रातें
काली सी स्याह रातें
हर तरफ कांटे ही कांटे.
पथरीली सी ये धरती
रेतीली हैं चक्रवातें.
बुझता हुआ सा दीपक
उखडी हुई हैं साँसें.
व्याकुल सा है ये तन-मन
बोझिल हुई हैं ऑंखें.
आतुर सा ये जिगर है
कोई आह़त से दिल में झांके.
पल पल मरी हूँ इतना
कोई मेरा ग़म क्यों बांटे.
दो पल की ख़ुशी आस में
अटकी हैं चंद साँसें.
काली सी स्याह रातें
हर तरफ कांटे ही कांटे.
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 23/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदर्द को समेटे बेहद भावपूर्ण रचना।।।।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....व्याकुल मन भी आशावादी बना रहता है...
जवाब देंहटाएंरात कठिन, आती डसने को..
जवाब देंहटाएंगम,व्याकुलता,और दर्द को प्रदर्शित करती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंगम के रेत आँखों में हों तो कुछ दिखाई नहीं देखता .... हाथ में टिकता नहीं, पर चिपका रहता है
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें |
शुभकामनायें आदरेया ||
उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजिंदगी में कभी कभी ऐसा एक दौर भी आता है।
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना।
पल पल मरी हूँ इतना
जवाब देंहटाएंकोई मेरा ग़म क्यों बांटे.
दो पल की ख़ुशी आस में
अटकी हैं चंद साँसें.
निशब्द हूँ !!
कई बार दर्द रातों को ही उभर के आता है ... रात के साए इस व्याकुलता को बढा देते हैं ...
जवाब देंहटाएंदर्द का अहसास कराती बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : बस्तर-बाला,,,
बहुत बढ़िया रचना....बेहतरीन :)
जवाब देंहटाएंदर्द भरी रात जल्दी गुजरे,,, और खुशियों का सवेरा आए ,,,
जवाब देंहटाएंउम्दा लेखन !
सादर !
दो पाक ख़ुशी की आस में अटकी है चंद सांसें. बहुत प्यारी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !!सटीक....
जवाब देंहटाएंइतने दर्द के बाद ही तो दवा का असर होता है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर किन्तु दर्द ही क्यों खुशियों के संग प्रेम क्यों नहीं
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से उकेरे हैं मन के भाव ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति..सच कई रातें बेहद दर्दनाक होती हैं और उनका एक-एक पल गुजार पाना बहुत मुश्किल होता है।
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंकाली स्याह रात में दर्द अक्सर उभर के आता है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना.... रचना जी!:)
जवाब देंहटाएंपल पल मरी हूँ इतना
कोई मेरा ग़म क्यों बाँटे ~ बहुत ही सुंदर और सच भी!
~सादर!!!
बहुत अच्छी रचना.... रचना जी!:)
जवाब देंहटाएंपल पल मरी हूँ इतना
कोई मेरा ग़म क्यों बाँटे ~ बहुत ही सुंदर और सच भी!
~सादर!!!
bhav bhari sunder kavita
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
दर्द को समझे कौन ...???
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
काली सी स्याह रातें हर तरफ कांटे ही कांटे....
जवाब देंहटाएंरचना जी एक दर्द भरी लय में बखूबी बाँधा है आपने शब्दों को ....!!
एक दर्द भरा मन दर्द को बखूबी समझता है ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंकांटो से खींचना ही होगा आँचल को..
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