मन के अनाथालय में
विचारों की गुत्थम गुत्था.
विडंबनाओ के शिक्षक,
जिज्ञासु द्वारपाल,
दुराग्रही कमल,
बालिग, नाबालिग कीचड़.
दुराचारी आत्मा,
जलतरंग सांसें.
सीली ह्रदय गति,
विश्वास - संशय के बीच
एक धूमिल रेखा.
कही अनकही
बतकही
बातों में प्रतिस्पर्धा.
एक पूर्वाभास
एक शून्य
एक नज़र
दिशाहीन गंतव्य
संचालिका
एक बालिका.
जीवन के सही रूप को दर्शाती
जवाब देंहटाएंबहुत कहीं गहरे तक उतरती ------बधाई रचना दी
मन के अंतर्द्वद्व को बेहतर शब्द मिले हैं ...!
जवाब देंहटाएंमन के भावो को दर्शाती बेहतरीन प्रस्तुती।
जवाब देंहटाएंजब नाथ की याद नहीं रहती है तो मन अनाथालय हो जाता है।
जवाब देंहटाएंगहरी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंगहरे अहसासों से सजी सुन्दर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST शहीदों की याद में,
बालिग , नाबालिग कीचड --
जवाब देंहटाएंशब्दों का एक दम नया प्रयोग !
मनोभावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति।
गहन रचना...
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंअंतर्द्वंद के अहसासों की बहुत गहन अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमन यदि अनाथालय बन जायेगा तो ऐसा ही होगा..आभार!
जवाब देंहटाएंअंतर्द्वंद को शब्दों में उतार दिया अओने ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसच और सही
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub
जवाब देंहटाएंसामयिक स्थिति का बढ़िया चित्रण
जवाब देंहटाएंनवीनतम बिंबों से सजी सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंजीवन के सही रूप को दर्शाती...बढ़िया रचना!
जवाब देंहटाएंमन के अनाथालय में..
जवाब देंहटाएं:(
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जवाब देंहटाएंऊहापोह, घुटन भरी... उलझी-उलझी मनःस्थिति...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बहुत गहरे से खिंचकर आयी रचना।
जवाब देंहटाएंऐसी रचना विचारों से नहीं, भावों से बनती है..फिर बहुत ही सापेक्ष चित्र..खोजनेवाला खो ही जाये..बधाई
bahwmayi rachna ...
जवाब देंहटाएंbahwmayi rachna ...
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