बस...एक दिन
सात फेरों में, सात जन्मों के, वादे किये हैं
एक दिन में इतने जन्म बिताऊँगी कैसे?
प्यार करने को एक उम्र भी कम है,
एक दिन में एक उम्र जी पाऊँगी कैसे?
एक दिन में एक उम्र जी पाऊँगी कैसे?
पाने संवरने में जिसको बरसों लगे हैं,
एक दिन में वो प्यार दिखाउंगी कैसे?
प्यार में किसी के खोया पाया बहुत है,
एक दिन में, ये सब, जता पाऊँगी कैसे?
प्यार में इस तरह फली फूली हूँ इतना,
एक दिन में इतना सिमट पाऊँगी कैसे?
प्यार में किसी के रूठना मान जाना,
एक दिन में ये सब निबाहूँगी कैसे?
हर पल जो मेरी आँखों सांसों में बसा है,
बस..एक दिन में उसे दिखा पाऊँगी कैसे?
किसी ने कहा था, हर रोज चाहूँगा तुझको,
बस..एक दिन के प्यार में मान जाउंगी कैसे?
प्यार एक ख़ुमार है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना,
जवाब देंहटाएंप्यार का गुबार पूरे व्यक्तित्व को ढक लेता है..
जवाब देंहटाएंमान भी जाइए...सताना अच्छी बात नहीं हैः)
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति अच्छी है...
प्यार में हर दिन वेलेंटाइन डे होता है ।
जवाब देंहटाएंमनाते रहें ।
पाने संवरने में जिसको बरसों लगे हैं,
जवाब देंहटाएंएक दिन में वो प्यार दिखाउंगी कैसे?
Behad Sunder.... Gahari Baat
हर पंक्ति हर शब्द भावनाओं को बेहतर तरीके से सामने लाता है .......!
जवाब देंहटाएंप्यार में दिन- ब -दिन गुणात्मक वृद्धि , एक दिन में कैसे समेटी जाय .
जवाब देंहटाएंएक दिन में मान जाइए.. फिर बाकी के हर दिन आपके...प्यार जताइये...फिर रूठ जाइए...
जवाब देंहटाएं:-)
सुन्दर रचना..
वाह! खूबसूरत प्रस्तुति रचना जी.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण प्रश्न करती हुई.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
samay aayegaa sab badal jaayegaa
जवाब देंहटाएंsoch bhee haan mein badal jaayegaa
har prashn kaa uttar mil jaayegaa
हर पल जो मेरी आँखों सांसों में बसा है,
जवाब देंहटाएंबस..एक दिन में उसे दिखा पाऊँगी कैसे?... बहुत खूब, मुश्किल तो है
वाह..!!..रचना जी,भावपूर्ण बहुत अच्छी प्रस्तुति सुंदर खूबशूरत बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
अहा !..लाख टके की अदा पर न्योछावर तो होना ही है..
जवाब देंहटाएंकल 20/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंएक गाना था - सौ बरस की ज़िंदगी से अच्छे हैं प्यार के दो-चार दिन ! हाँ एक दिन थोड़ा कम लगता है ...
जवाब देंहटाएंलाज़व्वाब ,... सुदर पोस्ट है , rachna jee ॥ ॥
जवाब देंहटाएंबचपन,न समझने का ही दूसरा नाम है मेरे भी ब्लॉग पर आयें
उफ़ ………क्या मोहब्बत है …………बहुत ही प्यारी मनभावन रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत..... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर बधाई.
बेहद उम्दा पोस्ट
जवाब देंहटाएंpyar astittv nishchay hi vishal hai ....bahut hi sundar rachana ....badhai dixit ji .
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस पर बहुत संशय कि क्या क्या और कैसे अपनी भावनाओं को बताया जाए ...आप तो 24*7 करो जी ... बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकिसी ने कहा था, हर रोज चाहूँगा तुझको,
जवाब देंहटाएंबस..एक दिन के प्यार में मान जाउंगी कैसे?
सही बात..प्यारी सी चुहल भरी कविता ..
एक दिन तो बहुत है रचना जी, जिस पल यह सब कहने, जतलाने को ठान लें तो सारी कायनात ठहर जाती है और समय रुक जाता है!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.. आपके ट्रेड मार्क सी!!
ज़िंदगी प्यार की दो-चार घडी होती है
जवाब देंहटाएंचाहे थोडी भी हो ये उम्र बडी होती है :)
रचना जी,भावपूर्ण बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! एक दिन में वाकई मुश्किल है इतना कुछ कर पाना.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
सादर
वाह बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंपाने संवरने में जिसको बरसों लगे हैं,
जवाब देंहटाएंएक दिन में वो प्यार दिखाउंगी कैसे?
बूंद-बूंद कर सहेजा गया प्यार एक दिन सागर-सा हिलोरें लेने लगता है।
अच्छी रचना।
बहुत अच्छा लेखन है आपका.महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंतो आज आजमाने का इरादा है ! शुभकामनाएं. :-)
जवाब देंहटाएंवह एक दिन पूरे जीवन पर फैल जाता है...बहुत सुंदर अहसास !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना । इसएक दिन में जिंदगी जी जाती है ।
जवाब देंहटाएंsundar prastuti aur mere blog me aane ke liye dhanywad
जवाब देंहटाएंप्यार में किसी के रूठना मान जाना,
जवाब देंहटाएंएक दिन में ये सब निबाहूँगी कैसे? ...
बहुत खूब ... इस्ता सब कुछ एक जनम में निभाना आसान तो नहीं पर पर जीवन थोडा भी नहीं ...
किसी ने कहा था, हर रोज चाहूँगा तुझको,
जवाब देंहटाएंअब तो उम्र बीत गई .....
बताइए बात सच्च थी .....??
अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..... रचना जी .... :)
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