उड़ान
मिलता है जब भी
कोई संदेश सहसा
सुखद या दुखद
जाग उठती है उत्कंठा
वहाँ सम्मिलित होने की
सबसे मिलने की
सुख दुःख साझा करने की
तैयार होती हूँ अकेले ही
जानती ये भी हूँ
सब कुछ बदल गया होगा
शहर, सड़कें, लोग
आरक्षण, ई आरक्षण,
तत्काल आरक्षण,
दलालों के बीच भटकती,
पिसती लौट आती हूँ
खोलती हूँ विन्डोज़
हो जाती हूँ सवार माउस पर
जकड़ती हूँ उँगलियों से कर्सर को
खोलती हूँ गूगल मैप्स
और फिर ...
मेरा गंतव्य शहर,
मुहल्ला, गली मकान...
दस्तक देती हूँ कर्सर से
खुल जाती हैं मन की
किवडियां, किवडियां,
गले मिलती हूँ सबसे
गले मिलती हूँ सबसे
चाची, मौसी, मामी, भाभी, भईया
हँसती हूँ, मुस्कुराती हूँ,
खिलखिलाती हूँ
इस बीच...
आँखों की कोरों में दबे आँसू
टपकते हैं टप्प टप्प ...
कोई भांप न ले
मेरे मन की व्यथा
बंद करती हूँ विन्डोज़,
खोलती हूँ खिड़की
ओढ़ती हूँ चेहरे पर शालीनता
और बस ...
और बस ...