रविवार, 30 अगस्त 2015

हाथ का मैल

हाथ का मैल
बचपन से सुनती आई हूँ 
आप सब की ही तरह  
पैसा ही जीवन है. 
पैसा आना जाना है.
पैसा हाथ का मैल है. 
समय के साथ 
बदलती परिभाषाओं ने
इसे भी अछूता नहीं छोड़ा 
बदल गई है 
इसकी किस्मत,
कीमत और तबियत
हमारें संस्कारों में
उच्चतम स्थान प्राप्त
व पाप धोने का साधन
गंगा हो गया है ये.
कितना अपमानित
महसूस कर रही होगी
माँ गंगा.
पैसे से अपनी तुलना
और पुल्लिंग सम्बोधन ...
पर ये सच है
पैसा पाप धोता है.
पाप धोने वाले 
या पाप धुलवाने वाले 
दोनों के हाथों को
सुगन्धित करता है.
बाजार में उपलब्ध
साधनों संसाधनों
में सर्वश्रेष्ठ है.
असरकारक है.
पैसा एक बेहतरीन,
सुगन्धित हैण्ड वाश है.

15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 31 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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    1. धन्यबाद यशोदा जी मेरी कविता को अपने ब्लॉग में शेयर करने के लिए.

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  2. कड़वा सत्य..बदलते समय में सब चीजों के अर्थ बदल रहे हैं..पैसा भी अपनी पहचान बदल ले तो क्या आश्चर्य ..

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  3. गज़ब का मेल है ये जिसे पाने के लिए सब कुछ भी कर सकते हैं ...
    सटीक और तीखा व्यंग ... मजा आ गया ...

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  4. झा जी मेरा ब्लॉग ज्वाइन करने के लिए आपका धन्यबाद.

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  5. आज का सच...लोग समझते हैं कि पैसे के बल पर सभी पाप धो सकते हैं...बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...

    जवाब देंहटाएं
  6. आज का सच...लोग समझते हैं कि पैसे के बल पर सभी पाप धो सकते हैं...बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...

    जवाब देंहटाएं
  7. सत्य वचन। कहीं लक्ष्मी के नाम से पूजते हैं, कहीं ब्लडमनी देकर पाप धोते हैं, कहीं इंसान इंसान को ढोते हैं।

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  8. सुदर प्रस्तुति... कहते है न, पैसा बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ नही!

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  9. सबसे बड़ा रुपैया - सटीक और सार्थक

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  10. पैसे वाले गुनाहगार आज़ाद घूमते हैं, जमानत पर जमानत पाते हैं। ये देखकर आपकी कविता सार्थक लगती है।

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  11. कुछ के लिए है.....लेकिन .......बीटल्स का गीत याद आ रहा है...कैन'ट बाय मी लव ....बहुत प्रासंगिक है यह गीत.

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