अज़रबैजान यात्रा (भाग 11) - निजामी स्ट्रीट और हैदर अलिएव सेंटर और भारत वापसी
दोपहर के भोजन के
उपरांत हम लोग दो जगह जाना चाहते थे एक तो हैदर अलिएव सेंटर और दूसरा निजामी
स्ट्रीट। सोचा पहले हैदर अलिएव सेंटर हो लेते हैं क्योंकि मार्किट में अधिक समय
लगा तो हैदर अलिएव सेंटर छूट जायेगा और आज हमारा अज़रबैजान में अंतिम दिन भी है। हम
पहुंचे हैदर अलिएव सेंटर जो अब अज़रबैजान का मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यह एक 57,500 वर्ग मीटर (619,000 वर्ग फीट) का भवन परिसर है,
जिसे इराकी-ब्रिटिश वास्तुकार ज़ाहा हदीद द्वारा डिज़ाइन किया गया
है और यह अपनी विशिष्ट वास्तुकला और प्रवाहमय, घुमावदार शैली
के लिए जाना जाता है जिसमे कोई भी कोना नहीं है एकदम फ्लूइड डिज़ाइन है। केंद्र का
नाम हैदर अलीयेव (1923-2003) के नाम पर रखा गया है, जो 1969
से 1982 तक सोवियत अज़रबैजान के प्रथम सचिव और अक्टूबर 1993 से अक्टूबर 2003 तक
अज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति थे। यहाँ पर कई म्यूजियम हैं, एक थिएटर है और
प्रदर्शनी स्थल भी हैं जहाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियां समय समय पर
लगती रहती हैं। यहाँ पर एक कार म्यूजियम भी जिसमें विंटेज कारों का बहुत सुंदर और
दर्शनीय कलेक्शन है। इस परिसर में प्रवेश के लिए 15 मनत का टिकेट लगता है लेकिन यह
सचमुच दर्शनीय है और एक बार यहाँ अवश्य जाना चाहिए।
हमें निजामी स्ट्रीट मार्किट
भी जाना था और रात की फ्लाइट भी पकड़नी थी इसलिए ज्यादा समय यहाँ नहीं व्यतीत कर
सके और टैक्सी पकड़ पहुँच गए निजामी स्ट्रीट मार्किट जिसके बारे में हम पहले भी बता
चुके हैं की यह अज़रबैजान का मुख्य बाज़ार है और बहुत ही व्यस्त स्थान हैं। इसका नाम
शास्त्रीय फ़ारसी कवि निज़ामी गंजवी के नाम पर रखा गया है। निज़ामी स्ट्रीट बैंकों
से लेकर फ़ैशन स्टोर तक कई दुकानों का घर है और यह दुनिया की सबसे महंगी सड़कों
में से एक है। इस सड़क पर जर्मनी, नॉर्वे, नीदरलैंड और ऑस्ट्रिया के दूतावासों के साथ-साथ अज़रबैजान में यूरोपीय संघ
का प्रतिनिधिमंडल भी स्थित है। इस बाज़ार की चौड़ी और सपाट सड़कें पूरी तरह से ट्राफिक
मुक्त है और किसी भी तरह की कोई गाड़ी चार पहिया या दोपहिया, न साइकिल, न रिक्शा
कुछ भी नहीं चलता है इसलिए यहाँ पैदल चलने का आनन्द है। यह बाज़ार दिन में भी उतना
गुलज़ार रहता जैसा यह रात में रहता है। यहाँ सबसे पहले बकलावा मिठाई जो यहाँ की
विशिष्टता है खरीदी, कुछ सोवेनिएर्स खरीदे, बच्चों के लिए कपड़े खरीदे, कुछ परफ्यूम
खरीदे। हाँ! एक चाय की केतली और कुछ चाय के कप और दो तरह की चाय भी हमने यहाँ से
खरीदी। चाय भी यहाँ की विशेषता है और बिना दूध की चाय ही पी जाती है। चाय के रेट भी
बिलकुल अजब-गजब हैं। हमने जो चाय खरीदी उसके रेट 8 मनत/100 ग्राम या ₹4000/ किलो लेकिन चाय की खुशबू ऐसी कि उसकी महक सूंघकर आप उसमें खो जायेंगे
फिर चाय बनाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। लेकिन सब बात एक तरफ खरीदारी तब तक पूरी
नहीं कही जा सकती, जब तक कुछ ज्वेलरी ना खरीद ली जाय। सिर्फ इस सिधान्त के वजह से
हम एक सिल्वर ज्वेलरी शॉप में गए और जल्दी से कुछ पेंडेंट, अंगूठियाँ वगैरह खरीद
लिए। इसी सब में शाम के साढे सात बज गए थे और हमारी ग्यारह बजे की फ्लाइट थी। न
कहते हुए भी वापसी का रास्ता पकड़ना पड़ा और हम निकल पड़े एअरपोर्ट की ओर और एक घंटे
में एअरपोर्ट पहुँच गए। यहाँ का एअरपोर्ट भी काफी सुंदर हैं। एअरपोर्ट और इमिग्रेसन
की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एअरपोर्ट लाउन्ज में जा कर कुछ कॉफ़ी पी और केक
वगैरह खाया और पहुँच गए बोर्डिंग के लिए। सुबह सात बजे तक हम लोग अपने देश और अपने
घर पहुँच गये थे और फिर शुरू हो गए रोज़ के सिलसिले, बस एक याद काफी दिन तक रहेगी
इस सुंदर देश की।
इस यात्रा वृतांत को अब यहीं विराम। जल्दी ही एक नए सफ़र का विवरण आपके सामने जरुर रखूंगी। आप इस सफरनामे की सारी कणियों को एक बार जरुर पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया भी जरुर दीजिये।