प्रणय पर्व
इतने बरसों बाद सही,
इस बार सफल हो जाऊं...
आँखों में बसने को तेरी,
मैं काजल हो जाऊं...
उर द्वार बसा लो जो मुझको,
मैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल हो जाऊं...
ऐसे मुझे लजाओ आज,
मै जमुना जल हो जाऊं...
प्रतिबिम्ब निहारो तुम अपना मुझमें
मैं खिल के, कमल हो जाऊं...
देहावरण, मुझे बनालो,
मैं मलमल हो जाऊं...
तेरा स्पर्श पाते ही,
मैं निर्मल हो जाऊं...
धोकर के सारी शंकाएं,
मैं आज धवल हो जाऊं...
प्रणय पर्व मनाओ ऐसे,
कि मैं ताजमहल हो जाऊं...
इतने बरसों बाद सही,
इस बार सफल हो जाऊं...
उर द्वार बना लो जो मुझको,
जवाब देंहटाएंमैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल हो जाऊं...
ye hote hain ehsaas
भावपूर्ण, प्रेमपगी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्तियाँ अपनी ना मैं बतला पाऊँ, प्रणय गीत को खुद को मैं सुनाऊँ, सही सामयिक लगी प्रस्तुति यह, मेरी भी कोशिश है यही अलख जगाऊँ.
जवाब देंहटाएंइतने बरसों बाद सही,
जवाब देंहटाएंइस बार सफल हो जाऊं...
बहुत गहरे भाव हैं रचना जी..... सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति.....
बहुत सुंदर रचना लिखी है आपनें,बधाई.
जवाब देंहटाएंप्रतिबिम्ब निहारो तुम अपना मुझमें मैं खिल के, कमल हो जाऊं... बहुत भावपूर्ण कविता
जवाब देंहटाएंऐसे मुझे लजाओ आज,
जवाब देंहटाएंमै जमुना जल हो जाऊं
प्रतिबिम्ब निहारो तुम अपना मुझमें
मैं खिल के, कमल हो जाऊं
बहुत अच्छी काव्यकृति।
धोकर के सारी शंकाएं,
जवाब देंहटाएंमैं आज धवल हो जाऊं...
प्रणय पर्व मनाओ ऐसे,
कि मैं ताजमहल हो जाऊं...
बहुत बढ़िया कामना है ..प्रेम पूर्ण
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास
जवाब देंहटाएंसादर
आँखों में बसने को काजल होने, हाथों में आने को आंचल होने, और उर-द्वार होने को सांकल बनने की आकांक्षा , सचमुच मन को छू गयी. नाज़ुक भावनाओं से परिपूर्ण कविता बहुत अच्छी है. लेकिन प्रणय-पर्व के नाम पर किसी विदेशी दिवस विशेष की ज़रूरत स्वदेशी भूमि पर तो नहीं होनी चाहिए.हमारी संस्कृति में मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के लिए तो हर दिन एक पवित्र दिवस है.
जवाब देंहटाएंAmen!!!
जवाब देंहटाएंसामयिक प्रेमपरक सुन्दर रचना है.
जवाब देंहटाएंसामयिक प्रेमपरक सुन्दर रचना है.
जवाब देंहटाएंउर द्वार बना लो जो मुझको,
जवाब देंहटाएंमैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल हो जाऊं...
प्रेम रस मे पगी रचना दिल मे उतर गयी…………वाह वाह …………बेहतरीन प्रस्तुति।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
Hi...
जवाब देंहटाएंWah....
Sahaj, saras ahsaas hai tere..
safal ye saare ho jaaen...
jeevan bagiya main vasant ho...
pushp hruday ke khil jaaen...
bahut hi bhavpurn kavita likhi hai aapne....meri shubhkamnayen sweekar karen...
Deepak..
बहुत सुंदर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकाजल से सांकल तक बनने को तैयार प्यार में ..क्या बात है सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई
जवाब देंहटाएंसमर्पण को समर्पित एक प्रणय गीत!! रचना जी, बहुत ही सुंदर कविता!! पण्डित भरत्व्यास का एक पुराना गीत याद आ गयाः
जवाब देंहटाएंतुम गगन के चंद्रमा हो, मैं धरा की धूल हूँ
तुम प्रणय के दएवता हो, मैं समर्पित फूल हूँ.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंकाज़ल हो जाना.. सांकल हो जाना... आचल हो जाना...मलमल हो जाना.. निर्मल हो जाना... प्रणय पर्व को ऐसे मानना कि ताजमहल हो जाना... अद्भुद प्रणय गीत ! ..
जवाब देंहटाएंसुंदर काव्यात्मक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत भाव प्रवण रचना ...प्रेमपगी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, प्रेमपूर्ण रचना। बधाई। दिल से निकली आवाज को शब्द दे दी आपने......
जवाब देंहटाएंसुखद एहसास।..आमीन।
जवाब देंहटाएंउर द्वार बसा लो जो मुझको, मैं सांकल हो जाऊं...तेरे हांथों में आने को,मैं आंचल हो जाऊं..
जवाब देंहटाएंवाह ! प्रेम की उच्चतम स्तिथि..हरेक पंक्ति लाज़वाब..निशब्द कर दिया
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रेम अभिव्यक्ति के लिए बधाई रचना जी ! शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइतने बरसों बाद सही,
जवाब देंहटाएंइस बार सफल हो जाऊं... dard ki ahasas deti...kaveeta...
आँखों में बसने को तेरी,
जवाब देंहटाएंमैं काजल हो जाऊं...
निश्च्चल प्यार के समर्पण की कोमल अभिव्यक्ति !
धोकर के सारी शंकाएं, मैं आज धवल हो जाऊं...
जवाब देंहटाएंप्रणय पर्व मनाओ ऐसे, कि मैं ताजमहल हो जाऊं...
प्रेम की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
उर द्वार बना लो जो मुझको,
जवाब देंहटाएंमैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल हो जाऊं...
बहुत ही सुन्दर रचना.
सलाम.
दिल की गहराइयों से निकली आवाज़ . सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंप्रेम पूर्ण उम्दा रचना !
जवाब देंहटाएंकितनी प्यारी मासूम सी ख्वाहिश ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रेम से महकती कविता !
प्रणय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं---------
अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
एक गहरी भावपूर्ण कविता...बहुत अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...
''मिलिए रेखाओं के अप्रतिम जादूगर से.....'
यह कैसा प्रणय पर्व है
जवाब देंहटाएंकविता है, लगती हकीकत है
ताजमहल यह भी है
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ....रचनाओं ने तो आकर्षित किया ही आपका ब्लॉग भी काफी आकर्षक लगा....
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस पर इस से बेहतर कामना कोई क्या करेगा...बेजोड़ रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
एक-एक शब्द भावपूर्ण ..... बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंumda prastuti..........
जवाब देंहटाएंbahut sunder shabd sayonjan kiya hai man ke bhaavo ko ukair kar fool bana kar pirone me.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता लिखी आपने..बधाई.
जवाब देंहटाएं______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
प्रणय पर्व में डूब जाने से पहले, क्यों ना हकीकतें पढ़ लें देख लें
जवाब देंहटाएंhttp://rajey.blogspot.com/ पर।
samrpan bhav ki sunder abhivykti
जवाब देंहटाएंर द्वार बना लो जो मुझको,
जवाब देंहटाएंमैं सांकल हो जाऊं...
तेरे हांथों में आने को,
मैं आंचल हो जाऊं...
bahut hi komal ahsaas ,achchhi rachna .
नाजुक भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंक्या बात क्या बात क्या बात सुंदर अभिव्यक्ति .... बधाई
जवाब देंहटाएंThis is cool! And so interested! Are u have more posts like this? Please tell me, thanks
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेम भाव लिए रचना...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
:-)