सरगम
रीत गया दिन सब पीत हुआ,
अब रक्तारुण होने आया.
स्वप्नचलित से मनोभाव ने,
मन ऐसा भरमाया.
स्पर्श के आकर्षण से वो,
बाहर ना आ पाया.
हो हृदय का राजस्व अपहृत,
नैनों का पलंग बिछाया.
खिल गया सुनहला कमल,
मुख पर मृदु हास ले आया.
मधुर साज़ से सृजित साँझ ने,
साँसों का सरगम मृदुल बजाया.
सुदीर्घ विचुम्बित पलकों को,
मयूर पांख सा पसराया.
सोम सुधा की रेख सजा,
नवल अधर श्रृंगार कराया.
सोम के झरते कणों का मधुपान,
हाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
आज की कविता सरगम.. मन में संगीत उत्पन्न कर दी है.. नया तान छेड़ दिया है... मन जब शीत के पहलु से निकल गुनगुनी धूप में पीले पीले फूलों के बीच वासंती हवा के हिंडोले में झूल रहा हो.. आपकी कविता नई संवेदना उत्पन्न करती है.. लेकिन ऐसा क्यों कि मन तो तृषित ही सुलाना पड़े ! एक सुन्दर कविता के लिए बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.दिल को स्पर्श करती हुई .
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं.
सुंदर शब्दों से अलंकृत अत्यंत भावपूर्ण कृति ...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता. आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अछे शब्दों का श्रींगार से उत्पन्न कविता बधाई
जवाब देंहटाएंसुदीर्घ विचुम्बित पलकों को,
जवाब देंहटाएंमयूर पांख सा पसराया.
सोम सुधा की रेख सजा,
नवल अधर श्रृंगार कराया.
anupam komal bhaw... shringaar ras se abhibhut
आदरणीय रचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
सोम के झरते कणों का मधुपान,
हाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
गज़ब की रचना है शुरू से आखिर तक धाराप्रवाह एक एक शब्द जैसे दिल की तह यक पहुँचता हुआ.....और अंतिम पंक्ति तो बस कमाल है..
बहुत ही खूबसूरती से लिखी सशक्त रचना !
जवाब देंहटाएंबसंत के आगमन पर मनोभावों को बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में चित्रित किया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता.
सादर
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.दिल को स्पर्श करती हुई .
जवाब देंहटाएंशुभ कामनाएं.
सुंदर शब्दों से अलंकृत अत्यंत भावपूर्ण कृति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंरचना जी , बहुत ही गहरे एहसास के साथ बेहतरीन कविता ............ सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
सुंदर शब्द संयोजन .....
जवाब देंहटाएंरचना जी अगर क्षणिकायें लिखतीं हो तो भेजिएगा सरस्वती सुमन के लिए ....
सोम के झरते कणों का मधुपान,
जवाब देंहटाएंहाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
क्या बात है ! बहुत सुन्दर भाव और शब्द संयोजन..बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..
प्यासी आँखों का कुछ भी न कहना,
जवाब देंहटाएंबीती बातों में रह रह कर बहना।
खिल गया सुनहला कमल,
जवाब देंहटाएंमुख पर मृदु हास ले आया.
मधुर साज़ से सृजित संझा ने,
साँसों का सरगम मृदुल बजाया.
आदरणीय रचना दीक्षित जी
नमस्कार !
इस सरगम का हर शब्द मन को भावुक कर गया ....कितनी प्यारी है यह सरगम ...आपका शुक्रिया
सोम के झरते कणों का मधुपान,
जवाब देंहटाएंहाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
.दिल को स्पर्श करती हुई .
शुभ कामनाएं.
मनोभावों को व्यक्त करती सुंदर रचना,पसंद आयी,आभार.
जवाब देंहटाएंrachna ji
जवाब देंहटाएंsarva pratham itna sneh aur pyaar dene ke liye aapkodil ke har kono se bahut bahut badhai .
sach aapke is aseem sneh ne meri aankho me khushi ke aansu bhar diye .ho bhi kyo na ,aakhir ham sab ek parivaar ke sadasy ki tarah jo ho gaye hai.
aapki sargam ne to sachmuch laybadh kar diya.gun gunati dhup jaisi lagi aapki sargam .
bahut bahut badhai---
poonam
बहुत सुंदर रचना जी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशब्द सामर्थ्य, भाव-सम्प्रेषण, संगीतात्मकता, लयात्मकता की दृष्टि से कविता अत्युत्तम है।
जवाब देंहटाएंसुदीर्घ विचुम्बित पलकों को,
जवाब देंहटाएंमयूर पांख सा पसराया.
सोम सुधा की रेख सजा,
नवल अधर श्रृंगार कराया.
bahut madhur ,tasvir bahut pasand aai ,is ritu ki khushboo basi hai rachna me .
अच्छी कविता...... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति..... सशक्त
nice and meaningful configuration of thoughts...
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण शब्दों से अलंकृत रचना ..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर बिम्बों और प्रतिमानों से सुसज्जित मनोहारी रचना मन को मुग्ध कर गयी ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंbasant ke aagman ka manohari chitra khincha hai aapne sabdo me..:)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंसोम के झरते कणों का मधुपान,
जवाब देंहटाएंहाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ...............अत्यंत सुन्दर कविता!
मधुर साज़ से सृजित संझा ने,
जवाब देंहटाएंसाँसों का सरगम मृदुल बजाया.
wah.kina sunder....
सुन्दर कविता है, बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंकोमल भावनाओं को व्यक्त करती यहाँ आपकी रचना पसंद आयी . मेरी बधाई स्वीकारें- अवनीश सिंह चौहान
जवाब देंहटाएंआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
सुदीर्घ विचुम्बित पलकों को,
जवाब देंहटाएंमयूर पांख सा पसराया.
सोम सुधा की रेख सजा,
नवल अधर श्रृंगार कराया.
..बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति
आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सोम के झरते कणों का मधुपान,
जवाब देंहटाएंहाय! मकरंद न कर पाया.
अपने नयन कुंवारों को फिर,
मैंने तृषित सुलाया.
क्या बात है !
बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया शब्द सामर्थ्य के लिए शुभकामनायें
बहुत प्यारी है यह कविता की सरगम।
जवाब देंहटाएंबधाई।
---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
अपने नयन कुंवारों को फिर,
जवाब देंहटाएंमैंने तृषित सुलाया.!!
क्या बात है !प्रेम सौन्दर्य और अतृप्ति की अद्भुत प्रस्तुती ! बधाई !बसंत पंचमी की बधाई !
आदरणीया रचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन !
आपकी रचना को हृदयंगम करना अधीर अंतर्जाल - पाठक के लिए बहुत दुष्कर कार्य भी है ।
धैर्यपूर्वक दो बार पढ़ने पर अंतर्निहित आनन्द और व्यथा का स्पर्श कर विमुग्ध और रोमांचित हूं ।
आप साहित्य के गंभीर पाठकों को जो दे रही हैं, उसका मूल्यांकन कठिन है ।
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार