शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

अज़रबैजान यात्रा (भाग 7)

 अज़रबैजान यात्रा (भाग 7) - कीचड़ के ज्वालामुखी

गाड़ी जो हमें मड वोल्कानो ले कर गयी 

आज की सुबह कुछ अलग सी लगी उत्साह भरपूर था फिर भी मन के कोने में ऐसा लग रहा था कि कहीं कल जैसा उबाऊ न हो जाए पर दूसरी तरफ मन कह रहा था कि आज तो ज्वालामुखी देखने हैं कुछ रोमांचकारी तो होगा ही।  फिर क्या था होटल से नियत समय पर निकल पड़े। लगभग डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद हम डैस गिल पहुंचे। यहां गोबिस्तान रिज़र्व में मिट्टी के ज्वालामुखी घूमने के लिए लोकप्रिय हैं मड ज्वालामुखी या मड डोम मिट्टी या गारे, पानी और गैसों के विस्फोट से निर्मित भू आकृतियां हैं मिट्टी के ज्वालामुखी भूगर्भीय संरचनाये हैं जो तब बनती है जब पृथ्वी की सतह के नीचे दबाव वाली गैस है और तरल पदार्थ मिट्टी, पानी और चट्टानों को जमीन में एक दरार के माध्यम से ऊपर धकेलते हैं। मिट्टी के ज्वालामुखी आकार में कुछ मीटर ऊंचे छोटे शंकु से लेकर कई किलोमीटर चौड़े बड़े पहाड़ों तक हो सकते हैं। मिट्टी के ज्वालामुखीओं से अक्सर मीथेन गैस और अन्य हाइड्रोकार्बन गसों की रिहाई होती हैं। ये खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का स्रोत भी हो सकते हैं। अज़रबैजान मिट्टी के ज्वालामुखियों की बहुतायत के लिए जाना जाता है। हमारी दुनिया में कुल 700 के लगभग मिट्टी ज्वालामुखी हैं  जिनमें से 350 से ज्यादा अजरबेजान देश में स्थित है। अजरबेजान में मिट्टी ज्वालामुखी के बनाने की प्रक्रिया 25 मिलियन साल पहले शुरू हुई थी जो अभी तक चल रही है। अजरबेजान में कैस्पियन सागर के पास स्थित डैस गिल एक उल्लेखनीय मिट्टी ज्वालामुखी स्थल है। यह कई बड़े मिट्टी के ज्वालामुखीओं के साथ-साथ गर्म झरनों और खनिज भंडारों का घर है।

वहाँ पहुंचकर हमें कच्चे और दुर्गम रास्तों पर चलने वाली फोर व्हील ड्राइव दूसरी टैक्सी लेनी पड़ी जो ज्वालामुखी तक ले जाने के लिए नियत होती है। टैक्सियों की हालत खस्ता से भी खस्ता थी देख कर बहुत अजीब लगा, बैठने को दिल भी नहीं हुआ पर वहाँ और कुछ था ही नहीं सिर्फ इन गाड़ियों के सिवाय जो इन रास्तों के लिए ही बनी थीं। जैसा पिछली पोस्ट में बताया वैसे ही पुरानी से भी पुरानी वाली गाड़ियां 1960 वाली गाड़ियां थी। गाड़ी में बैठने के बाद याद आया जैसलमेर के सैंड ड्यून्स, दुबई के सैंड ड्यून्स और वो रोमांचकारी यात्रा। वहाँ तो रेत ही रेत होती है। यहां थी महीन मिट्टी और पत्थर के पहाड़।  पहाड़ों का रंग पीला और सलेटी था।  मिट्टी स्लेटी सफेद और महीन से भी महीन थी। गाड़ी में बैठते ही वो जर्जर इमारत सी गाड़ी हवा से बातें करने लगी। यहां भी कोई रोड नहीं थी। कच्चे रास्ते  पर एक साथ बहुत सी टैक्सियां भागने लगीं, धूल उड़ती हुई हर तरफ गर्द ही गर्द उड़ाने लगी, हर टैक्सी वाला दूसरे से आगे जाने की होड भी करने लगा। ढंग से पकड़ कर न बैठो तो गिरने का डर। बीच-बीच में मिट्टी में पड़ी दरारें यह बता रही थी यहां कभी पानी था जो अब उड़ गया है। लगभग 10 से 15 मिनट की यात्रा के बाद टैक्सी ने हमें जहां उतारा वहाँ पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर फैले हुए बहुत सारे ज्वालामुखी दिखे जिनमें सिर्फ कीचड़ के बुलबुले निकल रहे थे। दो एक ज्वालामुखी में हम ऊपर तक चढ़कर गए। वहाँ हर एक इंसान प्रकृति के इस दृश्य को निहार कर अभिभूत हो रहा था। कुछ लोग कीचड़ निकाल कर अपने चेहरे पर लगा रहे थे। हमारे टैक्सी ड्राइवर ने भी जल्दी ही वह कीचड़ एक बोतल में भरकर मुझे दे दिया। कहते हैं इसमें औषधीय गुण होते हैं।  मुख्य रूप से यह काली मिट्टी है जो धरती के गर्भ से निकल रही है, जिसमें तमाम किस्म के खनिज तत्व मिले हुए है इसलिए इसमें कुछ चमत्कारी गुण समावेषित हो गए हैं।

इन मड वोल्कानो में कुछ काफी बड़े हैं जिनमें आप स्नान भी कर सकते हैं क्योंकि इसके कीचड में जैसा मैंने पहले बताया औषधीय गुण होते और तमाम त्वचा संबंधी रोगों के साथ ही पेरिफेरल और सेंट्रल नर्वस सिस्टम की बीमारियों और कई अन्य बीमारियों में भी काफी कारगर माना जाता है। यह मिट्टी एकदम ठंडी होती है इसलिए स्नान के लिए भी उपयुक्त है। इसके पास ही एक साफ़ पानी की झील भी है जिसमें मड वोल्कानो में स्नान के बाद स्नान किया जाता है।

टैक्सी वाले को जल्दी थी, अगली सवारी लेने की इसलिए वापस जाने के लिए बार-बार कहने लगा फिर भी हम 20 से 25 मिनट वहाँ रुक छोटे बड़े सारे ज्वालामुखियों को देखा और लौट पड़े जाते समय थोड़ा उत्साह था, थोड़ा नहीं बहुत उत्साह था तो ध्यान दूसरी तरफ नहीं गया, लौटते समय ऐसा लग रहा था मानों गाड़ियों की रेस हो रही है। कोई प्रतिस्पर्धा चल रही हो और हम भी उसका हिस्सा हों। अपनी मुंबईया फिल्में याद आ गई मानो एक गाड़ी में बदमाश किसी को अपहृत करके ले जा रहा है और उसके पीछे बीसियों गाड़ियां पीछा कर रही हों या फिल्म का हीरो आगे भाग रहा हो या बदमाश भाग रहा हो और पुलिस उसका पीछा कर रही हो। यह सारे विचार दिमाग में हलचल पैदा करने लगे, बड़ा अच्छा लग रहा था कि हम भी किसी मुंबईया फिल्म के हिस्सा बन गए हैं। जल्दी ही हम पक्की सड़क पर लौट आए यह एक अद्भुत और रोमांचकारी अनुभव रहा जिसे आंखों और कैमरे में संजोया, सजाया गाड़ी की इतनी रफ्तार होने के बावजूद भी लौटते समय आप लोगों के लिए एक दो वीडियो भी बनाएं आप उनका आनंद लें।

बाकू में एक रोमांचकारी यात्रा के साथ इस पोस्ट में इतना ही, अनूठे संग्रहालय की सैर का विवरण अगली पोस्ट में...



मिट्टी के ज्वालामुखी की तस्वीर नज़दीक से 



मिट्टी के ज्वालामुखी का विडियो 


मिट्टी के ज्वालामुखी का विडियो 


गाड़ियों की दौड़ मिट्टी के ज्वालामुखी जाने के लिए 


कुछ हमारे पल 




2 टिप्‍पणियां:

  1. मड वोल्कानो के बारे में पहली बार पढ़ा और देखा, वाक़ई यह धरती अजूबों से भरी हुई है, पत्थर से संगीत निकलते हुए सुनना भी अपने आप में एक विचित्र अनुभव है, सुंदर चित्र और रोचक विवरण!!

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  2. जी यही कुछ चीज़ें वहां अजूबा थीं और एक मुस्लिम देश मे 300 साल पुराना मंदिर भी है।यही सब बातें तो रोमांचित करती हैं🙏🙏

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