बसंत
उस पर केसरिया पगड़ी
माथे पे सूरज की टिकुली लगाई है.
हवा के घोड़े पे सवार
आकाश की बारात
धरती को ब्याहने आई है.
पल्लवों की परछाई ने
धरती की हथेली पे
धूप छाँव की मेहंदी रचाई है.
पेड़ों पौधों के नीचे
सूखे पत्तों के गलीचे
टहनियों पे तरुनाई है.
चिड़ियों का चहकना
हवा का महकना
सर्दी गर्मी की छुपन छुपाई है.
फूलों का लहंगा
पत्तों की चादर
कैसी रंगत निखर आई है.
दूर क्षितिज पर मिले
वो दोनों जब
धरती अपने में
सिमटी औ सकुचाई है.
आकाश ने बढ़ कर
थामा है धरती को
मांग किरणों से सजाई है.
देखती हूँ इत उत
बढती है खुमारी
यूँ लगता है वसंत ऋतु आई है.
basant panchami ki dheron shubhkaamnayen,
जवाब देंहटाएंsundar aur behtreen rachna,
बसंत का सुंदर चित्रण ...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत सुन्दर वर्णन! पढ़कर मन प्रसन्न हो गया ! :-)
जवाब देंहटाएं'आपको सपरिवार बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !' :-)
~सादर!!!
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएँ
बहुत सुंदर और विस्तृत वर्णन बसंत का ... खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएं....बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंकोयल की मीठी कूक सी रचना
जवाब देंहटाएंवाह ...
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया |
सादर नमन
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.सादर नमन ।।
जवाब देंहटाएंबसंत का सुन्दर वर्णन।
जवाब देंहटाएंबसंत आते ही गाँव की याद आती है।
बसंत का मनोहारी वर्णन..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनोहारी वर्णन बसंत का ....
जवाब देंहटाएंचित्रकारी शब्दों की ....
बहुत बधाई एवं शुभकामनायें रचना जी ...
बसंत आगमन का उत्कृष्ट चित्रण ......
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता है :)
जवाब देंहटाएंइस खूबसूरत बासंती कविता के लिए हार्दिक बधाई ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव अभिवयक्ति .
जवाब देंहटाएंपढ़ कर लगा कि वसंतोत्सव मना रहे हों ..
जवाब देंहटाएंबधाई !