तुम
तुम मुझे मिल जाओगी क्या?
दिल दिल से कहे ना
तुमको बाहों में उठा लूं
तुम मुझे मिल जायोगी क्या
उँगलियाँ थिरकन करें जब
हृदय की वीणा बजे जब
एक गीत होंठों पे सजा दूं
तुम मुझे मिल जायोगी क्या
आँखें नीचे को झुकीं हों
जीने मरने की कसम हो
मांग में तारे सजा दूं
तुम मुझे मिल जायोगी क्या?
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
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