समय का दर्द
मैं समय हूँ
मैं बलवान हूँ,
बदलता रहता हूँ
घाव भर देता हूँ
कभी अच्छा, कभी बुरा
कभी किसी के लिए ठहरता नहीं
ये उपमाएं दी हैं मुझे, तुम ही लोगों ने
पर मैं क्या और कैसा हूँ
कोई नहीं जानता
मेरे सिवाय
न उठ जाये लोगों का विश्वास मुझसे
उतरने को उन पर खरा
क्या क्या न किया मैंने.
सच तो ये है कि मेरे भी दो चेहरे हैं
मैं अधीर हूँ
दूसरों के दर्द कम करते,
घाव भरते,
मैं स्वयं न भरने वाला
एक घाव हो गया हूँ
जिधर देखो
घाव ही घाव
दर्द ही दर्द
कहाँ-कहाँ, कैसे-कैसे
कितना-कितना भरूं
मैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
अथाह सागर हो गया हूँ
मैं अब ठहरना चाहता हूँ
रुकना चाहता हूँ
थम जाना चाहता हूँ.
मैं बलवान हूँ,
बदलता रहता हूँ
घाव भर देता हूँ
कभी अच्छा, कभी बुरा
कभी किसी के लिए ठहरता नहीं
ये उपमाएं दी हैं मुझे, तुम ही लोगों ने
पर मैं क्या और कैसा हूँ
कोई नहीं जानता
मेरे सिवाय
न उठ जाये लोगों का विश्वास मुझसे
उतरने को उन पर खरा
क्या क्या न किया मैंने.
सच तो ये है कि मेरे भी दो चेहरे हैं
मैं अधीर हूँ
दूसरों के दर्द कम करते,
घाव भरते,
मैं स्वयं न भरने वाला
एक घाव हो गया हूँ
जिधर देखो
घाव ही घाव
दर्द ही दर्द
कहाँ-कहाँ, कैसे-कैसे
कितना-कितना भरूं
मैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
अथाह सागर हो गया हूँ
मैं अब ठहरना चाहता हूँ
रुकना चाहता हूँ
थम जाना चाहता हूँ.
वाह भाई वाह समय --
जवाब देंहटाएंसुना था की तुम गति / चाल बदलते रहते हो -
पर आज तो गजब ही करने जा रहे हो--
अच्छा ठहरो तो तनिक--
रुक जा ।
होते जब अनुकूल सब, सरपट दौड़ लगाय ।
सम्मुख हो प्रतिकूलता, धीरे धीरे जाय ।
धीरे धीरे जाय , धर्म अपना न छोड़े ।
बढ़िया वेला पाय, ठहरते सदा भगोड़े ।
तेरा हूँ पाबन्द, काल अन्तिम में सोते ।
कैसे पाए ठहर, जहाँ में मेरे होते ??
समय शायद इतिहास ka दूसरा नाम भी है ... उत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति....समय हर अच्छे बुरे का साक्षी होता है.......
जवाब देंहटाएंमैं अधीर हूँ
जवाब देंहटाएंदूसरों के दर्द कम करते,
घाव भरते,
मैं स्वयं न भरने वाला
एक घाव हो गया हूँ
बहुत ही गहरी वेदना ...
बहुत सुन्दर शब्दों की माला....बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....!
समय न थके इसी में हमारी भलाई है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामना आपको !
बहुत सुन्दर!!!!
जवाब देंहटाएंसुना था समय बड़ा बलवान..........
आज वो भी थक गया...वाह रे मानव....
समय घाव देता भी है , और घाव भरता भी वही है । समय के दो चेहरे हमेशा ही रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
किसी ने दर्द भरने वाले का ...दर्द भी जाना !
जवाब देंहटाएंआपने समय का दर्द पहचाना !
शुभकामनाएँ!
उसे सब कुछ देखना है, बिना शिकायत किये।
जवाब देंहटाएंमैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
जवाब देंहटाएंअथाह सागर हो गया हूँ
मैं अब ठहरना चाहता हूँ
रुकना चाहता हूँ
थम जाना चाहता हूँ
... यकीन करो मैं थक चला हूँ ....
बहुत खूब आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
आपको रामनवमी और मूर्खदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 02/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
sach kaha samay bada balwan,
जवाब देंहटाएंसमय रुक गया तो बहुत कुछ रुक जायगा .. शायद ये श्रृष्टि भी रुक जायगी ... उसे तो चलना ही होगा ...
जवाब देंहटाएंसमय के शरीर पर जख्म ही जख्म !!!!!!!
जवाब देंहटाएंमौलिक भावों वाली अच्छी कविता।
मैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
जवाब देंहटाएंअथाह सागर हो गया हूँ
सच्ची और सार्थक अभिव्यक्ति
समय के मनोभावों को सार्थकता से उकेरा है।
जवाब देंहटाएंसमय तो बलवान है ना , अगर वो कमजोर पड़ा तो इस उक्ति की जगह क्या लिख आजायेगा . आइये समय के हाथो को हम और सशक्त करें , यही मानवता के हित में होगा . सुँदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर...कालचक्र रुक नहीं सकता पर व्यथित तो वह भी है...उसकी कौन सुने!
जवाब देंहटाएंसच तो ये है कि मेरे भी दो चेहरे हैं
जवाब देंहटाएंमैं अधीर हूँ
दूसरों के दर्द कम करते,
घाव भरते,
मैं स्वयं न भरने वाला
एक घाव हो गया हूँ
समय की पीड़ा .... और उसके दो चेहरे ... गहन अनुभूति ... और वक़्त ही है जो मरहम भी लगाता है ...
वाह ! बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है समय के दर्द को..
जवाब देंहटाएंसमय की शिला पर खींचे चित्र कितने किसी ने बनाये किसी मिटाए ....... मर्मस्पर्शी चित्रण./
जवाब देंहटाएंBahut khoob....par samay kabhi nahee thahar sakta....ye uskee qismat nahee!
जवाब देंहटाएंसमय के महत्व को जो नहीं समझा वह समझो जीवन समर में चूक गया।
जवाब देंहटाएंसमय और नारी के बीच शायद यही समानता है ...सब कुछ झेलते हुए भी चलते जाना है .....नहीं तो सब ख़त्म ......बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी कविता !
जवाब देंहटाएंsamay par hi sab jeevan nirbhar hai samay anukool to sab kuch sahi yadi
जवाब देंहटाएंpratikool to sab takleefon ki jad.
bahut achche bhaav bahut sundar prastuti.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएं.... क्या बेहतरीन कविता है.
समय बड़ा बलवान!...समय के बारे में बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार!
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंदूसरों के दर्द कम करते,
जवाब देंहटाएंघाव भरते,
मैं स्वयं न भरने वाला
एक घाव हो गया हूँ
समय का दर्द....
सुंदर कविता...
सादर।
गहन अनुभूति ..
जवाब देंहटाएंshbd sanyojan ati uttam...good
जवाब देंहटाएंयह समय के हिसाब से हमारे लगातार अप्रासंगिक होते जाने की दास्तान है।
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सटीक अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंसमय की सटीक व्याख्या......
जवाब देंहटाएंमैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
जवाब देंहटाएंअथाह सागर हो गया हूँ
मैं अब ठहरना चाहता हूँ
रुकना चाहता हूँ
थम जाना चाहता हूँ.
बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
हर पहलू को उजागर किया है आपने.
जवाब देंहटाएंसमय सबसे बड़ा मरहम भी होता है.
समय रुक जाये यह हम भी तो चाहते हैं कभी कभी । और कभी कभी लगता है कि समय ठहर सा गया है पर समय अपनी गति से चलता ही रहता है ।
जवाब देंहटाएंसमय का दर्द समझा अपने वाह ।
जी,सुंदर रचना । समय तो सारे जख्म भर देता है और अपने साथ जिंदगी को नये अवसर देता है।
जवाब देंहटाएंkuch naya padhne ko mila..bahut achchi rachna
जवाब देंहटाएंतुम रुक गए तो
जवाब देंहटाएंदुनिया खत्म हो जाएगी .....
यूँ मत करना समय .....!!
वक़्त की व्यथा का बहुत सुन्दर चित्रांकन...बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवक्त अपनी गति से हमेशा आगे ही बढता रहेगा ..हमेशा ही
जवाब देंहटाएंसमय के माध्यम से इंसान की व्यथा की प्रभावशाली प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंमैं घाव, दुःख, दर्द, परेशानियों का
जवाब देंहटाएंअथाह सागर हो गया हूँ
मैं अब ठहरना चाहता हूँ
रुकना चाहता हूँ
थम जाना चाहता हूँ..... बहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
समय थक गया तो हम कहन जायेंगे ............
जवाब देंहटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/04/3.html#comments
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंसमय हर अच्छे बुरे का साक्छ होता है..
जवाब देंहटाएंसमय हमारी सांसो के साथ चलता रहता है....
समय पर बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.....