अहाता
यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं
अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं
गिरती हुईं दीवारें, कहीं छत से झड़ते पलस्तर हैं
मिश्री सी मीठी बातें कहीं स्वर कर्कश और कंटीले हैं
उम्मीद के दरख्तों से झूलती खुशामद की लताएँ है
कहीं मायूसी के झाडों पे मुरझाये फूल पीले हैं
चलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
लगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं
आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है
जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें हैं
उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है
वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है
इक मोड पे ठहरी हूँ, दिखती मुझे मंजिल है
मेरे घर से मंजिल का सफर उफ्फ्फ...रस्ते पथरीले हैं
हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं
यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं
अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंसादर --
बधाई |
सुंदर रचना , अच्छे भाव
जवाब देंहटाएंयादों के अहाते के माध्यम से आपने खूबसूरत अहसास कराया है.आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति दिल को छूती है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका.
रचना जी,मुझे आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार है.
बहुत अच्छी याद समेत दी है आपने ....लिखती रहे
जवाब देंहटाएंसही कहा । पुराने मकाँ से कई खट्टी मीठी यादें जुडी रहती हैं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल ।
हवेली क्या ग़ालिब की है ?
यादों की हवेली और उसके गलियारे में बिछे खट्टे-मीठे अनुभव फ्लैश बैक में ले जाते हैं!! भावों की अभिव्यक्ति दिल तक पहुँचती है!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंसादर --
बधाई |
आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें है
जवाब देंहटाएंउस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है
हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं
वैसे तो पूरी रचना ही गज़ब की है पर यह कुछ ज्यादा विशेष लगे ... बहुत खूबसूरती से कही है अपनी बात ..
उन्माद व अवसाद, जीवन के दो अंग हैं, साथ साथ रहेंगे।
जवाब देंहटाएं@
जवाब देंहटाएंउस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है
वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है ..
वाह,बहुत बढियां.
Yaado k ahate me hansi ki chehak yaad dilati sundar rachna.. rachna Di :)
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhivykti .khushee gum dhoop chaya se sath sath hee rahte hai........ isee dour se hokar jindagee gujartee hai.
जवाब देंहटाएंAabhar
हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
जवाब देंहटाएंये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं
वाह वाह!! बहुत उम्दा...
सादर...
आपकी रचना मौलिकता के साथ यथार्थ लिए होती है ,जो मुझे पढ़ने को मजबूर करती है ,रुचिकर एवं प्रवाह मयी
जवाब देंहटाएं..शुक्रिया जी /
बहुत अच्छी यादे समेटी है ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंwaah rachna ji..kmaal ka likha hai...
जवाब देंहटाएंवाह ..कितना कुछ या यूँ कहें पूरे जीवन के उतार-चढ़ाव समेटे हैं यादों के अहाते ....
जवाब देंहटाएंbohot sundar likha hai aapne
जवाब देंहटाएंयादों के अहाते में कई टीले उभर ही आते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंयादों के आहते से बहुत सी संवेदनाएं निकल रही हैं आज... उन्हें कविता के जरिये ताज़ी धूप दिखा रही हैं आप... अच्छी कविता...
जवाब देंहटाएंयादों के अहाते में विचरती भावनाओं को
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत और प्रभावशाली शब्दों से
सजाया , सँवारा गया है ...
बहुत अच्छी रचना है ,,, बधाई .
प्रस्तुति मन को छू गयी । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
"हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
जवाब देंहटाएंये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले है"
चलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
जवाब देंहटाएंलगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं
waah... badee hi apni si abhivyakti
यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.
जवाब देंहटाएंबस सच्चाई यही है....गम हैं तो खुशियाँ भी हैं..यादों के अहाते यूँ ही बसते रहें..
सुन्दर कविता
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन कविता ... बहुत दिन बाद इतनी सुन्दर कविता पढ़ा ...
जवाब देंहटाएंrachna ji
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi badhiya prastuti
har panktiyan bhav -vibhor kar jaati hain kiski tarrif karun.
bahut hi shandar abhivykti
poonam
बहुत गहन भाव... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंvah rachna ji
जवाब देंहटाएंbahut khubsurt rachna
इस नज़्म में टीस है, अहसास है और मधुर स्वप्न है।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना...गहरे भाव!!
जवाब देंहटाएंचलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
जवाब देंहटाएंलगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं
और ये
उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है ।
बिलकुल जिंदगी की तरह ।
मकानों में बसी होती हैं खट्टी-मीठी यादें ...बहुत भावपूर्ण और सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!
हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
जवाब देंहटाएंये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं
बहुत खूब कहा है आपने इस प्रस्तुति में ।
ye jeewan hai....is jiwan ka yahi hai rang roop.....sunder prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंहर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं ..
जवाब देंहटाएंहर शेर अलग अलग अंदाज़ का है ... कभी कभी आंसू भी क्या कमाल कर जाते अहिं ... बहुत खूब ..
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-631,चर्चाकार --- दिलबाग विर्क
यादों के अहाते से एक अच्छी रचना,बधाई , लाजवाब रचना......!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सर्थक रचना|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!
YAADON KE AHAATE MEIN UJADNE
जवाब देंहटाएंBASNE KE KAEE KISSE HAIN
IS MISRE MEIN GOYA AAPNE
GAGAR MEIN SAAGAR BHAR DIYAA HAI .
आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें हैं
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
रचनी जी,
जवाब देंहटाएंआनंद की यादें तो इस शेर की मोहताज हैं...
यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं
अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.