सावन
सब कुछ साफ,
धुला, उजला,
हरा, चमकदार
निरंतर गति प्रवाह,
कर्णप्रिय ध्वनि संगीत
सब कुछ
लगता है अच्छा
अखरता है
तो ठहराव,
जल भराव,
कीचड़, सडांध
नमी, दरारें
उनमें उगते
जंगली घास फूस
काई, बिछलन, फिसलन.
वर्ष में कुछ निश्चित समय के लिए
अच्छा लग भी जाए ये,
पर मन के भीतर
रहता ये सावन जब तब.
करता है अवरुद्ध
भीतर के नाले नालियां,
तालाब, नदियाँ
फिर सैलाब की तरह
आता है ये सावन
कुछ भी नहीं दिखता हरा
हर तरफ मात्र श्वेत श्याम
भला ये भी कोई सावन हुआ
श्वेत श्याम.
(चित्र गूगल से साभार)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 10 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! "
जवाब देंहटाएंधन्यबाद यशोदा जी.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा । मन का सावन सैलाब की तरह ही आता है ।
जवाब देंहटाएंसावन का बहुत मनभावन और सटीक चित्र खींचा है आपने. बर्षा आनंद के साथ परेशानियां भी संग लाती है.
हटाएंसावन का बहुत मनभावन और सटीक चित्र खींचा है आपने. बर्षा आनंद के साथ परेशानियां भी संग लाती है.
जवाब देंहटाएंmn ka sawan kya-kya n chahe..gati jo tod niklti hai...umda.
जवाब देंहटाएंसादर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्दों में ....लाजवाब रचना....
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र
बहुत गहन और सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबरसता सावन नेनो को भाए....भले ही मन में बिरह की आग जगाए ...
जवाब देंहटाएंस्वस्थ रहें ,,,,सुंदर रचना |
कविता को सराहने के लिए आप सब गुणीजनों का आभार.
जवाब देंहटाएंसावन तो सावन है..जैसा भी हो मन भावन है..
जवाब देंहटाएंक्या बात है !.....बेहद खूबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंसमस्त ब्लॉगर मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं...
नयी पोस्ट@यहाँ पधारिये
सावन मन भाबन साथ परेशानिया बाबन । पर सावन सुंदर है आप के कविता की तरह ।
जवाब देंहटाएंमन का सैलाब भी कुछ ऐसा है ... सब कुछ बहा ले जाने के बाद हरा कहाँ रह पाता है ...
जवाब देंहटाएंगहरी रचना ...
हाँ यह तो सच है लेकिन वनस्पतियों और दूसरे कीट-पतंग की मौज भी तो इनसे ही है.
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