हर रात एक सपना देखा जाता है
एक पत्नी की पति के लिए आँखे तरसतीं हैं
इक जोड़ा पथराई ऑंखें घर के चिराग़ कि राह तकती हैं
इक हसीना अपने महबूब के लिए अपना दिल बिछाती है
एक तवायफ़ अपने ग्राहक के लिए बाज़ार सजाती है
कुछ उम्मीद ना उम्मीद के साथ फिर
एक महफूज़ सी सुबह निकलती है
एक बहन अपने भाई की नौकरी का शगुन रखती है
एक पत्नी अपने पति कि तरक्की कि कामना करती है
एक माँ अपने बेटे कि लम्बी उम्र कि दुआ करती है
एक तवायफ़ फिर शाम के लिए सपना संजोती है
यूँ ही एक ना उम्मीद सांझ, रात के बाद
एक महफूज़ सी सुबह निकलती है
एक पत्नी की पति के लिए आँखे तरसतीं हैं
जवाब देंहटाएंइक जोड़ा पथराई ऑंखें घर के चिराग़ कि राह तकती हैं.nice
सुमन जी प्रेरित करने और मुझे पढ़ने के लिए आभार. मेरा एक लघु आलेख खबरिया चैनल रचनाकार में और एक बस के हादसों का शहर हिंदुस्तान का दर्द में प्रकाशित हुए हैं कृपया उन्हें भी पढ़ कर अपनी बेबाक राय दें
जवाब देंहटाएंसादर रचना दीक्षित
नारी के अनेक रूपों का सुन्दर चित्रण.
जवाब देंहटाएंलेकिन कोई सुहागन, कोई अभागन.
सब अपनी अपनी किस्मत लेकर आते हैं.
ek naree hazar rang...
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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