सच ऐसा भी
मेरे शहर की
झुकी हुई इमारते,
यूँ ही नहीं
गुमनामी में
खो जाना चाहती हैं.
खाक में मिल जाना चाहती हैं.
मिटटी हो जाना चाहती हैं.
उन्हें इन्तेज़ार है,
मजबूत कांधों का,
बाहों का,
जो उन्हें
आगोश में ले सके.
बाहुपाश में समां सके
अपने में समाहित कर सके.
पूर्ण परिपूर्ण सम्पूर्ण कर सके.
हां यह सच है.
मेरे शहर की
झुकी हुई इमारते
राह तक रही हैं
किसी हादसे का.
काश की वो हादसा न हो ... ज झुकें उके कंधे ... समय से पहले उन्हें मिल सके मजबूती ...
जवाब देंहटाएंHadsa ka intjar....use mazbooti pradan krni hi hogi..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (01-06-2015) को "तंबाखू, दिवस नहीं द्दृढ संकल्प की जरुरत है" {चर्चा अंक- 1993} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
धन्यवाद शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंहाद से का ना हो इंतजृार
जवाब देंहटाएंपहले ह मिल जायें मजबूत हाथों के हार।
हर शहर की इमारतों का यही हाल है ...प्यार का सीमेंट तो लगाया ही नहीं ...भूख की रेत से चिनाई करदी ...बहुत खूबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंउफ़..यह त्रासदी हो उससे पहले ही क्यों न कोई उपाय कर लें...भावपूर्ण रचना !
जवाब देंहटाएंसार्थक सत्य
जवाब देंहटाएंहादसे से पहले चेते इंसान, तो शायद कम हो नुकसान....हादसे से सचेत करती सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंआपसे मिलकर प्रसन्नता हुई.
राजकाज है. गिर के मानेंगी.
जवाब देंहटाएंवैसे राह न भी तकें तब भी हादसा , हालांकि यह भी जिंदगी की सच्चाई है , होता ही है। इमारते झुक ही जाती हैं एक दिन , उम्र की इमारतें भला कब अपनी रीढ़ पर रह सकी है ताउम्र। बहुत खूब लिखा है रचना जी।
जवाब देंहटाएंरचना जी, यदि हादसें होने के पहले ही इन्सान उसका सही बंदोबस्त कर ले तो ...लेकिन यही विडंबना है, हम अक्सर हादसों का इंतजार ही करते है! बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकाश आपकी कविता से थोड़ी सजगता आ जाये जिम्मेदार लोगों में
जवाब देंहटाएंसंग्रह योग्य
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