The best thing
God has given us,
Is the vacation
Long long never ending
Ever ending,
Is the vacition
Late nights,late mornings
Every where,
Is the vacation
Meeting time
with grand parents,great friends,
Is the vacation
No books no hooks
Total enjoyment,
Is the vacation
To share the sorrow
The books to borrow,
Is the vacation
On May which starts
On June which ends,
Is the vacation
Today when school reopened
I realised the reason for
All freshness and happiness,
Is the vacation
चारों तरफ फैला दुःख अवसाद और क्षोभ. रिश्तों पर ढ़ीली होती पकड़. अतीत के धूमिल होते पल क्षिन. वर्तमान में उन्हें एक बार फिर जी लेने की प्रबल उत्कंठा. कभी शब्दों के माध्यम से होती रचना की अभिव्यक्ति. कभी रचना के माध्यम से अभिव्यक्त होते कुछ शब्द.
गुरुवार, 27 अगस्त 2009
सोमवार, 24 अगस्त 2009
उपहार
तुमको तो मालुम है सचमुच,
में था उस क्षण लाचार प्रिये।
तुम मेरे आगे से गुजरी,
इन आँखों ने दीदार किए।
ये रूप रंग,ये कंचन काया,
देख मेरे थे होंठ सिये।
तेरी जुल्फों के खुशबू थी,
या मेरे दिल में जले दिए।
तेरी आंखों की मदिरा से,
थे कितने प्याले रोज़ पिए।
कितने बरसों बाद हुए,
ये सपने सारे साकार मेरे।
तेरे दर पर खड़ा हुआ हूँ,
ये जीवन अपना उपहार लिए
में था उस क्षण लाचार प्रिये।
तुम मेरे आगे से गुजरी,
इन आँखों ने दीदार किए।
ये रूप रंग,ये कंचन काया,
देख मेरे थे होंठ सिये।
तेरी जुल्फों के खुशबू थी,
या मेरे दिल में जले दिए।
तेरी आंखों की मदिरा से,
थे कितने प्याले रोज़ पिए।
कितने बरसों बाद हुए,
ये सपने सारे साकार मेरे।
तेरे दर पर खड़ा हुआ हूँ,
ये जीवन अपना उपहार लिए
शुक्रवार, 21 अगस्त 2009
अनबुझे प्रश्न
तुम मुझे बहुत याद आते हो,
मेरी तनहाइओं में, सुनसान वीरानों में,
मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों होते हैं कुछ रिश्ते,
कांच से नाज़ुक, कुछ ढाल से मजबूत,
कुछ रौशनी में परछाई, कुछ कागज़ पर रोशनाई।
तुम मुझे बहुत याद आते हो, मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों नाज़ुक रिश्ता दरज़ता है।
क्यों मजबूत रिश्ता खड़ा रहता है।
क्यों परछाई रोशनी का नहीं छोडती साथ।
क्यों कागज़ पर लिखा रिश्ता नहीं होता आबाद।
तुम मुझे बहुत याद आते हो, मेरे अनबुझे से प्रश्न।
मेरी तनहाइओं में, सुनसान वीरानों में,
मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों होते हैं कुछ रिश्ते,
कांच से नाज़ुक, कुछ ढाल से मजबूत,
कुछ रौशनी में परछाई, कुछ कागज़ पर रोशनाई।
तुम मुझे बहुत याद आते हो, मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों नाज़ुक रिश्ता दरज़ता है।
क्यों मजबूत रिश्ता खड़ा रहता है।
क्यों परछाई रोशनी का नहीं छोडती साथ।
क्यों कागज़ पर लिखा रिश्ता नहीं होता आबाद।
तुम मुझे बहुत याद आते हो, मेरे अनबुझे से प्रश्न।
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