ये किसकी है आहट...
केसरिया परदे के पीछे
सांवरी रात अलसाने लगी है.
कपासी बादलों से सुनने को लोरी
निशा सलोनी मचलने लगी है.
सुनहरी किरणों से निकल कर परियां
जादू नया जागने लगी हैं.
इतरा के, इठला के, बल खा के,
धूप की कलियाँ चटखने लगी हैं.
फूल, पत्तों, दूब और पेड़ों से
ओस की बूंदें विदाई लेने लगी हैं.
ये किसके स्वागत को देखो
दिशाएं सजने सवरने लगी हैं.
लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
उस सवेरे के आने की आहट होने लगी है.
केसरिया परदे के पीछे
सांवरी रात अलसाने लगी है.
निशा, जादू, ओस, सुनहरी, केसरिया, बादल, किरणे, रचना, हिंदी कविता,
नयी सुबह के संकेत हैं ये सब।
जवाब देंहटाएंप्रकृति की विविधताओं का खूबसूरत वर्णन करती ताजा नीर की बहती सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंलिपट के रात की बाँहों में सोया था,
जवाब देंहटाएंउस सवेरे के आने की आहट होने लगी है
ताजगी युक्त शब्दों और भावों से परिपूर्ण एक सशक्त कविता।
naye ka sanket hai ye
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर और मनोहारी चित्रण किया है।
जवाब देंहटाएंसुखद सवेरा ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
पूर्व की तरह ही नए भावभूमि पर रचित है यह कविता..
जवाब देंहटाएंसूरज के आगमन की तैयारी ... बहुत ही कोमल शब्दों से अगुआई है भोर की ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंlaajwaab prastuti
जवाब देंहटाएंवाह एक सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरस स्निग्ध रचना , मन के भावों को पढ़ती हुयी ,सुन्दर है
जवाब देंहटाएंसाधुवाद जी /
acchhe bimbo ka prayog kar sunder nayi subeh ka chitran kiya hai.
जवाब देंहटाएंpoore desh ko isee subah ka intzar hai
जवाब देंहटाएंbahut sunder abhivykti .
नए सवेरे की आहट मुबारक हो ...सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रंगमयी रचना है,रचना जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंगीन भावों से ओत प्रोत,
कोमल अहसासों को जगाती हुई.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कीजियेगा.
बीती विभावरी जाग री
जवाब देंहटाएंअम्बर पनघट में डुबो रही , ताराघट उषा नागरी.
वो सुबह जरूर आएगी....शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंखूब सूरत रचना,बढ़िया पोस्ट,,आभार.
जवाब देंहटाएंआपको कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनायें और बधाइयाँ.
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत रचना! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
अनुपम प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की शुभकामनाएं.
बहुत खूबसूरत चित्रण । जन्माष्टमी की बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंsunhari subah ke aagman ka sunder varnan...
जवाब देंहटाएंसुनहरी किरणों से निकल कर परियां
जवाब देंहटाएंजादू नया जागने लगी हैं.
इतरा के, इठला के, बल खा के,
धूप की कलियाँ चटखने लगी हैं.
behad sundar pantiya ... love this poem
लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
जवाब देंहटाएंउस सवेरे के आने की आहट होने लगी है
... Dastak kisi naye savere ki.. sundar rachna :)
कई संकेतों से युक्त बहुत सुन्दर गीत है.
जवाब देंहटाएं,फूल, पत्तों, दूब और पेड़ों से ओस की बूंदें विदाई लेने लगी हैं. ये किसके स्वागत को देखो दिशाएं सजने सवरने लगी हैं.
जवाब देंहटाएंlagta hai subah honi lagi hai
indagi naye rang me dhalne lagi hai
rachna bahut sundar hai .
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति का सुन्दर चित्रण किया है आपने.
जवाब देंहटाएंलिपट कर रात की बाहों से सोया था ,
जवाब देंहटाएंउस सबेरे के आने की आहट सी होने लगी है । वाह रचना ही क्या पंक्तियाँ हैं। सुन्दर रचना।
केसरिया परदे के पीछे
जवाब देंहटाएंसांवरी रात अलसाने लगी है.
वाह रचना जी क्या गजब की पंक्तियाँ हैं !
http://urvija.parikalpnaa.com/2011/08/blog-post_25.html
जवाब देंहटाएंnaya blog bahut hi sundar hai ,naari jagat me pahunch kar badi khushi hui .
जवाब देंहटाएंalag tarah ki rachna lagi..mza aa gya..
जवाब देंहटाएंसचमुच हालात बहुत खराब हो चले हैं
जवाब देंहटाएंलिपट के रात की बाँहों में सोया था,
जवाब देंहटाएंउस सवेरे के आने की आहट होने लगी है
भावों से परिपूर्ण सुन्दर रचना
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
जवाब देंहटाएंदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
कुँवर कुसुमेश
आया फिर नूतन प्रभात...
जवाब देंहटाएंछटा तिमिर बीती है रात!
रचना माँ,
नमस्ते!
आशीष
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