शमा
कहते हैं उसे
दर्द नहीं होता
वो किसी के प्यार में
पागल नहीं होता
पलक पांवड़े नहीं बिछाता
गिरता नहीं बिखरता नहीं
बूंद बूंद रिसता नहीं
बहता नहीं टूटता नहीं
कल एक मोमबत्ती को
दिए के प्यार में
जलते सुलगते
बिखरते टूटते
सीमाओं को तोड़ते देखा
और दिया
एक जलन तपिश
आग रौशनी थी उधर
फिर भी
अपनी ही सीमाओं में
बंधा शांत
एक ठहराव
एक अकेलापन
अचानक देखती हूँ
लौ के एक भाग का
टूटना गिरना स्याह होना
अँधेरे में खो जाना
क्या इसी को कहते
दीप तले अँधेरा.
सबके अपने अँधेरे होते हैं..जीवन फिर भी जलता है।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,रचना जी,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: दीदार होता है,
दीए को देखना भी अद्भुत है...अँधेरा और उजाला दोनों साथ लेकर चलती है|
जवाब देंहटाएंआप बहुत गहराई तक पहुँच जाती हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया।
सुन्दर रचना .... रचना जी !:)
जवाब देंहटाएंमोमबत्ती भी तो जलते-जलते ....ख़ामोशी से पिघलती चली जाती है ... और दिया ..बुझने के पहले एक बार उचक कर अपने ख़त्म होने का एलान ज़रूर करता है .....~ दोनों ही अपने पीछे अपनी निशानी छोड़ जाते हैं ......
~सादर!!!
ये भी अपना एक अंदाज़ होता है ......
जवाब देंहटाएंताउम्र कर्म भट्टी में जलना है फिर बुझ जाना है उड़ जाना है .प्रेम विह्वल मन की गति मोमबत्ती दीपक का रूपक और आदमी का मन एक जैसे हैं .खुद जलना या फिर दूसरे को जलाना .
जवाब देंहटाएंअपनी समझ अपनी किस्मत ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
गहरी सोच उससे भी गहरा सवाल
जवाब देंहटाएंमेरे समझ से ब़ाहर
गहन रचना
जवाब देंहटाएंदोनों ही जलते हैं ....सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है रचना जी.
जवाब देंहटाएंगहरी रचना.
जवाब देंहटाएंअचानक देखती हूँ
जवाब देंहटाएंलौ के एक भाग का
टूटना गिरना स्याह होना
अँधेरे में खो जाना
क्या इसी को कहते
दीप तले अँधेरा.-------
मन के गहन भाव को व्यक्त करती रचना
बधाई
गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंगहन चितरण..
जवाब देंहटाएंअन्धेरा का सूक्ष्म अन्वेषण..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंदीप तो हमेशा नव नव सीख देता है ।उम्दा रचना ।
जवाब देंहटाएंअँधेरा तो जलते दीपक के तले होता है ...
जवाब देंहटाएंलौ के स्याह हो जाने के बाद तो सम्पूर्ण अँधेरा ही अन्धेरा होगा न ....
उजाला और अंधेरा तो सभी के साथ रहता है ... कौन कब आगे आ जाता है पता नहीं चलता ... वैसे भी बुझ जाने के बाद तो सभी जगह अंधेरा ही होता है ...
जवाब देंहटाएंनिराली सोच और निराला अंदाज
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंशमा और दिये की सूक्ष्म तुलना .... सुंदर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आपका आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सूक्ष्म अन्वेषण रचना जी..............
जवाब देंहटाएंवाह रचना जी
जवाब देंहटाएंवाह पुनः निशब्द आपकी रचना पढ़कर ।।
जवाब देंहटाएंsamvedanshilta ke charam aur param bindu ko sparsh karti prastuti,ati sundar
जवाब देंहटाएं:'(
जवाब देंहटाएंबेशक़ शब्दों का मायाजाल ही है कविताई। पर आप जिस तरह उन शब्दों से एक सुगढ़ आकृति निर्मित करती हैं, उसे देख कर मुंह से सिर्फ़ वाह निकलती है। बहुत ख़ूब दीदी, प्रणाम।
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