श्रद्धा सुमन
श्रद्धा सुमन तुम्हें अर्पित हैं
ठुकराओ मत प्यार करो
मन की छोटी सी बगिया में
मेरा भी आह्वान करो
मेरी सब खुशियाँ ले लो
पर नैनों का नीर मुझे दे दो
शुभ प्रभात मुझसे ले लो
पर आर्द्र निशा मुझको दे दो
मेरी सब खुशियाँ अर्पित हैं
ठुकराओ मत प्यार करो
मन की छोटी सी बगिया में
मेरा भी आह्वान करो
मेरी सब प्रतिभा ले लो
पर अपनी भावुकता मुझे दे दो
मेरा सब अस्तित्व ले लो
पर अपनी याद मुझे दे दो
उषा का सुहाग तुम्हे अर्पित है
ठुकराओ मत प्यार करो
मन की छोटी सी बगिया में
मेरा भी आह्वान करो
मुझसे मत अपना रूप छुपाओ
पर अपना चित्र मुझे दे दो
नव प्रेम सूत्र आरंभ करो
पर बिछुडी याद मुझे दे दो
मेरा प्यार तुम्हे अर्पित है
ठुकराओ मत प्यार करो
मन की छोटी सी बगिया में
मेरा भी आह्वान करो
रचना जी, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमैंने आपकी सभी रचनाएं पढ़ी. बहुत अच्छा लिखती हैं आप.
सच कहा है, यदि किसी को कुछ देना है तो खुशियाँ दो, और लेना है तो दूसरों के गम, दर्द बांटो.
लिखते रहिये और दूसरों का लिखा भी पढिये और अपनी प्रतिक्रिया भी देते रहिये.
शुभकामनाएं
sundar rachana, ye abhivyaktiyaan ab kahaan?
जवाब देंहटाएंआपके आह्वान का मैं अभिनन्दन करता हूँ.....!!
जवाब देंहटाएंबस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों से सजी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर कोमल भावों का चित्रण..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता है।
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर भावो का समन्वय्।
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