रविवार, 17 मार्च 2013

तुम्हारे लिये

तुम्हारे लिये

एक बार फिर
कल तुमने इतनी दूर से ही
मेरे मन मेरी आत्मा को
मेरे भीतर कहीं दूर तक छुआ.
तुम्हारे शब्द कानों के रास्ते
मेरे शरीर में अब तक 
घुल रहे हैं धीमे धीमे. 
और मैं भी
जानती हूँ ये सब
केवल मेरा मन रखने को
नहीं कहा था तुमने.
इतने इतने इतने सालों बाद भी
तुम्हारी आवाज़ में
वही नयापन वही सच्चाई वही खनक.
वही वही वही सब कुछ था.
तुमने जब कहा
दोपहर सोते हुए सपने में
तुमने मुझे देखा
मैं बोल रही थी उठ जाओ
नहीं तो रात को
नींद नहीं आएगी.
और तुम झपट कर उठ बैठे
फोन पर बताया
आज भी सपने में
मैं सिर्फ तुम्हें ही देखता हूँ.
मैं ... निःशब्द ...
मेरी आँखों की कोरों पे
चमक उठे थे
कुछ बेशकीमती मोती.
चुचाप समेट उन्हें
एक बार फिर
साँस की डोर में
पिरो लिया है
बस तुम्हारे लिए.

27 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन भाव अर्पण ...
    शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  2. कई आवाज़ें ताज़ा रहती हैं हमेशा ... दिल के करीब रहती हैं मुद्दतों तक ... ढलकते आंसू तो बार यूं ही निकल आते हैं ...
    भावमय रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन भावों के साथ सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा अनुभूति की अद्धभुत अभिव्यक्ति !!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर भाव लिए उत्कृष्ट रचना,आभार.

    जवाब देंहटाएं
  6. :-)) ... mujhe to behad maarmik lagi..होली के अवसर पर थोडा गुलाल मेरे तरफ से भी स्वीकार करे

    जवाब देंहटाएं
  7. भाव संसिक्त बिम्ब प्रधान रचना कृपया चुचाप शब्द दुरुस्त करें (चुपचाप )

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर प्रस्तुति आदरेया-
    शुभकामनायें-

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन - बेहतरीन - बेहतरीन
    ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी !!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत भावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर...भाव पूर्ण रचना बहुत अच्छा लगा पढ़ना...

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

    आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अपनेपन से लिखी,अनोखे रिश्ते को दर्शाती रचना!
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...रचना जी!
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत अपनेपन से लिखी,अनोखे रिश्ते को दर्शाती रचना!
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...रचना जी!
    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  15. हम जिससे बेइन्तिहा प्रेम करते हैं उसकी यादें हमारी आँखों में यूँ मोती बन कभी कभी झिलमिला जाते हैं

    जवाब देंहटाएं
  16. बेहतरीन पोस्ट. बेहतरीन भाव....

    जवाब देंहटाएं

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...