समीकरण
याद नहीं पर जाने कब से सुनती आई हूँ.
सुहागिन औरतें रखती हैं निर्जला,
करवा चौथ का उपवास,
अपने पति की लम्बी आयु के लिए,
मैंने भी रखे कितने ही ...
केवल तुम्हारे नाम पर.
पर आज थोडा असहज महसूस कर रही हूँ,
सोचा सच आज बता ही दूँ.
मैंने रखे ये उपवास.
तुम्हारे दीर्घायु होने के लिए नहीं,
अपने निजी स्वार्थ वश.
क्योंकि जानती हूँ.
तुम्हारे बिना मैं हूँ ही नहीं.
पर कल ही मेरी पिछली कविता,
के जवाब में तुमने कहा.
इस धरती पर तुम्हार तुम होना,
सम्भव ही नहीं,
मेरे मैं हुए बिना.
सो अब से मैं ये उपवास रखूंगी तो सही,
पर अपनी लम्बी उम्र के लिए.
न की तुम्हारी.
(चित्र साभार गूगल के सौजन्य से)