धूप-छाँव
धरती मैय्या की गोद में
खेलते खेलते
धूप कब बड़ी हो गई
पता ही नहीं चला.
वो तो एक दिन
एक मजबूत दरख्त से
उसे लिपटते देखा
फिर क्या था...
प्यार के फूलों से लद गया वो पेड़
फिर फल, फिर नयी संतति
असमंजस में थी कैसे हुआ ये सब
नटखट हवा बोली
अभी कुछ दिन पहले ही तो
धूप ने इस दरख्त संग सात फेरे लिए हैं
कन्या दान भी किया है
धरती मैय्या ने
और दहेज... में दिया है
अपनी जमा पूंजी से
पानी, गृहस्थी चलाने को कुछ पोषकतत्व
और अखंड सौभाग्यवती होने का आशीष
सोचती हूँ....
बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण रचना,..
जवाब देंहटाएंअनुरोध है कि मेरे पोस्ट पर आए स्वागत है,....
मेरी नई रचना --"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़.... में klick करे...
वाह ! जीवन और प्रकृति का अद्भुत संगम ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
प्रकृति सभी को प्यार दे रही।
जवाब देंहटाएंवाह! आदरणीय रचना जी आपकी कल्पनाशीलता अचंभित करती है... हर बार नयी सी सोच... कमाल की रचना है यह....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....
सुंदर और अनोखे अंदाज में धूप की कहानी ..!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना ! बधाई ...
जाड़ों में खिली खिली सी धूप और उसका प्यार रोमांचित कर गया ...
जवाब देंहटाएंकमाल है रचना जी आपका.
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआखिर दहेज़ के प्रतिमान शास्वत रहेंगे ही .......
जवाब देंहटाएंसुन्दर आख्यान काव्य के स्वरुप में ...../
ati sunder.
जवाब देंहटाएंधूप का बड़ा हो जाना...... और जीवन की कहानी इस मानवीयकरण के माध्यम से सजीव हो उठी हैं,...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई है इस रचना में .......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
उम्दा भाव..
जवाब देंहटाएंkya vaejyanik soch hai
जवाब देंहटाएंsunder bhav
rachana
prateekon se sundarta pradan ki hai aapne apne ehsason ko. sunder kriti.
जवाब देंहटाएंधूप मजबूत दरख़्त से लिपटी और पेड़ फलदार हुआ ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति की अद्भुत छवियों का मानवीकरण शब्दों में बहुत बेहतर हुआ !
बहुत बहुत सुन्दर..........
जवाब देंहटाएंधरती की बिटिया धुप ! क्या बात है...
जवाब देंहटाएंअद्भुत ..निशब्द हूँ ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति और परस्पर संबंधों को भावपूर्ण रूप से प्रस्तुत करती बहुत सुंदर रचना...शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की आपको व आपके समस्त परिवार को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
प्यारे भाव, प्यारी कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
लम्बे अन्तराल के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ. आपकी बेजोड़ कल्पना शक्ति की परिचायक एक और रचना "धूप बड़ी हो गई" पढने को मिली - धन्यवाद्. सपरिवार नव वर्ष की मंगल कामना - सादर
जवाब देंहटाएंगोद में खेलते खेलते धूप कब बड़ी हो गई
जवाब देंहटाएंसुन्दर बात रचना जी!
नववर्ष की शुभकामनाएं।
जिधर का पता भूल गई हैं
कभी कभी उधर भी आएं।
अर्ज किया है
पत्थर पै मेरा घर है
थक जाएं कहीं पग ना
वर्षों से घूप मीठी
आयी नहीं है अंगना।।
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंhighly appreciable !
जवाब देंहटाएंप्रकृति की गोद में निरंतर अनेकों अद्भुत प्रेम कहानियाँ घटित हो रही हैं। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंdharti maa ka ashirwavad bana rahen yahi kamana hai..
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.. sabko navvarsh mangalmay ho..
Greetings... your blog is very interesting and beautifully written.
जवाब देंहटाएं