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रविवार, 13 फ़रवरी 2011

प्रणय पर्व

प्रणय पर्व 







इतने बरसों बाद सही,  
इस बार सफल हो जाऊं... 
आँखों में बसने को तेरी,
मैं काजल हो जाऊं...

उर द्वार बसा लो जो मुझको, 
मैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल  हो जाऊं...

ऐसे मुझे लजाओ आज, 
मै जमुना जल हो जाऊं...
प्रतिबिम्ब निहारो तुम अपना मुझमें 
मैं खिल के, कमल हो जाऊं...
देहावरण,  मुझे बनालो,
मैं मलमल हो  जाऊं...
तेरा स्पर्श पाते ही,
मैं निर्मल हो जाऊं...

धोकर के  सारी शंकाएं, 
मैं आज  धवल हो जाऊं... 
प्रणय पर्व मनाओ ऐसे, 
कि मैं ताजमहल हो जाऊं... 
इतने बरसों बाद सही,
इस बार सफल हो जाऊं... 

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