,
हर पल अपनी राहें बदलीं
नाते-रिश्ते, दुनियादारी,
जाने कितनी बाहें बदली
पर, आस बिछाए, सांसें ओढ़े
उनको फिर भी जगते देखा
आओ लौट चलें उन पर फिर
उनमें मैंने सम्मोहन देखा
आज की इन नयी राहों पर
कहाँ नेह बरसते देखा
कभी भूल गए थे जिन राहों को
कल मैंने उन पर चल कर देखा