पत्थर
मैं हूँ पत्थर
खुशबू, ख़ुशी और
सुर्ख रंग का सौदागर.
पीसता हूँ,
पिसता हूँ,
देखता हूँ,
सुनता हूँ,
समझता हूँ
मौन रहता हूँ
नहीं बजती
शहनाई
किसी घर
मेरे बिना
हर दुल्हन की
हथेलियों को
सजाता हूँ,
मैं ही,
हर सजनी को
उसके साजन से
मिलाता हूँ
मैं ही
मैं हूँ पत्थर
खुशबू, ख़ुशी और
सुर्ख रंग का सौदागर.
दूसरों की जिंदगी में
रंग भरता
अपनी जिंदगी में
गम भरता
नहीं आती
मेरे लिए
मेरे पास
कोई ख़ुशी.
नहीं आती
मेरे लिए
मेरे पास
सुर्ख़ हथेलियाँ ,
सुर्ख़ जोड़ा
और सजनी.
नहीं चढ़ता
मुझ पर
कोई सुर्ख़ रंग कभी.
मेरे पास रहती है
बस उसकी सुगंध
मैं वो पत्थर हूँ
रंग लाती है
हिना जिस पर
पिस जाने के बाद.
मैं हूँ पत्थर
खुशबू, ख़ुशी और
सुर्ख रंग का सौदागर.