फुर्सत
कटी हैं रातें मेरी ऐसी अक्सर
पलक से पलक न मिली.
तन्हा भटकती रही नींद सारी रात
इक नर्म बिछावन न मिली.
मन के अज्ञातवास में सब कुछ था
न मिली तो एक मैं न मिली.
रखा था बंद करके मुठ्ठियों को बहुत
किस्मत की लकीरें न मिलीं.
मुश्किलें गुजरीं हैं हम पे भी ऐसी ऐसी
कहीं आकाश कहीं धरती न मिली.
हर दम पाया है मंजिल को इतना दूर
पहुँच पाऊं ऐसी सूरत न मिली.
बढ़ाया है जब जब कदम मैंने
हवा पानी ओ मिटटी न मिली.
बन तो जाऊँ अर्जुन मैं भी
हाय पर वो मछली न मिली.
वो जो बैठा है थाम के डोर मेरी
छोड़ दे एक पल फुर्सत न मिली.
सुन्दर भाव. पूर्णता शायद कभी हासिल नहीं होती.
जवाब देंहटाएंये बैचैनी क्यूँ सुकून की राह मिले जहां आप हों और आपके सपनों का संसार हो ....
जवाब देंहटाएंमुश्किलें गुजरीं हैं हम पे भी ऐसी ऐसी
जवाब देंहटाएंकहीं आकाश कहीं धरती न मिली.
हर दम पाया है मंजिल को इतना दूर
पहुँच पाऊं ऐसी सूरत न मिली
निशब्द हूँ !!
सतत साध्य पर ध्यान लगा है।
जवाब देंहटाएंWaah, waah, waah
जवाब देंहटाएंBan to jaaun arjun, par machali na mili.....bahut sundar
जीवन में रिक्तिताएं यूँ ही कचोटती रही है - भाव-प्रवण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबन तो जाऊं अर्जुन मैं भी , हाय पर वो मछली न मिली --
जवाब देंहटाएंजाने कितनी प्रतिभाएं अवसर की तलाश में ख़त्म हो जाती हैं।
दुखती रग की सुन्दर रचना ।
Kal ki raat meri bhi aise hi kati.. na jaagi hi thi, na so hi saki...
जवाब देंहटाएंदिल ढूंढ़ता है वही फुर्सत के पल..
जवाब देंहटाएंहर दम पाया है मंजिल को इतना दूर पहुँच पाऊं ऐसी सूरत न मिली. कभी-कभी कितना मुश्किल होता है कुछ पाना..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना...
कृष्णा की डोरी जटिल, बाँध गया मन मोर ।
जवाब देंहटाएंज्यों ज्यों खोलूं गाँठ को, त्यों त्यों कसती डोर ।।
सुकून की एक घडी भी मुश्किल होती है मिलना ...
जवाब देंहटाएंचाहतों का सिलसिला बना रहता है ...
मुश्किलें गुजरीं हैं हम पे भी ऐसी ऐसी
जवाब देंहटाएंकहीं आकाश कहीं धरती न मिली.
हर दम पाया है मंजिल को इतना दूर
पहुँच पाऊं ऐसी सूरत न मिली
rachana ji lajbab prastuti ke liye sadar aabhar .
बहुत सुंदर रचना जी !
जवाब देंहटाएं'कभी ख्वाब तो कभी नींद न मिली....
हो जाऊँ बेखुद... वो सुकूँ की घड़ी न मिली...'
~सादर!!!
बढ़िया प्रासंगिक प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंप्रतिबद्ध जीवन का कसाव मुखरित है रचना में ,एक पल अपना न हुआ ,मैं ,मैं न हुआ ,बुरा न हुआ
बन तो जाऊँ अर्जुन मैं भी हाय पर वो मछली न मिली.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया उम्द्दा प्रस्तुति ....
recent post: वह सुनयना थी,
सुन्दर भाव लिए अनुपम रचना..शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंkalhee ek aisi raat kati...wah! kya gazab kee rachana hai!
जवाब देंहटाएंवह छोड़ देगा तो भी फुर्सत नहीं मिलेगी..हाँ कुछ पलों का विश्राम अवश्य मिल सकता है..बहुत गहरे भाव और सहज प्रवाह लिए सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंआदर्णीय रचना जी आपकी कविता बहुत सुन्दर है |नववर्ष मंगलमय हो |
जवाब देंहटाएंLoved it!
जवाब देंहटाएंबन तो जाऊँ अर्जुन मैं भी
जवाब देंहटाएंहाय पर वो मछली न मिली... गहरी बात
सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट मर्मस्पर्शी रचना..हरेक पंक्ति अंतस को छू जाती है..
जवाब देंहटाएंबन तो जाऊँ अर्जुन मैं भी
जवाब देंहटाएंहाय पर वो मछली न मिली.
वो जो बैठा है थाम के डोर मेरी
छोड़ दे एक पल फुर्सत न मिली.
इसी अदम्य प्यास का नाम रचना है...रचनाकारों की यह प्यास, खुदा करे कभी न बुझे..
कहिए आमीन! आमीन अमीन..
मन के अज्ञातवास में सब कुछ था
जवाब देंहटाएंन मिली तो एक मैं न मिली.
क्या बात...बहुत सुन्दर
गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजिन्दगी के इस दौड़ में सब कुछ हासिल नही होता बहुत कुछ पाने की वस आशा ही रह जाती है।बहुत ही बेहतरीन और भावपूर्ण प्रस्तुती,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंभूली-बिसरी यादें
tamaam umr guzar gayi kuch apne man ki si paane ko....aah magar kuchh bhi na mila.
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat, samvedansheel prastuti.
NAV VARSH KI HARDIK SHUBHKAAMNAYEN.
मुश्किलें गुजरीं हैं हम पे भी ऐसी ऐसी
जवाब देंहटाएंकहीं आकाश कहीं धरती न मिली.
हर दम पाया है मंजिल को इतना दूर
पहुँच पाऊं ऐसी सूरत न मिली
ak peeda ki nirantrata .....abhar ...rachana bahut khoobsoorat aur bhavpoorn lagi .
वो जो बैठा है थाम के डोर मेरी छोड़ दे एक पल फुर्सत न मिली.
जवाब देंहटाएंरब्ब ने थामी तो है ......:))
sundar bhav sundar shabd sanyojan.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंअभी तो और भी रातें सफर में आयेंगी चरागे शब मेरे महबूब ,संभाल के रख .
ज़िन्दगी ज़िंदा दिली का नाम है मुर्दा दिल क्या ख़ाक जियेंगे .
गिरतें हैं शह सवार(शाही घोड़े की सवारी करने वाले ) ही मैदाने जंग में वह तिफ़्ल(जीव आत्मा ,प्राणि ) क्या जो रेंगे के घुटनों के बल चले .
अनुपम भावों का संगम ...
जवाब देंहटाएंजिंदगी की आपाधापी में फुर्सत कहाँ ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..
बहुत सही कहा आपने ..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना ...
सादर !