पल
चंद सहमे हुए से लम्हे
कुछ भीगे हुए से पल
इन लरज़ती बुलंदियों पर
रहने लगे हैं हम.
क्या होगा हशर अपना
ये जाने बिगैर भी अब
पाने को मुकम्मिल मुकाम
आग पर चलने लगे हैं हम.
कब बुलंदियों से आकर
यूँ खाक़ में मिले हम
इस मुश्किल सफ़र में भी
खुश रहने लगे हैं हम.
क्या बुलंदियां हो
या खाक़ हो जमीं की
पाने को चंद खुशियाँ
समझने लगे हैं हम.
सहमे हुए हों लम्हें
या भीगे हुए हों पल
वक़्त की दहलीज़ पर
अब पलने लगे हैं हम.
ख़ुशी का सा कुछ भी नहीं ☺
जवाब देंहटाएंअन्तिम चार लाइनें..
जवाब देंहटाएंगहन जीवन दर्शन..
Phir ek baar gazab kee rachana pesh kee hai aapne!
जवाब देंहटाएंपल पल जीवन सरकता जाता है । हर पल महत्त्वपूर्ण है ।
जवाब देंहटाएंगंभीर , सब कुछ वक़्त को समझने पर ही है ....
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से निकली अच्छी कविता .आभार.
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर लिखा है आपने रचना जी..बहुत अच्छी लगी..
जवाब देंहटाएंक्या होगा हशर अपना
जवाब देंहटाएंये जाने बिगैर भी अब
पाने को मुकम्मिल मुकाम
आग पर चलने लगे हैं हम.
ise hi apni kabiliyat manne lage hain hum
जीवन का पूरा निचोड़ है इन पंक्तियों में ... सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंक्या बुलंदियां हो या खाक़ हो
जवाब देंहटाएंजमीं की पाने को
चंद खुशियाँ समझने लगे हैं हम ..
ये छोटी छोटी खुशियाँ ही जीवन को चलायमान रखती हैं ...
दिल की गहराइयों से निकली कविता ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी
हर हाल में खुश रह कर जीवन जीने का संदेश देती सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंPoori ki poori prvishti bahut hi shandar Rachana ji kavita ki doosara charan ki panktiyan behad prabhavshali lagi....badhai ke sath hi abhar.
जवाब देंहटाएंवक़्त की दहलीज़ पर अब पलने लगे हैं हम.
जवाब देंहटाएंkalyaanam bhav:
सहमे हुए हों लम्हें
जवाब देंहटाएंया भीगे हुए हों पल
वक़्त की दहलीज़ पर
अब पलने लगे हैं हम.
....सच बीते पल भुलाये नहीं भूलते...
सुन्दर रचना..
अर्थपूर्ण...
जवाब देंहटाएं्बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसहमे हुए हों लम्हें
जवाब देंहटाएंया भीगे हुए हों पल
वक़्त की दहलीज़ पर
अब पलने लगे हैं हम.
....गहन जीवन दर्शन दर्शाती बहुत सारगर्भित रचना..
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सार्थक रचना
जवाब देंहटाएं.....अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं
रचना जी, आपकी कवितायें हमेशा चकित करती हैं... इस कविता में भी एक फलसफा है छिपा है ज़िंदगी का!! बहुत अच्छी रचना!!
जवाब देंहटाएंdil se dheere se.. magar gahrai tak ghus gaii aapki rachna./
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए सुन्दर कविता..
सहमे हुए हों लम्हें
जवाब देंहटाएंया भीगे हुए हों पल
वक़्त की दहलीज़ पर
अब पलने लगे हैं हम.
वक़्त सहमें और भीगे पलों में भी जीना सिखला देता है .....
रोकती है नज़्म......
हर हाल में जी ही लेते हैं । बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंभाव पुर्ण बहुत सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंNEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
संघर्ष और सफलता...यही तो जीवन है।
जवाब देंहटाएंगहन अर्थयुक्त प्रभावी कविता।
ज़बरदस्त भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजिंदगी का सार हैं ....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंumda likhtin hai aap...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंक्या होगा हशर अपना
जवाब देंहटाएंये जाने बिगैर भी अब
पाने को मुकम्मिल मुकाम
आग पर चलने लगे हैं हम.
sahi kaha sunder bhav
rachana
बेहतरीन दर्शन!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।
जवाब देंहटाएंन भूत न भविष्य,केवल वर्तमान महत्वपूर्ण है। जो इसमें जिएगा,वही जानेगा जीवन का राज़।
जवाब देंहटाएंकब बुलंदियों से आकर
जवाब देंहटाएंयूँ खाक़ में मिले हम
इस मुश्किल सफ़र में भी
खुश रहने लगे हैं हम.
sahi soch hai...vaqt to khak hone ka kabhi n kabhi aana hi hai...avashyambhaavi hai....koi rok nahi sakta....to kyu n fir bulandiyon ko chhu kar aur khush rah kar hi khaak me mila jaye.
sunder kriti.
सहमे हुए हों लम्हें
जवाब देंहटाएंया भीगे हुए हों पल
वक़्त की दहलीज़ पर
अब पलने लगे हैं हम
यथार्थ सेसमझौते की मजबूरी बयाँ करती रचना
वक़्त की दहलीज़ पर अब पलने लगे हैं हम.
जवाब देंहटाएंवाह.वाह.वाह....
गहन भाव संयोजन ...।
जवाब देंहटाएंआज की बुलंदियां भी हैं कैसी कैसी!!
जवाब देंहटाएंहर पल, हर मुश्किल सफ़र में खुश रहना ही सिखाते हैं ये पल. स्वागत.
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतन को दर्शाती रचना है.
जवाब देंहटाएंहर पल कीमती है.
गहन भाव संयोजन |
जवाब देंहटाएंएक शेर याद आ रहा हैं ... बुलंदियों पर पहुंचना आसान है .
जवाब देंहटाएंपर ठहरना मुश्किल है |
अच्छे अशआर मुबारक हो
बहुत अच्छी प्रस्तुति रचना जी।धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंभाव पुर्ण बहुत सुंदर प्रस्तुति .....
जवाब देंहटाएंइस रचना में ज़िन्दगी के कुछ खास पहलुओं को और उसके उतार चढाव को दर्शाया गया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति....बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)