श्वेत- श्याम
आज जिसे देखो, दीवाना है
गोरे रंग का,
लड़के, लड़कियां, उनके माँ, बाप
और शायद तुम भी...
पर मैं फिर भी
अपनी रंगत निखारने को
कोई लेप नहीं लगाती
अपने चेहरे पर अपनी देह पर
जानना नहीं चाहोगे क्यों ?
मेरी जिंदगी में जब से तुम ने दस्तक सी दी है
अपने नाम के अनुरूप
सूरज सा चमकाया है तुमने
मेरी जिंदगी, मेरा मन,
मेरा घर और ....
मेरा सब कुछ.
मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी किरण
मेरे गोरे तन का स्पर्श करे
इक चुम्बन दे और लौट जाए.
मैं नहीं चाहती मात्र तुम्हारा स्पर्श
और उसका अहसास
मैं चाहती हूँ सोख लूँ
तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
अपने अन्दर
और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ
तुम्हें सदा के लिए अपना बनाने को
मैं बस श्याम, श्याम और श्यामल होती जाउं
और तुम मेरे मेरे और बस मेरे.