पुल
एक पुल ने दिल लगाया भी तो पहियों से,
छोटे-बड़े, मोटे-पतले.
दिल भले ही साफ़ रहा हो
पर दिखने में एकदम काले.
देता रहा अपने चौड़े सीने पर
सबको सहारा,
प्यार, लाड, दुलार
रौंदते रहे पहिये उसे हर दम
नहीं मिला उसे एक पल भी आराम
बदले में
नहीं माँगा उसने कभी
सीमेंट, सरिया, पानी, पेंट.
कभी सुना था उसने
बिन मांगे मोती मिले
मांगे मिले न भीख.
पर एक दिन
टाटा, बजाज, महिंद्रा, मारुती,
सबका प्यार सीने में दफ़न किये
अपने ही मौत मर गया बेचारा.
पर एक दिन
टाटा, बजाज, महिंद्रा, मारुती,
सबका प्यार सीने में दफ़न किये
अपने ही मौत मर गया बेचारा.
कमज़ोर समाज का क्या भला कर सकते हैं ?
जवाब देंहटाएंमनुष्य के लोभ का शिकार हो गया पुल बेचारा ।
सोचने पर मजबूर करती रचना ।
सुन्दर ।
पर एक दिन
जवाब देंहटाएंटाटा, बजाज, महिंद्रा, मारुती,
सबका प्यार सीने में दफ़न किये
अपने ही मौत मर गया बेचारा.
बहुत ही गहन भाव लिए कविता।
सादर
मार्मिक भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंनया दृष्टिकोण... पुल के बहाने एक सार्थक संकेतात्मक चिंतन...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
सादर साधुवाद....
अंतर्मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ....
जवाब देंहटाएंpul ka bimb lekar kafi gahan abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
गहन रचना |सोचने पर मजबूर करती हुई |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंरचना जी!
जवाब देंहटाएंचलिए वह पुल तो सद्गति को प्राप्त हुआ, लेकिन इस देश में कई ऐसे भी पुल हैं जो सिर्फ कागजों पर बने और उन्हें टाटा, महिन्द्रा और मारुती का मर्दन भी नसीब न हुआ!!
हम दूसरों के बारे में सोचते ही कब हैं , हमें तो अपने फ़ायदे से मतलब है तो पुल की क्यों सोचें ...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक ...
ek jarjar pool kee marmik dasha...
जवाब देंहटाएंदो किनारों को जोड़ने वाला पुल जीवन की धड़कन है।
जवाब देंहटाएंहमें दीवारे नहीं पुल चाहिए ....लेकिन पुल जब अपनी अवस्था पर रो रहा तो क्या किया जा सकता है ...उसकी हालत को आपने सुंदर शब्द दिए हैं ......
जवाब देंहटाएंबिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख.
पर एक दिन
टाटा, बजाज, महिंद्रा, मारुती,
सबका प्यार सीने में दफ़न किये
अपने ही मौत मर गया बेचारा.
इससे और दर्दनाक स्थिति क्या हो सकती है .....!
पुल के माध्यम से सांकेतिक दुर्दशा को अभिव्यक्त किया है ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut khoob rachna ji..pul ko lekar bahut kuchh kah diya aapne..
जवाब देंहटाएंPpl around u r really lucky to hav u.. u r too empathetic to feel one's pain... n dis made me love u n ur lines.. :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंनियति पुल की...
जवाब देंहटाएंआदरणीय रचना जी!
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत ही गहन भाव लिए कविता।
बेहद खूबसूरत आपकी लेखनी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, शब्दों से मन झंझावत से भर जाता है यही तो है कलम का जादू बधाई
एक पुल की व्यथा - अच्छा विषय है
जवाब देंहटाएंएक बेजुबान और बेजान पुल की सहन शक्ति और परोपकार भावना से क्या हम इंसान भी सहनशीलता और परोपकार की सीख नहीं ले सकते ? आपकी कविता में यह सवाल भी तो छुपा हुआ है ! इस अच्छी ,भावपूर्ण कविता के लिए बधाई . आभार.
जवाब देंहटाएंगहन भावों का समावेश ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंपुल ने दिल लगाया तो कीमत तो अदा करनी ही होगी...इसीलिए बुजुर्गों ने कहा है.. इस बेमुरव्वत दुनिया में किसी से दिल न लगाना...बेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंदो किनारों को पाटने/जोड़ने वाले पुल की वेदना का मार्मिक चित्रण - आभार
जवाब देंहटाएंjahan na pahuche ravi...vaha pahuche kavi is bat ko charitarth kar diya aapki is soch ne jo pul ki vyatha likh dali. saansarik samaj me bhi ek jimmedar insan ki yahi vyatha hai. sunder bimb prayog.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !!!!
जवाब देंहटाएंwah kya baat hai .
जवाब देंहटाएंPar isaka jimmedaar vo nahee jisko isene dil diya .
:(
badiya kataksh .
AAPKEE KAVITA KE TEWAR KHOOB HAIN.
जवाब देंहटाएंBHAVABHIVYAKTI MARMIK HAI .BADHAEE.
Rachna jee आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
जवाब देंहटाएंआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
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MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये
विचारणीय मार्मिक भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत गहन,बेहतरीन,आभार.
जवाब देंहटाएंpul ki bhasha...
जवाब देंहटाएंwakai aisa hi to hota hai...
abhar
पुल ने तो सबको ही सहारा दिया था।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता......
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में ... आईनों के शहर का वो शख्स था
इशारों से बहुत कुछ कह डाला आपने.....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना....!!!
सबका प्यार सीने में दफ़न किये
जवाब देंहटाएंअपने ही मौत मर गया बेचारा.
....एक पुल के माध्यम से गहन जीवन दर्शन को बहुत प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त कर दिया..बहुत सुन्दर
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबेचारा पुल ... दिल लगाने की सजा मिल गयी उसे ... अच्छा लिखा है बहुत ...
जवाब देंहटाएंकाले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं ....
जवाब देंहटाएं:))
दो किनारों पर बसे लोगों को मिलाने के लिए पुल ही तो सहारा है। समझना चाहिए सभी को..देखभाल करनी चाहिए हर एक पुल की फिर चाहे वो सिमेंट सरिया के हों या...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात...
जवाब देंहटाएंInteresting site. Great post, keep up all the work.
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