हाथ का मैल
आप सब की ही तरह
पैसा ही जीवन है.
पैसा आना जाना है.
पैसा हाथ का मैल है.
समय के साथ
बदलती परिभाषाओं ने
इसे भी अछूता नहीं छोड़ा
बदल गई है
इसकी किस्मत,
कीमत और तबियत
हमारें संस्कारों में
उच्चतम स्थान प्राप्त
व पाप धोने का साधन
गंगा हो गया है ये.
कितना अपमानित
महसूस कर रही होगी
माँ गंगा.
पैसे से अपनी तुलना
और पुल्लिंग सम्बोधन ...
पर ये सच है
पैसा पाप धोता है.
पाप धोने वाले
या पाप धुलवाने वाले
दोनों के हाथों को
सुगन्धित करता है.
बाजार में उपलब्ध
साधनों संसाधनों
में सर्वश्रेष्ठ है.
असरकारक है.
पैसा एक बेहतरीन,
सुगन्धित हैण्ड वाश है.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 31 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यबाद यशोदा जी मेरी कविता को अपने ब्लॉग में शेयर करने के लिए.
हटाएंवाह.… सटीक, सामयिक और विचारणीय ।
जवाब देंहटाएंकड़वा सत्य..बदलते समय में सब चीजों के अर्थ बदल रहे हैं..पैसा भी अपनी पहचान बदल ले तो क्या आश्चर्य ..
जवाब देंहटाएंगज़ब का मेल है ये जिसे पाने के लिए सब कुछ भी कर सकते हैं ...
जवाब देंहटाएंसटीक और तीखा व्यंग ... मजा आ गया ...
बहुत सुंदर और सटीक.
जवाब देंहटाएंझा जी मेरा ब्लॉग ज्वाइन करने के लिए आपका धन्यबाद.
जवाब देंहटाएंआज का सच...लोग समझते हैं कि पैसे के बल पर सभी पाप धो सकते हैं...बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...
जवाब देंहटाएंआज का सच...लोग समझते हैं कि पैसे के बल पर सभी पाप धो सकते हैं...बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग...
जवाब देंहटाएंसटीक बात!!
जवाब देंहटाएंसत्य वचन। कहीं लक्ष्मी के नाम से पूजते हैं, कहीं ब्लडमनी देकर पाप धोते हैं, कहीं इंसान इंसान को ढोते हैं।
जवाब देंहटाएंसुदर प्रस्तुति... कहते है न, पैसा बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ नही!
जवाब देंहटाएंसबसे बड़ा रुपैया - सटीक और सार्थक
जवाब देंहटाएंपैसे वाले गुनाहगार आज़ाद घूमते हैं, जमानत पर जमानत पाते हैं। ये देखकर आपकी कविता सार्थक लगती है।
जवाब देंहटाएंकुछ के लिए है.....लेकिन .......बीटल्स का गीत याद आ रहा है...कैन'ट बाय मी लव ....बहुत प्रासंगिक है यह गीत.
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