पर उनके होने का
पहला आभास हुआ तब,
जब पहली बार
तुम्हे देखा भर था,
शाश्वत सा हो गया वो आकर्षण,
मुझे अहसास था.
मैं फिर भी आश्वस्त रही,
कि किसी न किसी दिन तो टूटेगा,
उस न्यूटन का भरम
और मैं स्वतः ही निकल जाऊंगी.
कभी तुम्हारे दायरे से बाहर.
पर हैरान हूँ मैं,
उसकी दूरदर्शिता पर
सत्यापित हो चुके हैं उसके नियम.
आज भी यथावत है
वो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
(न्यूटन के नियम : आम भाषा में
कोई वस्तु चल रही है तो चलती रहेगी, जब तक कोई रोके नहीं.
हर क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है.
किन्ही भी दो वस्तुओं के बीच सदैव एक आकर्षण बल होता है, जो गुरूत्वाकर्षण कहलाता है)
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
जवाब देंहटाएंआपकी कविता में भी बेहद आकर्षण है....."
जवाब देंहटाएंamitraghat.blogspot.com
तुम, मैं
जवाब देंहटाएंतुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
कवि जब वैज्ञानिक सत्य से होकर भावनाओं को मार्ग देता है तो ऐसी रचना का जन्म होता है
बहुत सुन्दर प्रयोग
बहुत खूबसूरत रचना जी ।
जवाब देंहटाएंआज तो न्यूटन की आत्मा भी आनंद से भाव विभोर हो जाएगी।
अति सुन्दर।
पर हैरान हूँ मैं,
जवाब देंहटाएंउसकी दूरदर्शिता पर
सत्यापित हो चुके हैं उसके नियम.
आज भी यथावत है
वो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
वाह विज्ञान सम्मत बेहतरीन रचना. बधाई.
bahut sunder rachana......adbhut soch.
जवाब देंहटाएंnewton ne bhi nahi socha hoga ki uske Law of motion ka aisa prayog hoga....Hamare Tollywood Hero Rajnikaat se to waise hi Newton Pareshaan hai...unki movies mein Action scene kamaal ke hote hai....aur aap ek scientist ko emotional sensual Niyam mein se jod rahi hai....kamaal....Bejod :-)
जवाब देंहटाएंकि किसी न किसी दिन तो टूटेगा,
जवाब देंहटाएंउस न्यूटन का भरम
और मैं स्वतः ही निकल जाऊंगी.
कभी तुम्हारे दायरे से बाहर.
बहुत अच्छा...! भौतिक विज्ञानं , न्यूटन और प्रेम. इस सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई.
"आज भी यथावत है
जवाब देंहटाएंवो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता"
के नियमों को लेकर बहुत प्रक्टिकल किये होंगे सारी दुनियां ने लेकिन ये "गुरुत्वाकर्षण" तो गजब - कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया - बेमिशाल.
आपकी कविता में भी गुरुत्त्वाकर्षण है.:):)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दों में संजोये हैं एहसास....
होप, किसी जीरो ग्रेविटी मे ना जाये :)... अच्छा प्रयोग..इन्टेलीजेन्ट कविता..
जवाब देंहटाएंitana pyara sa compliment dene ke liye dhanyvad Rachana jee .meree hindi acchee nahee hai mere shavd bus bhavo par aur anubhavon par hee
जवाब देंहटाएंthirak lete hai . sneh banae rakhe isee gujarish v shubhkamnao ke sath........
tasvir ke sath rachna bhi behad khoobsurat ,science ke niyamo avam shakti ka adbhut proyog ,ek anokhi rachna rachna ji ki ,badhai is aavishkaar ke liye .
जवाब देंहटाएंयह नियम(कविता ) भी खूब कही.
जवाब देंहटाएंमहान न्यूटन को याद करने के लिए शुक्रिया.
विज्ञान और प्यार ........विलक्षण अनुसंधान
जवाब देंहटाएंविग्यान और कविता का सुंदर सम-आयोजन है .... बहुत अच्छे भाव संजोए हैं .....
जवाब देंहटाएंaapne to pura vigyaan samjha diya... sundar prastuti...
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है, सचमुच अच्छी!
जवाब देंहटाएंकिन्तु ..
पूरी विनम्रता के साथ यह कने का मन है कि 'न्यूटन के नियम'बताने की आवश्यक्ता मेरी समझ से नहीं होनी चा चाहिए थी। मुझे लगता है कि इससे कविता या भावों की तीव्रता को कोई फ़र्क नहीं पड़ता और जो पाठक संवेदनशीलता के इस मुकाम आकर अभिव्यक्ति के साथ साधारणीकृत हो सकता है उसे व्याख्याओं की जरूरत शायद ही पड़ती हो !
नयी भाषा और विचार लिए आपकी ये रचना विलक्षण है...
जवाब देंहटाएंनीरज
रचना जी
जवाब देंहटाएंतुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
वाकई......विज्ञानं के सिद्धांतों के साथ एहसास का क्या खूब युग्म स्थापित किया है आपने.......न्यूटन अगर इसे पढ़ते तो जरूर हैरान होते
चित्र कहता है कि खिचें जा रहे हैं...बिल्कुल अप्रयत्न, अनायास,
जवाब देंहटाएंकविता कहती है ‘विज्ञान के नियम हैं..’
मन है कि इस नैसर्गिक गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होना चाहता है
चुनौती देकर न्यूटन को
दायरों से बाहर जाना चाहता है
मगर जब तक कोई न रोके , रुकती नहीं है गतिशीलता
यह क्या है कि रुके हैं फिर भी संबंध ?
वहीं के वहीं ....किसी के पास
और तभी सच होता है न्यूटन का दूसरा नियम
‘क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया’
रोकते हैं तो रुकना चाहते हैं, चाहते हैं तो चाहते हैं,
डूबते हैं तो डूबते जाते हैं
कहां चलता है कोई बहाना
तब मान जाते हैं हम भी कि
‘ किन्हीं दो वस्तुओं के बीच
एक आकर्षण बल होता है
जो गुरुत्वाकर्षण कहलाता है’
मैं कविता को ठीक समझा न रचना जी !
बचपन के पाठ्यक्रम से उठाकर लाई गई विज्ञान की यह मनोवैज्ञानिक सच्चाई... बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया और ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!
जवाब देंहटाएंपर हैरान हूँ मैं,
जवाब देंहटाएंउसकी दूरदर्शिता पर
सत्यापित हो चुके हैं उसके नियम.
आज भी यथावत है
वो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
Wah! Gazab kalpna shakti hai!
Ramnavmi ki anek shubhkamnayen!
आज भी यथावत है
जवाब देंहटाएंवो चुम्बकत्व, रोमांच
तुम, मैं
तुम्हारी बाँहों के गुरुत्व बल के घेरे
और सम्पूर्णता.
विज्ञान में संवेदना और स्पंदन भरने के लिए बधाई ...बढिया प्रस्तुति
sach atl hai ye niym aur atal hai ye prem .bahut khubsurat kavita
जवाब देंहटाएंयह विज्ञान का नियम है बाबू फेल होने वाला नहीं है ! प्रेम और विज्ञान का मणि कंचन सयोग ! रचना आप अद्भुत दुनिया में ले जाती हैं ! रचनाओं में सम्मोहन है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंVigyaan bhi romani ho sakta hai, ye post padh ke jaana!
जवाब देंहटाएंAti sadharan athva kalpna-shoonya vastuon se bhi baasanti swar nikaalna aap khoob jaanti hain rachna ji!
Dooja byah aur ab Gurutvakarshan!
Ek baar phir, aapki soch ko dandvat pranaam!
are gazab.....kyaa baat...kyaa baat....kyaa baat....lazawaab...!!!
जवाब देंहटाएंवाह...वाह...वाह....क्या बात कही आपने....
जवाब देंहटाएंएकदम अनुपम और सत्य...
प्रणय भावों की इतनी सुन्दर और कोमल अभिव्यक्ति विलक्षण है....
बहुत ही सुन्दर मनमोहक रचना....वाह !!!
गुरुत्वाकर्षण ....आज भी यथावत है.... आपकी कविता ने बहुत प्रभावित किया...शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंwww.http://deendayalsharma.blogspot.com
www.http://kavitakosh.org
वाह! बहुत ही सुन्दर रचना!राम राम जी,
जवाब देंहटाएंआज पहली बार आपको पढ़ा,पढना सफल हुआ!कोशिश रहेगी निरंतर पढ़ा जाए आपकी भावनाओं को!
कुंवर जी,
itne dino se aapki tippani padh raha tha lekin aapke blog par kyon nahi aaya.. afsoos hai iska... sunder rachna... gurutwakarshan ko bahut bhvatmak roop se samjhaya hai aapne.. is gurutwakarshan ke aage to meri chlorophyl fiki pad gai hai... vigyan me gehri ruchi bhi lagti hai...
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