रविवार, 14 अप्रैल 2013

अनबुझे प्रश्न


अनबुझे प्रश्न


तुम मुझे बहुत याद आते हो,
मेरी तनहाइओं में,
सुनसान वीरानों में,
मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों होते हैं कुछ रिश्ते,
कांच से नाज़ुक,
कुछ ढाल से मजबूत,
कुछ रौशनी में परछाई, 
कुछ कागज़ पर रोशनाई।
तुम मुझे बहुत याद आते हो,
मेरे अनबुझे से प्रश्न।
क्यों नाज़ुक रिश्ता दरज़ता है।
क्यों मजबूत रिश्ता खड़ा रहता है।
क्यों परछाई रोशनी का
नहीं छोडती साथ।
क्यों कागज़ पर लिखा 
रिश्ता नहीं होता आबाद।
तुम मुझे बहुत याद आते हो,
मेरे अनबुझे से प्रश्न।

30 टिप्‍पणियां:

  1. सच है, बहुत कुछ अन्बुझ रह जाता है ...
    बेहतरीन!
    सादर
    मधुरेश

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  2. सरे पर्श्नो के जवाब हमेशा नहीं मिलते कुछ न कुछ के नहीं मिल जवाब नहीं मिल पाते

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन-पथ प्रश्नों का उत्तर,
    एक मिल गया दूजा पथ पर।

    जवाब देंहटाएं
  4. ये अनबुझे प्रश्न ही तो शायद जीवन का मकसद होते हैं....
    एक खोज को प्रेरित करते...
    बेहतरीन रचना..
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही उम्दा
    अनबुझे प्रश्न अनिउत्तरित रह जाते हैं कभी-कभी
    सादर !!

    जवाब देंहटाएं
  6. जिसका उत्तर और भी तकलीफ देता है..

    जवाब देंहटाएं
  7. ये अनबुझे प्रश्न ही तो जीवन को गतिशील बनाते हैं..

    जवाब देंहटाएं
  8. अनसुलझे प्रश्न के उतर पाने में जिंदगी गुजर जाती है फिर भी...आशा रहती है.बेहतरीन प्रस्तुति.

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  9. सच कहो तो ये बुझा हुआ ही है सब कुछ ... अनबुझा तो मन की एक स्थिति है जो समजने नहीं देना चाहती ...
    गहरे भाव लिए है रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  10. क्यों नाज़ुक रिश्ता दरज़ता है। क्यों मजबूत रिश्ता खड़ा रहता है। क्यों परछाई रोशनी का नहीं छोडती साथ। क्यों कागज़ पर लिखा रिश्ता नहीं होता आबाद।,,,,यही अनबुझे प्रश्न है जों सुलझ नही पाते जीवन भर ,,,,
    बहुत उम्दा प्रस्तुति,आभार

    Recent Post : अमन के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  11. jivan jatil prashno me ukjha khud kabhi sawal to kabhi jawab bhatakta rahta hai, sundar

    जवाब देंहटाएं
  12. अबूझ रिश्तों को बुझाने की और सवालों के दायरे में लाने की बेहतरीन कोशिश!!

    जवाब देंहटाएं
  13. जीवन में प्रेम की अपनी एक जगह होती है
    उस जगह को तलाशती गहन अर्थ पूर्ण रचना
    भावपूर्ण
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  14. क्यू कागज़ पे लिख रिश्ता नही होता आबाद
    इन पंक्तियों पर अब क्या कहूं
    शायद रिश्ते वही होते हैं जो मन पर लिखें हो ।।
    आपको भी नवसंवत्सर कु अनेकानेक बधाई ।।।।

    जवाब देंहटाएं
  15. क्यू कागज़ पर लिखा रिश्ता नही होता आबाद
    इन पंक्तियों पर अब क्या कहूं।।
    शायद रिश्ता मन पर लिखा होता है।
    आपको भी नवसंवत्सर की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  16. क्यू कागज़ पर लिखा रिश्ता नही होता आबाद
    इन पंक्तियों पर अब क्या कहूं।।
    शायद रिश्ता मन पर लिखा होता है।
    आपको भी नवसंवत्सर की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  17. गहरी अभिव्यक्ति...दस्तक देते रहते हैं कितने ही ऐसे प्रश्न

    जवाब देंहटाएं
  18. बेहद की खूबसूरत अनुभूत अभिव्यक्ति -

    ये दुनिया तो मायावी है ,माया से भला कैसी यारी ,

    अपने तो दो ही ठिकाने हैं ,वैकुंठ दुनिया निराकारी ,

    धुंधला सा अंधियारा है ,दीपक से उजियारा होगा ,

    ये आँख भी तब का दीपक है ,ये ज्ञान जीवन दीपक होगा .

    यहाँ (लैकिक दुनिया में )हमारा तन होगा ,और वहां (पारलैकिक दुनिया ,परमधाम )हमारा मन होगा ,
    अरे! शिव की याद रहेगी तब ,आँखों में समाया होगा ,

    हम धन्य तभी बन पायेंगे ,जब ऐसा प्रिय जीवन होगा .ॐ शान्ति .

    जवाब देंहटाएं

  19. ये आँख भी तन का दीपक है ,ये ज्ञान जीवन दीपक होगा .

    जवाब देंहटाएं
  20. ज़िन्दगी में बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर ही नहीं मिलते .....

    जवाब देंहटाएं
  21. क्यूँ,कहाँ ... किसी भी बात का उत्तर सहज नहीं

    जवाब देंहटाएं
  22. इन्ही अनबुझे सवालों का नाम जिंदगी है।
    बेहतरीन प्रस्तुति।

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  23. बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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  24. बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत से प्रश्नों का कोई जवाब नहीं होता

    जवाब देंहटाएं

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