मौत से बातें
आज फिर मेरी मौत हो गयी.
अपनों से बिछुड़ने का ग़म क्या कम था
जो सारी दुनिया खफा हो गयी.
आज फिर मेरी मौत हो गयी
कब से पड़ा था मेरा जनाज़ा,
कोई कांधा देने को न था.
एक बची थी में अकेली
आज फिर मेरी मौत हो गयी.
अपना जनाज़ा अपने
कांधों पर ले के जो निकली
एक अजनबी की बददुआ लग गयी.
आज फिर मेरी मौत हो गयी
यूँ तिल तिल जीना,
यूँ तिल तिल मरना.
आज मौत इतनी बेखौफ हो गयी.
आज फिर मेरी मौत हो गयी.
यूँ चिंदा चिंदा जिंदगी
यूँ लम्हा लम्हा मौत
आज मौत जिंदगी से बड़ी हो गयी
आज मेरी आखिरी मौत हो गयी.
क्या सुबह सुबह करेला खिला रही हैं ...
जवाब देंहटाएं:(
मंगल कामनाएं !
जीवन का अन्तिम सत्य है यह, देर सबेर इसके बारे में सहज तो होना ही होगा।
जवाब देंहटाएंyatharth jeevan ka ...chalte hii jana hai ..ladte hii jana hai ...
जवाब देंहटाएंgahan abhivyakti ...!!
जीवन का यह अंतिम सत्य जब हर दिन दिखने लगे और इस अंतिम सत्य की यातना हर दिन टीसने लगे तभी ऐसी कविता जन्मती है रचना जी!!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत सृजन, बधाई.
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंमौत से मुलाकात तो जरुरी है...
भावों की सहज अभिव्यक्ति...
न बात कर ,अभी मौत से बात की
जवाब देंहटाएंन बात कर ,अभी आखरी मुलाकात की .....
खुश रहो !
शुभकामनायें!
सब शुभ हो... कभी कभी ऐसे नकारात्मक भाव आँखों के आगे घूमते हैं
जवाब देंहटाएंभावों की सहज अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंग़म न कर , जिंदगी पड़ी है अभी .
जवाब देंहटाएंकभी कभी ऐसे भाव मन को बेचें कर देते हैं .. कड़वी सच्चाई जीने नहीं देती ...
जवाब देंहटाएंपर सत्य सत्य रहता है ...
यह भी जीवन का सत्य एक है...कई मौत मरते हुए भी जिन्दा रहना
जवाब देंहटाएंसार्थक कविता
लम्हा लम्हा मौत ....
जवाब देंहटाएंआज मौत जिंदगी से बड़ी हो गयी
आज मेरी आखिरी मौत हो गयी.
...................................... ?
कड़वे-कड़वे कठोर कटु अनुभूति से गुजरी हैं ?
जीवन का कटु सत्य...बहुत मर्मस्पर्शी रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता |सुनहरी कलम पर हमारा उत्साहवर्धन करने के लिए आपका विशेष आभार |
जवाब देंहटाएंजो मौत से साक्षात्कार कर लेता है, वह अंतिम सत्य से साक्षात्कार करता है।
जवाब देंहटाएंकल 24/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
यथार्थपरक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजीवन का यही अन्तिम सत्य है...
जवाब देंहटाएंओह! मंगलकामनाएँ तो हम रख ही दें यहाँ...
जवाब देंहटाएंGreat sharing..
जवाब देंहटाएंजीवन में अक्सर ऐसे क्षण आते हैं....जब ऐसा प्रतीत होता है ....लेकिन मांगने से जो मौत मिल जाती कौन जीता इस ज़माने में .....ऐसे ही एक क्षण का यतार्थ चित्रण ...
जवाब देंहटाएंज़िंदगी के सफर में बहुत बार अलग अलग किस्म की मौत से सामना होता है ..... ऐसी ही किसी स्थिति को कहती गंभीर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचा ...
जवाब देंहटाएंजीवन का भरोसा नहीं
किन्तु मृत्यु अटल है...
कोई साथ दे ना दे,
यह साथ निभाएगी...
अंतिम साँस में भी
हमारे साथ जायेगी...
मन को छूते भाव .......
जवाब देंहटाएंपोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब
http://madan-saxena.blogspot.in/
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"आज मौत जिंदगी से बड़ी हो गयी"
जवाब देंहटाएंबेशक होगी, लेकिन आपकी कलम की धार के आगे वो भी नतमस्तक हो जाएगी.
गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआज मौत जिंदगी से बड़ी हो गयी आज मेरी आखिरी मौत हो गयी..........नहीं
जवाब देंहटाएंरचना जी ! जिन्दगी का सम्बन्ध सच्चाई से है ! सच्चाई से रचना धर्मिता जुडी हुई है ! बेहद मार्मिक !
सत्यम् शिवम् सुंदरम् ..............
जवाब देंहटाएंओह! मौत से भी ह्रदय को छूती बातें हो सकती है..
जवाब देंहटाएंoho maut se bhi mulakaat ho gayi....kyu, kab kahan ?
जवाब देंहटाएंabhi na jaao rooth kar ....ke dil abhi bhara nahi....
कविता का मर्म ...मार्मिक
जवाब देंहटाएंआज एक बार फिर से मौत से
मुलाकात हो गई
हुए दो चार हम तो ,
वो देख मेरी हिम्मत
वो निढ़ाल हो गई ....अंजु (अनु)
जीवन के अंतिम सत्य से रूबरू कराती रचना।
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