साँसे
जब दूर जा रहे थे
तुम मुझसे
मुझे डर था
तुम्हारे वियोग में
कहीं टूट कर बिखर कर
खो न जाएँ मेरी सांसें
तुमने अपने शीत गृह में
सहेज कर रख ली थीं
मेरी सांसें
हर चीज़ को सजाना
संवारना
सहेजना
तुम्हारी आदत जो है
जब ही मायूस हुई हूँ
कुछ खोया है मेरा
तुमने पल भर में ही
मेरा वो मुझे
लौटा दिया है
पर आज नहीं
आज जब मांगी थी
अपनी सांसें वापस
तुमसे
कनखियों से देख
बस मुस्कराए थे
अगले ही पल
उभरी थीं बेबसी
कुछ लकीरें
तुम्हारे चेहरे पे
तुमने कहा था
अब कहाँ वो शीत गृह
अब कहाँ वो सांसें
खोई हुई हैं
मेरी सांसे
तुम्हारी सांसों में
जाने तब से।
साँस और आस अन्तर्पाशित ही रहें...जीवन आनन्दमय बना रहता है..
जवाब देंहटाएंसाँसों से जो बंधी डोर..
जवाब देंहटाएंसांसों का सांसों में समाना ही प्यार है .
जवाब देंहटाएंसासों को रोकती रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
बहुत सुंदर रचना, जीवन से जुड़े भाव
जवाब देंहटाएंसाँसों से साँसों का मिलन ही प्यार है,सुन्दर प्रस्तुति.आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता रचना जी महा शिवरात्री मगल्मय हो ... शिव की कृपा बनी रहे
जवाब देंहटाएंअब कहाँ वो सांसें
जवाब देंहटाएंखोई हुई हैं मेरी सांसे
तुम्हारी सांसों में जाने कब से .....
बहुत खूब .....!!
शीत गृह ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपको भी महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
सांसों का सांसो मे समाना और कुछ ना बचना ………एक बेहद खूबसूरत भावों की अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबढ़िया -
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया -
हर हर बम बम -
रागात्मक सम्बन्धों की सशक्त अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंकोमल भाव लिए.कोमल अहसास लिए बहुत ही सुन्दर रचना... :-)
जवाब देंहटाएंअब कहाँ वो सांसें
जवाब देंहटाएंखोई हुई हैं
मेरी सांसे
तुम्हारी सांसों में
जाने तब से।
इश्क .... ढाई अक्षर ....
बताओ तो समुंदर .....
समझो तो आकाश ....
उम्दा अभिव्यक्ति !!
शुभकामनायें !!
सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंएहसासों से लबरेज सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंगहन दर्द की अभिव्यक्ति, समझ नहीं पाते लोग :(
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द ...मन को छूती पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंवाह ! सांसों का भी शीत गृह होता है क्या..सुंदर भाव भीनी रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,,,,
जवाब देंहटाएंआपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ..
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
खुद को खो कर उस में ही खुद को पाने का अहसास ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसांसों की सशक्त और खूबसूरत अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंवाह सांसों उसासों का यह सिलसिला चलता रहे ।
जवाब देंहटाएंसंजो के रखने वाला जब खुद ही जाने की राह पे हो ... तो कैसे संजोई चीज़ों को लौटा सकता है ...
जवाब देंहटाएंसांसों की डोर तो संभालनी होती है ...
बहुत ही उम्दा और दिल को छू जाने वाली रचना है
जवाब देंहटाएंखोई हुई साँसों में भी साँसों का खो जाना अद्भुत बन पड़ा है.
जवाब देंहटाएंजब साँस किसी की अमानत बन जाए तो ऐसा ही होता है ...
जवाब देंहटाएंसादर !
kitnee najakat se kahee gayee baat..accha laga..sadar badhayee ke sath
जवाब देंहटाएंदूरी कहाँ... साँसें तो साँसों से मिल गई. सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंसुंदर लिखा , बधाई आप को
जवाब देंहटाएंkya baat hai..... bahut hi pyari rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen