हसरतें
सुनती आई हूँ
सपने देखने में पैसे नहीं खर्च होते
पर सच तो ये है
उन्हें पालने पोसने में
एक उम्र खर्च हो जाती है
मैंने भी देखे कितने ही सपने
कुछ जन्मे, कुछ अजन्मे ही
छोड़ गए मुझे अकेला
अधर में इस धरा पे
कुछ खिसके, रेंगे, लड़खड़ाए
और कुछ...
अपने पैरों पर चल निकले
तभी डाल दी गयीं
बेडियाँ उन पैरों में
दिन बदले, साल बदले, जमाना बदला
न टूटी, न तोड़ी गयीं,
न खुलीं, न खोली गयीं बेडियाँ.
आज अपाहिज हो गए हैं
सपने मेरे
पर मैं खुश हूँ
जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ
तो कुछ दिन तो और
साथ निभा जायेंगे ये
मेरी उम्र से लंबी इनकी उम्र जो है.
बेहतरीन अभिव्यक्ति ,.......शुभकामनायें जी /
जवाब देंहटाएंइसी उम्र में पूरे होंगे सभी सपने............
जवाब देंहटाएंज़रा सा जोर और लगाना है बस.......
:-)
अनु
जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ
जवाब देंहटाएंतो कुछ दिन तो और
साथ निभा जायेंगे ये
मेरी उम्र से लंबी इनकी उम्र जो है....
बैसाखियों की जरुरत नहीं पड़ेगी ....
बस मनोबल की जरूरत होती ....
जो इस रचना में तो बहुत है ....
हसरतों को पंख दे दो..
जवाब देंहटाएंकिसी कवि की रचना देखूं !
जवाब देंहटाएंदर्द उभरता , दिखता है !
प्यार, नेह दुर्लभ से लगते ,
क्लेश हर जगह मिलता है !
क्या शिक्षा विद्वानों को दूं,टिप्पणियों में,रोते गीत !
निज रचनाएं,दर्पण मन का,दर्द समझते मेरे गीत !
बहुत खूबसूरत ख्याल
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअपाहिज सपने ...सुंदरता से सहेजी है मन की बात ...
जवाब देंहटाएंसचमुच इन हसरतों को बैसाखी की नहीं पंखों की जरुरत है...शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसपने उड़े ...उड़ के चले...रोके ना रुके...पूरे हो गएः)
जवाब देंहटाएंबहुत नायाब भावों का सुंदर संम्प्रेषण,,बधाई रचना जी ,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,
काश सपनों को पंख लग जाते
जवाब देंहटाएंह्रदय द्रवित करती रचना...
गर् जिन्दगी से करते हो प्यार
जवाब देंहटाएंहसरतों का रहने दो उधार ..:-)
हसरत पूरी ,जिन्दगी पूरी ......
शुभकामनाएँ!
वाह! खुबसूरत रचना....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई स्वीकारें.
सपने सींचें स्वेद से, महकेंगे दिन रात।
जिंदगी खिलती रहे, सज रंगों में सात॥
सादर.
असल जिंदगी में देखे सपने , अक्सर सपने में सच हो जाते हैं .
जवाब देंहटाएंइसलिए सपने देखते रहना चाहिए .
सपने जिन्दा तो हैं कम से कम ... जब तक मरे माहि वो जी उठेंगे ... बैसाखियाँ भी छूट जायंगी समय आने पे ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंखुबसूरत ।
जवाब देंहटाएंबधाई ।।
सपने मेरे पर मैं खुश हूँ जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ तो कुछ दिन तो और साथ निभा जायेंगे
जवाब देंहटाएं.....खूबसूरत ख्याल मन की बात सुंदरता से सहेजी है !!!
आशाओं और उम्मीदों की अजब उहापोह... बेहतरीन लिखा है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति है.
जवाब देंहटाएंसपने तो सपने ही होते हैं.
श्रीरामचरितमानस में शिव जी पार्वती जी से
कहते हैं
'उमा कहूँ मैं अनुभव अपना,सत् हरि भजन जगत सब सपना.'
मेरे ब्लॉग पर आईएगा रचना जी.
नई पोस्ट जारी कर दी है.
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत कविता..
जवाब देंहटाएंसपनो की उम्र लम्बी ही होनी चाहिए
सुनती आई हूँ
जवाब देंहटाएंसपने देखने में पैसे नहीं खर्च होते
पर सच तो ये है
उन्हें पालने पोसने में
एक उम्र खर्च हो जाती है
सही कहा है अपने ...सपने देखना उतना आसान भी नहीं रहा अब .....!
बेहद प्रभावशाली रचना !
जवाब देंहटाएंदे दो विस्तार सपनों को, ज़रूर साथ निभाएंगे...बहुत भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंjaruri to nahi sapno ki umr aap ki umr se lambi ho...kuchh sapne apne jeete ji poore kiye jate hain vo fir sapne nahi rahte.
जवाब देंहटाएंbehtareen prastuti.
bahut sundar rachna !
जवाब देंहटाएंसपने भले अपाहिज हो जाएं ......ये मेरी एक उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ....बहुत बढ़िया प्रस्तुति .....मेरे अपने भी तो हों जैसे सपने ,कब हुए अपने ....
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 05 -07-2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में .... अब राज़ छिपा कब तक रखे .
सपनो के बदौलत ही ज़िन्दगी की गाड़ी आगे बढ़ती है। सपने न हों तो विराम ही लग जाए।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकुछ सपने कभी पूरे नहीं होते ...वही अंदर ही अंदर टूटते हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, सार्थक पोस्ट, बधाई.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .