सृष्टि
जब चाँद कभी झुक जाता है
और बादल को गले लगाता है
जब कोई कहीं शर्माता है
और झूम-झूम वो जाता है
तो बारिश का महीना आता है
जब कोई याद किसी को करता है
और सारा इतिहास गुजरता है
जब वक़्त कहीं पे ठहरता है
और आँखों से निर्झर बहता है
तो सावन का महीना आता है
जब नन्ही आँखों में कोई सुंदर सपने संजोता है
और कागज़ की कश्ती को ले कोठे पे दौड़ा जाता है
जब इन नन्ही आँखों को करने को कुछ न रह जाता है
तो रिमझिम का महीना आता है
जब अपनी बिटिया रानी का इक अच्छा रिश्ता आता है
और उस रिश्ते की खातिर इक गांठ लगाया जाता है
जब ख़ुशी-ख़ुशी गुडिया रानी के सपने को सजाया जाता है
और उसे प्रीतम के संग डोली में बिठाया जाता है
तो वृष्टि का महीना आता है
जब कामुकता को हद से बढ़ाया जाता है
और वो विकराल रूप ले आता है
जब अपनी ही बिटिया को बाप अपने पास बुलाता है
फिर उस पे बुरी नज़र दौड़ाता है
तो सृष्टि को पसीना आता है.
वाह! कमाल की रचना रची है रचना जी आपने ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत और अहसासों से भरपूर अपनी इस रचना में आपने आखिर में आज समाज की बुराई और कडवे सच को उजागर किया है .....
बहुत मुबारक हो आपको !
शुभकामनायें!
संबंधों को उनके बंधन में सुन्दर ढंग से व्यक्त करना ही अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंजब कामुकता को हद से बढ़ाया जाता है
जवाब देंहटाएंऔर वो विकराल रूप ले आता है
जब अपनी ही बिटिया को बाप अपने पास बुलाता है
फिर उस पे बुरी नज़र दौड़ाता है
तो सृष्टि को पसीना आता है ........
Uffffff ....
समाज के घिनौने सच को ,
बदसूरती को खूबसूरती
से सबके सामने दर्शाती
रचना, रोंगटे खड़ी करती
......
bahut pyaari rachna ........ kitne saare khyaal dil ko chhute hue
जवाब देंहटाएंसमाज की सबसे खिनौनी सच्चाई को व्यक्त करती
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील रचना...
शर्मनाक , मानवता के लिए ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
सच्चाई को व्यक्त करती
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील रचना..
RECENT POST... नवगीत,
सुन्दर सी रचना को एक सच ने कितना असुंदर कर दिया..
जवाब देंहटाएंबहुत गहन भाव
अनु
bahut sunder ...
जवाब देंहटाएंरिमझिम बूँदों की फुहार...से ओले पड़ने तक का सफ़र करवा दिया... आपकी रचना ने...!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
जब शर्मसार करने वाले ऐसे कुकृत्य होंगे तो "स्रष्टि को पसीना" आना लाजमी है
जवाब देंहटाएंजब कामुकता को हद से बढ़ाया जाता है
जवाब देंहटाएंऔर वो विकराल रूप ले आता है
जब अपनी ही बिटिया को बाप अपने पास बुलाता है
फिर उस पे बुरी नज़र दौड़ाता है
तो सृष्टि को पसीना आता है ..
बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ओह! बहुत कुछ कहती हुई रचना..
जवाब देंहटाएंसृष्टि को पसीना आता है ...पसीना नहीं उस समय प्रलय आणि चाहिए ..... सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कही है.
जवाब देंहटाएंप्राकृति के माध्यम से गहरी बात कह दी ... ओर समाज को आइना भी दिखा दिया ...
जवाब देंहटाएंप्रभावी लेखन ...
गहन भाव लिये ... बेहद सशक्त रचना मन को छूती हुई
जवाब देंहटाएंआभार
चाँद पर काला धब्बा जैसा सच...सशक्त रचना|
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