आहट
हर दिन की शुरुआत होती है,
आवाजों से...
घंटी की घनघनाहट...
कूड़े वाला, ढूधवाला, गाड़ी साफ करने वाला.
काम वाली की आहट.
बर्तनों की खनखनाहट...
पास से गुजरती रेलगाड़ी
और उसकी झनझनाहट...
बारह बजते बजते
शांत सा होने लगता है सब कुछ,
फिर रसोई में
कुकर की सनसनाहट...
मिक्सी की मिमियाहट...
चकले बेलन की चिचियाहट...
तीन बजे जब शरीर पलंग को छूता है
शरीर के अंगों से आती थरथराहट...
अनसुनी कर देती हूँ
फिर शाम पार्क से
आती हवा की सरसराहट...
क्रिकेट खेलते बच्चों की किटकिटाहट...
सैर करती महिलाओं की खिलखिलाहट...
लोरी गाती माँ की गुनगुनाहट...
कितना शोर, कितनी आवाजें आती हैं
इस घर में, सारा दिन, सब कहते हैं
रात को जब बिस्तर से लगती हूँ
आती हैं मन से तरह तरह की आवाजें
सुनती हूँ, समझती हूँ, समझाती हूँ,
सहलाती हूँ, पुचकारती हूँ और चुप करा देती हूँ.
क्योंकि माहिर हूँ मैं इस काम में,
पर कभी जिद्द पर अड़ जाती हैं.
कुछ आवाजें
आँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में,
न जाने घर में
किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय ?
आदरणीय रचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
मनोभावों को व्यक्त करती
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.दिल को स्पर्श करती हुई
शुभ कामनाएं.
हर दिन ऐसा ही होता होता है हर गृहणी के लिए उसके कामो का बहुत ही सुन्दरता से अभिवयक्त किया है आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर बिम्बों और प्रतिमानों से सुसज्जित रचना मन को मुग्ध कर गयी ! बधाई एवं शुभकामनायें !
"न जाने घर में किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं ये आवाजें मेरे सिवाय?"
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील हृदय की व्यथा की जीवंत अभिव्यक्ति
आवाजें ! जो सुन सकते हैं वो खुशकिस्मत हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी , सरल और बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति ! शुभकामनाएँ !
subhah hone waale shor ko bahut khoob darshaya hai ,badhai sundar rachna ke liye ,sabhi itne vyast ho jate hai ki is shor ke aadi ho jaate hai aur ansuna kar dete hai ,kyonki kaam ko taala nahi ja sakta .sundar .
जवाब देंहटाएंआवाजों के बहाने पूरी दिनचर्या सुना दी रचना जी ।
जवाब देंहटाएंहम भारतीय भाग्यशाली हैं कि यहाँ ये आवाजें सुनाई तो देती हैं । वरना विकसित देशों में तरस जाते हैं लोग चिड़ियों की चहचाहट सुनने के लिए ।
अंत में अंतर्मन की आवाज़ों में संवेदना दिखाई दे रही है । सच कहा , इन्हें सुनने वाला अपने सिवाय कोई नहीं होता ।
बहुत ही उत्तम.
जवाब देंहटाएंतिवारी जी बहुत ही सही लिखा है.
आप खुशकिस्मत हैं जो ये आवाजें सुन सकते है.
सलाम.
संवेदनशील विषय-वस्तु पर आधारित भावनाएं. अच्छी कविता . आभार .
जवाब देंहटाएंसूक्ष्म अवलोकनों से भरी भावपूरित कविता।
जवाब देंहटाएंयही आवाजें जीवन का कितन अहम् हिस्सा हैं..... आपने इन्हें सुन्दरता से समेटा ..... जीवंत रचना ... सुंदर
जवाब देंहटाएं"न जाने घर में किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं ये आवाजें मेरे सिवाय?"
जवाब देंहटाएंइन आवाज़ों को सुनने के लिये दिल चाहिये होता है और वो आजकल कहाँ मिलता है?
एक बेहद खूबसूरत मन को छूती अभिव्यक्ति बहुत पसन्द आई।
आदरणीय रचना दीक्षित जी नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआवाजों के बहाने पूरी दिनचर्या सुना दी
sundar aahat
कुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में,
न जाने घर में
किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय ?
sunna nahi chahta koi , sunker ansuna andekha kerte hain
बहुत खुबसुरत रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुन्दर संवेदनशील रचना..
जवाब देंहटाएंकुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में
न जाने घर में
किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय ?
कविता में मन-हृदय को प्रभावित करने की क्षमता है।
अच्छी रचना...शुभकामनाएं।
संवेदनशीलता परिपूर्ण रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , बढ़िया कल्पना शीलता के लिए शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंYahee aawazen to zindagee kaa astitv jatatee rahtee hain!Aapki rachana padhte hue,saaree aawaazen sunayi deen!
जवाब देंहटाएंHar din dhero aawazo me khud ki awaaz sune ka waqt nahi milta aur raat k sannate me ye awaazein behad mukhar ho uthti hain.. jagaye rakhti hain... agar koi sunne wala ho to baatein ban jati hain aur na ho to kavita.. behad sundar rachna Rachna ji :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...मन की व्यथा का बहुत सजीव चित्रण ....
जवाब देंहटाएंमेरी सुभकामनाये
कुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में,
न जाने घर में
किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय ? .....
हृदयस्पर्शी पंक्तियां हैं.... अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।
awazon se ghire shanti chahak man ki sunder abhivyakti..
जवाब देंहटाएंरचना जी!
जवाब देंहटाएंकुछ आवाज़ें ज़ुबान से नहीं आँखों से अयाँ होती हैं.. कुछ आँसुओं की भाषा में बात करती हैं.. अंतिम पंक्तियों ने दिल को छुआ है!!
कुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में.....
सुन्दर प्रयोग.....
संवेदनशील अभिव्यक्ति.....आभार .
बहुत ही अच्छी , सरल और बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते
बाहर आती हैं
फैल जाती हैं
पूरे कमरे में,
न जाने घर में
किसी को
क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय
पूरी दिनचर्या के बाद बहुत ही संवेदनशील पंक्तियाँ कह दीं ... मैं बी उन आवाजों को सुनती हूँ जो केवल मुझे सुनाई देती हैं ..
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, दिल को छू गई,
जवाब देंहटाएंरचना माँ,
जवाब देंहटाएंनमस्ते!
सबसे पहले तो ब्लॉग का हरा-भरा कलेवर बहुत अच्छा लगा....
दिन वाली सारी आवाजें मुझे भी सुनायी देती हैं....
रात वाली तो आप कह ही चुकी हो, के आपके सिवाय किसी को सुनाई नहीं देती!!!
हा हा हा...
आशीष
---
लम्हा!!!
आँखों के रास्ते आने वाली आवाजें क्यों सुनायी नहीं देती सबको मेरे सिवाय ...
जवाब देंहटाएंइतनी सारी शोरगुल वाली आवाज़ों में यह धीमी सी फुसफुसाहट कौन सुनता है या कौन सुनना चाहता है ...या सुनकर अनसुनी हो जाती है ...कौन जाने
लाजवाब !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..मनोभावों को व्यक्त करती
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी..शुभकामनायें.
रचना बहुत सुंदर लगी.
जवाब देंहटाएंदिल की आवाज़ें सुनना सब के बस की बात नही होती इन्सान के पास तो अपनी बात आप सुनने की भी फुरसत नही फिर किसी के दिल की आवाज कैसे सुनेगा? अच्छी रचना के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंrachna ji
जवाब देंहटाएंbahut hi sunadar dhang se aapne bhor ki sgbugahat.sach ye kewal ham mahi laye hi sun sakti hai .din bhar bijjy rahne ke bavjuud.
bahut hi umda prastuti
badhai--------
poonam
aur han abhi bhi swasthy sahi nahi hai tabhi der se hi sabko commet kar pa rahi hun.
जवाब देंहटाएंaapne dil se mere tabiyat ke baare me puchha bahut hi achha laga.
dhanyvaad -dil se-----
poonam
सरल सुंदर व प्रभावी रचना.
जवाब देंहटाएंman ki aawazen kab sunti hain sbko
जवाब देंहटाएंinhen sunne ke lie sine men dil chahie .aap sunti hain tbhi to likha jata hai
achchhi kavita
bdhaai ho
इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति !...मन मोह लिया !...लाजवाब !
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti.
जवाब देंहटाएंaapka about me bhi pasand aya....
एक गृहणी की दिनचर्या, आवाजों के माध्यम से दिन भर की गतिविधियाँ, और नारी मन की ऊब, खीझ और विचलन को बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति दी है ! बहुत ही खूबसूरत और प्रभावशाली रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंहम आभारी हैं
जवाब देंहटाएंउन आवाजों के
जो किसी को सुनाई नहीं देती
बस शब्द बन
बिखर जाती हैं
ब्लॉग पर
जिसे पढ़ते हैं सभी
चाव से
कहते हैं..
वाह!
कितनी प्यारी कविता!
रचना जी, इतनी सुन्दर व भावात्मक रचना हेतु साधुवाद । यह आहच तो तभी जगती है जब विचार शून्य हो जाते हैं और हमारे अवचेतन की सूक्ष्म दृष्टि जागृत हो जाय ।
जवाब देंहटाएंये आवाज़ें थीं या कि दिनचर्या थीं .
जवाब देंहटाएंसोंच रहा हूँ अब तक आख़िर ये क्या थीं.
रोजमर्रा का संगीत - आहट.
जवाब देंहटाएंओह, क्या कविता है. झकझोड़ दी पूरे चिंतन प्रक्रिया को. कविता के अंतिम परिच्छेद की गहराई और भावनाओं का सुन्दर-सजीव चित्रण मन को कमरे में फैली उस अनुगूँज से सीधे जोड़ देता है. वाह!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति..बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण -मगर मुझे तो मिक्सी की आवाज मिमियाती नहीं घरघराती लगती है :)
जवाब देंहटाएंकुछ आवाजें
जवाब देंहटाएंआँखों के रस्ते बाहर आती हैं
फैल जाती हैं पूरे कमरे में,
न जाने घर में
किसी को क्यों नहीं सुनाई देती हैं
ये आवाजें मेरे सिवाय ?
samvedansheela ki hadd ko darshaya aapne..tabhi to khankhanahat, kharkharahat, chichiahat, kitkitahat...sabko saket liya apne...sabdo me..:)
संवेदनशील विषय-वस्तु पर आधारित भावनाएं. अच्छी कविता . आभार .
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत,दिल को स्पर्श करती कविता.