वर्षा
वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है.
वर्षा के इस मौसम में, तो पौधा-पौधा जीता है.
दादुर के इस मौसम में, क्यों मन की कोयल गाती है.
उर के कोने- कोने में, क्यों कटु संगीत सुनाती है.
झींगुर के इस मौसम में, मेरी उर वीणा क्यों बजती है.
उर वीणा के क्षत-विक्षत तारों को जोड़ा करती है
वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है.
वर्षा के इस मौसम में तो पौधा-पौधा जीता है.
माना वर्षा के बाद तो हर पत्ता-पत्ता रोता है,
अपने प्रियतम के जाने पर शोक मनाया करता है.
क्यों वर्षा के इस मौसम में मेरा उर मानव सोता है,
वर्षा की ठंडी बूंदों से मन आह़त होता रहता है.
माना वर्षा के बाद तो हर पत्ता-पत्ता रोता है,
जवाब देंहटाएंअपने प्रियतम के जाने पर शोक मनाया करता है.
विश्वास टूटता है , तो आत्म-विश्वास क्यों टूटने लगता है ............... ?
A very Happy Friendship Day to You !
उर में उलझन और बढ़ाती, यदि आती वर्षा इकलौती।
जवाब देंहटाएंभारतेंदु के छंद "टूट टाट घर टपकत खटियो टूट".. सच में विरह का भी वर्षा के साथ गहरा सम्बन्ध है!! बहुत ही सुन्दर कविता!!
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस बार तो वर्षा बहुत ही आँख मिचौली
कर रही है,रचना जी.
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंइंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
शानदार प्रस्तुति , सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंवर्षा की शीतल बूँदें और विरह... बहुत सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसादर.
वर्षा पर बहुत सुन्द दिल को छूने वाली प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंVery nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
वर्षा के इस मौसम में, कहीं गीला कहीं रूखा,
जवाब देंहटाएंवर्षा क्या खेल दिखाए, गिरता कहीं पर सूखा,,,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
सावन में युवा मन में अक्सर एक टीस सी उठा करती है .
जवाब देंहटाएंपुराने दिनों की याद दिला दी .
वर्षा के रिमझिम मौसम में,
जवाब देंहटाएंदिल कुछ बातें करता है
इस भाषा को इस दुनियां में,
कवि का ह्रदय समझता है !
शुभकामनायें आपको !
बारिश की रिमझिम बूँदें
जवाब देंहटाएंशायद नभ के आँसू हैं
कविता आपकी इस विरह को
गा-गाकर के कहता है|
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ!!
वर्षा को अनेक रंगों में बाँध लिया आपने ... बहुत लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं:-)
कई बार वर्षा उदास भी कर जाती है...
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता
ब्रिज के बिरही लोग बेचारे ,बिन गोपाल ठगे से सारे ....विरह में प्रकृति भी क्रूर हो जाति है ,टेसू के फूल भी जलाते हैं वर्षा की बुंदियाँ भी ..बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
रविवार, 5 अगस्त 2012
आपके श्वसन सम्बन्धी स्वास्थ्य का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक (चिकित्सा व्यवस्था )में
कभी कभी वर्षा मन को भीगा जाती है ..
जवाब देंहटाएंसुंदर भावमयी रचना !
Kya gazab kee rachana hai!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन तथ्यात्मक सृजन ,आमों -खास से रूबरू होती हुयी ......बधाईयाँ जी ......
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबूंदों सी अभिव्यक्ति ... पत्तों पर आंसू जैसे
जवाब देंहटाएंविरह में हर मौसम छलता है।
जवाब देंहटाएंभावों को बहुत खूबसूरती से सँजोया है ....
जवाब देंहटाएंवर्षा के इस मौसम में,कहीं नमी कहीं रूखा,
जवाब देंहटाएंकुदरत के खेल निराले, कहीं बाढ़ कहीं सूखा,,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
वर्षा के मौसम हर कुछ हरा-बड़ा हो जाता है
जवाब देंहटाएंचाहे वह मन के दर्द ही क्यों न हों?
वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है. वर्षा के इस मौसम में, तो पौधा-पौधा जीता है.
जवाब देंहटाएं...जब भी यह वर्षा आती है,दर्द हरे क्यों हो जाते हैं.
इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.
दादुर के इस मौसम में,
जवाब देंहटाएंक्यों मन की कोयल गाती है.
उर के कोने- कोने में,
क्यों कटु संगीत सुनाती है.
झींगुर के इस मौसम में,
मेरी उर वीणा क्यों बजती है.
उर वीणा के क्षत-विक्षत तारों को जोड़ा करती है
..sach samay ke saath hi achha-bura lagta hai..
bahut sundar prastuti..
shrikrishna janmastmi ki haardik shubhkamnayen!
ज़िन्दगी के सारे जोड़ घटाने के बाद ..स्मृतियाँ ही शेष रह जाती हैं ...और उनसे जुड़े पल ख़ुशी या दुःख का सबब बनते हैं .....बारिश भी उन्ही में से एक हैं...मन खुश तो बारिश हंसती है ...और दुखी तो साथ बरसती है ...बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवर्षा के मौसम में तो उर घट भी भर जाता है चाहे किसीकी याद से ही सही ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र और भीगी सी प्रस्तुति ।
बरसात की तरह भीगी भीगी सी कविता
जवाब देंहटाएंप्रसंशनीय..। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । राही मासूम रजा की एक सुंदर कविता पढ़ने के लिए आपका मेरे पोस्ट पर आमंत्रण है ।
जवाब देंहटाएंuff.. ye mausam har koi likhta hai..khud rota hai sbko bhi rulata hai phir bhi antermann sukha sukha..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna ....RACHNA ma'am...
waah kya baat hai gazel me bhi hunar chamkane lage. badhayi ho.
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder gazal ehsaso se labrez.
सुंदर भाव. दादुर और झींगुर शब्दों के प्रयोग ने मन को छू लिया.
जवाब देंहटाएंvarsha me kuchh aesa hi hota hai kabhi kabhi
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti
badhai
rachana