दीवानगी
ढूंढा करती थी जिन्हें बाग़ औ दरिया में कभी,
जाने क्यों आज वो सारे वीराने मिले.
जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
उनको बहाने के आज सौ बहाने मिले.
इस कदर रुसवा हुआ तू मुझसे,
बस मयखाने में ही तेरे ठिकाने मिले.
पलट के देखा तो झुके हुए अल्फाज़ तेरे,
आज भी हर सफे पे पुराने मिले.
आ मिल झूम के इक बार फिर मुझसे ऐसे,
जैसे मुद्दत के बाद दो दीवाने मिले.
हद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
आ मिल झूम के इक बार फिर मुझसे ऐसे, जैसे मुद्दत के बाद दो दीवाने मिले.
जवाब देंहटाएंहद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ढूंढा करती थी जिन्हें बाग़ औ दरिया में कभी,जाने क्यों आज वो सारे वीराने मिले.
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना..............
wah kya baat hai.
जवाब देंहटाएंbahut badiya..........
"जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे, उनको बहाने के आज सौ बहाने मिले"
जवाब देंहटाएं"सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले"
वाह वाह
जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
जवाब देंहटाएंउनको बहाने के आज सौ बहाने मिले.
पलट के देखा तो झुके हुए अल्फाज़ तेरे,
आज भी हर सफे पे पुराने मिले.
हद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
वाह बहुत खूबसूरत रचना है बधाई
ढूंढा करती थी जिन्हें बाग़ औ दरिया में कभी,
जवाब देंहटाएंजाने क्यों आज वो सारे वीराने मिले.
हद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....मन को छू गयीं ये पंक्तियाँ....बधाई
पलट के देखा तो झुके हुए अल्फाज़ तेरे, आज भी हर सफे पे पुराने मिले.
जवाब देंहटाएंकितनी शिद्दत है जुस्तुजू में तिरी
आज से अब नए फसाने मिलें
बहुत शीरीं है यह दर्द भरी खोज । अच्छा शेर है
हद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
रचना जी !
इस शेर में हद ही कर दी आपने...सचमुच
लब छूट जाया करते हैं वहीं ,जहां जबीं होती है..
जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
जवाब देंहटाएंउनको बहाने के आज सौ बहाने मिले.
क्या बात है रचना जी. बहुत ही सुन्दर.
मक्ते का शेर गज़ब का है.
जवाब देंहटाएं"सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले"
जवाब देंहटाएं...अरे वाह-वाह मैम..वाह-वाह! क्या मिस्रा बुना है। बहुत संदर....जितनी खूबसूरत तस्वीर उतनी ही खूबसूरत रचना।
आ मिल झूम के इक बार फिर मुझसे ऐसे, जैसे मुद्दत के बाद दो दीवाने मिले.
जवाब देंहटाएंहद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले
उफ़्फ़!! गज़ब के शेर..वाह वाह वाह...
इस कदर रुसवा हुआ तू मुझसे,बस मयखाने में ही तेरे ठिकाने मिले,
जवाब देंहटाएंis khas line ke saath saari rachna shaandaar ,in panktiyon me vyang ki jhalak jabar hai jise padhkar hansi bhi aai ,sundar bahur
जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
उनको बहाने के आज सौ बहाने मिले.
bahut khoob kahi gayi yahan bhi .
जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
जवाब देंहटाएंउनको बहाने के आज सौ बहाने मिले.
पलट के देखा तो झुके हुए अल्फाज़ तेरे,
आज भी हर सफे पे पुराने मिले.
bhahut khoob kahi gayi ,kafi pasand aaya
वाह रचना जी , बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
ढूंढा करती थी जिन्हें बाग़ औ दरिया में कभी,
जवाब देंहटाएंजाने क्यों आज वो सारे वीराने मिले.
bahut hi khubsurat sher hai jaise aapbiti .
apka sneh pakar abhibhut hoo.
dhnywad
बढ़िया गज़ल है ।
जवाब देंहटाएंढूंढा करती थी जिन्हें बाग़ औ दरिया में कभी,जाने क्यों आज वो सारे वीराने मिले.
जवाब देंहटाएंअच्छा यह वही शिलानंदिनी है जिसे लोगों ने अहल्या कहा ,मगर जो अंकुरित हो गई थी।
आप यह विद्वेलित चित्र कहां से जोड़ती है?
अब तो,सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
और हद यह है कि यह बात कैसे भूमिगत होगीं?
यह रचना जिन्दाबाद!!!
adbhutaas....
जवाब देंहटाएंyade jab umad-ghumad kar aati hai to sab u hi mehsoos hota he...
जवाब देंहटाएंacchhi rachna.
"जम गए थे जो लफ्ज़ कभी सीने में मेरे,
जवाब देंहटाएंउनको बहाने के आज सौ बहाने मिले."
बहुत ही खूबसूरती से लिखा शेर ! बेहतरीन गज़ल ! आभार ।
"ढूँढा करती थी जिन्हें जिन्हें मंदिरों गुरुद्वारों में
जवाब देंहटाएंआज ये क्या हुआ, वे अपने ही दरवाजे मिले ! "
आपकी रचना देख दो लाइनें स्वतः लिख गयी... समर्पित हैं...
शुभकामनायें !
kuch kahoon, ruku, tharoon ya chali jaoon.... chaliye ham bhi diwane hue
जवाब देंहटाएंपलट के देखा तो झुके हुए अल्फाज़ तेरे,
जवाब देंहटाएंआज भी हर सफे पे पुराने मिले.
..kya lachak hai is sher me.
आ मिल झूम के इक बार फिर मुझसे ऐसे,
जैसे मुद्दत के बाद दो दीवाने मिले.
... Ji mausam bhi yahi kah raha hai.
हद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
सूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
... kamaal hai. Kya ise intihaa kahenge.
(Aisi rachna par mujhe ग़ज़ल दोष nazar nahi aata)
दाद दो देना ही पडेगा. वाह वाह!!
हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! इस शानदार रचना ने दिल को छू लिया! उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंहद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
जवाब देंहटाएंसूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
क्या खूबसूरत शेर है ... गहरी बात लिए ....
बहुत लाजवाब .,,,,,,
विज्ञान व् साहित्य का उत्तम मिलन
जवाब देंहटाएंहद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
जवाब देंहटाएंसूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
वाह...वाह...वाह....लाजवाब....बहुत बहुत सुन्दर....
मन आनंदित हो गया,इस सुन्दर रचना को पढ़कर...आभार..
wah....rachnaji ...utkrasht ..naveen vishay ..sahaj abhivyakti...
जवाब देंहटाएंहद हो गयी तेरी दीवानगी की अब तो,
जवाब देंहटाएंसूखे हुए लब तेरे आज भी मेरे सिरहाने मिले.
har pankti....har alfaaz...laajawab hai