रविवार, 21 अगस्त 2011

ये किसकी है आहट...

ये किसकी है आहट...


केसरिया परदे के पीछे 
सांवरी रात अलसाने लगी है.  
कपासी बादलों से सुनने को लोरी
निशा सलोनी मचलने लगी है.

सुनहरी किरणों से निकल कर परियां 
जादू नया जागने लगी हैं. 
इतरा के, इठला के, बल खा के, 
धूप की कलियाँ चटखने लगी हैं.

फूल, पत्तों, दूब और पेड़ों से 
ओस की बूंदें विदाई लेने लगी हैं. 
ये किसके स्वागत को देखो
दिशाएं सजने सवरने लगी हैं.

लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
उस सवेरे के आने की आहट होने लगी है.

केसरिया परदे के पीछे 
सांवरी रात अलसाने लगी है.

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39 टिप्‍पणियां:

  1. प्रकृति की विविधताओं का खूबसूरत वर्णन करती ताजा नीर की बहती सुन्दर रचना ।

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  2. लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
    उस सवेरे के आने की आहट होने लगी है

    ताजगी युक्त शब्दों और भावों से परिपूर्ण एक सशक्त कविता।

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  3. वाह बहुत सुन्दर और मनोहारी चित्रण किया है।

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  4. सुखद सवेरा ....
    शुभकामनायें आपको !

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  5. पूर्व की तरह ही नए भावभूमि पर रचित है यह कविता..

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  6. सूरज के आगमन की तैयारी ... बहुत ही कोमल शब्दों से अगुआई है भोर की ... लाजवाब ...

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  7. रस स्निग्ध रचना , मन के भावों को पढ़ती हुयी ,सुन्दर है
    साधुवाद जी /

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  8. poore desh ko isee subah ka intzar hai

    bahut sunder abhivykti .

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  9. नए सवेरे की आहट मुबारक हो ...सुन्दर प्रस्तुति

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  10. बेहतरीन रंगमयी रचना है,रचना जी.
    सुन्दर रंगीन भावों से ओत प्रोत,
    कोमल अहसासों को जगाती हुई.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार प्रकट कीजियेगा.

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  11. बीती विभावरी जाग री
    अम्बर पनघट में डुबो रही , ताराघट उषा नागरी.

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  12. वो सुबह जरूर आएगी....शुभकामनाएँ...

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  13. खूब सूरत रचना,बढ़िया पोस्ट,,आभार.
    आपको कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की शुभकामनायें और बधाइयाँ.

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  14. आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    बेहद ख़ूबसूरत रचना! उम्दा प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  15. अनुपम प्रस्तुति .
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएं.

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  16. बहुत खूबसूरत चित्रण । जन्माष्टमी की बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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  17. सुनहरी किरणों से निकल कर परियां
    जादू नया जागने लगी हैं.
    इतरा के, इठला के, बल खा के,
    धूप की कलियाँ चटखने लगी हैं.

    behad sundar pantiya ... love this poem

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  18. लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
    उस सवेरे के आने की आहट होने लगी है
    ... Dastak kisi naye savere ki.. sundar rachna :)

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  19. कई संकेतों से युक्त बहुत सुन्दर गीत है.

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  20. ,फूल, पत्तों, दूब और पेड़ों से ओस की बूंदें विदाई लेने लगी हैं. ये किसके स्वागत को देखो दिशाएं सजने सवरने लगी हैं.
    lagta hai subah honi lagi hai
    indagi naye rang me dhalne lagi hai
    rachna bahut sundar hai .

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  21. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  22. प्रकृति का सुन्दर चित्रण किया है आपने.

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  23. लिपट कर रात की बाहों से सोया था ,
    उस सबेरे के आने की आहट सी होने लगी है । वाह रचना ही क्या पंक्तियाँ हैं। सुन्दर रचना।

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  24. केसरिया परदे के पीछे
    सांवरी रात अलसाने लगी है.


    वाह रचना जी क्या गजब की पंक्तियाँ हैं !

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  25. सचमुच हालात बहुत खराब हो चले हैं

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  26. लिपट के रात की बाँहों में सोया था,
    उस सवेरे के आने की आहट होने लगी है

    भावों से परिपूर्ण सुन्दर रचना

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  27. जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
    दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
    ईद मुबारक
    कुँवर कुसुमेश

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  28. आया फिर नूतन प्रभात...
    छटा तिमिर बीती है रात!
    रचना माँ,
    नमस्ते!
    आशीष

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