चाँद
इस करवा चौथ
मैंने भी व्रत रखा
मैंने भी व्रत रखा
निर्जला औरों की तरह.
रात सबने चाँद को पूजा
रात सबने चाँद को पूजा
और चली गयीं
अपने अपने चाँद के साथ
अपने अपने चाँद के पास.
अकेला रह गया
आस्मां का वह चाँद और
मैं...
मैंने उसे बुलाया
अपनी दोनों हथेलियों के बीच
कस कर उसे भींचा
दोहरा किया और छुपा लिया
तकिये के नीचे.
सोने की नाकाम कोशिश
पर न जाने कब
चाँद सरक गया
रह गयी तो बस
गीली हथेलियाँ और तकिया.
नहीं जानती
मेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था.
नहीं जानती
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था
चांद सदैव सुख-दुख का साथी रहा है।
गहरे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएं♥
आदरणीया रचना जी
सस्नेहाभिवादन !
भाव विह्वल कर देने वाली रचना की रचनाओं पर कोई क्या कहे …
आप भी बस , विवश कर देती हैं …
अकेला रह गया आस्मां का वह चाँद और मैं...
मैंने उसे बुलाया अपनी दोनों हथेलियों के बीच कस कर उसे भींचा
दोहरा किया और छुपा लिया तकिये के नीचे.
सोने की नाकाम कोशिश
पर न जाने कब चाँद सरक गया रह गयी तो बस गीली हथेलियाँ और तकिया.
नहीं जानती मेरी आँखों के समंदर में सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
मन भीग रहा है …
सूरज जरुर मुस्कुरा रहा था
आपका सूरज हमेशा मुस्कुराता रहे … आमीन !
बेहतरीन भाव-शिल्प की रचना के लिए बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंनिर्मोहीं सूरज! भावना को नहीं समझता।
जवाब देंहटाएंज़बरदस्त भावों से लबरेज़. वाह क्या बात है,रचना जी.
जवाब देंहटाएंचान्द रोया साथ मेरे, रात रोयी बार बार ...
जवाब देंहटाएंचाँद को पता चल जाये कि उसके चाहने वाले करोड़ों चकोर हैं , तो कभी न रोये ।
जवाब देंहटाएंलेकिन वो बेचारा तो दूर से ही देखता रहता है , बिना कोई शोर मचाये ।
चाँद को सबके बारे में पता रहता है, रात भर जगकर वह यही करता रहता है, मन नम करती हुयी कविता।
जवाब देंहटाएंगहरे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंनहीं जानती
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था ......चाँद की आँखों ने कहा - जानती तो हो , तुम मेरे गले लग सुबकती रही , मेरी चाँदनी पिघलती रही
नहीं जानती
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था………………बेहद गहन भावो का समावेश्…………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
Us raat me maine bhi socha tha k sab ne chand ko akela chhod dia magar pata nahi tha k aap sath hain uske.. subeh subeh aapka likha kuchh padhne se behtar kya hi ho sakta h :)
जवाब देंहटाएंविदाई ...बड़ी दुखदाई,,जरूर चाँद रोया होगा ..?
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण कविता !
आदरणीय रचना जी आप सच ही रचना है ..सुन्दर कृति आप की ..विरह और प्रेम की झांकी अद्भुत बन पड़ी ...ऐसा भी हुआ सच बहुत जगह ...
जवाब देंहटाएंलेकिन सूरज मुस्कुरा दिया ...सुकून मिला हमेशा नहीं तडपना चाहिए ...सब के चाँद पास हों ..
भ्रमर ५
नहीं जानती
मेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था
बहुत खुबसूरत .... दिल को छूते भाव...
जवाब देंहटाएंसुन्दर... बहुत बधाई...
Bhagwaan kare ,sooraj hamesha muskurata rahe aapke jeewan me!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है,रचना जी.
जवाब देंहटाएंभाव विभोर कर रही है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
एक अर्सा हो गया है आपको मेरे ब्लॉग पर आये.
लगता है अब वह बात नही मेरे ब्लॉग में जो
आपके मन को भाये.
मुझ से कोई गल्ती हुई हो तो क्षमा कीजियेगा.
पर मेरे ब्लॉग को न भुलाइयेगा जी.
इस कविता का अंत एक नयी कविता के आरंभ का द्योतक लग रहा है रचना जी। यदि ऐसा है, तो पोस्ट करने पर मुझे सूचित अवश्य करना।
जवाब देंहटाएंनहीं जानती मेरी आँखों के समंदर में सैलाब आया था या रात चाँद बहुत रोया था हाँ पर सूरज जरुर मुस्कुरा रहा था.
जवाब देंहटाएंबेहद खुबसूरत,,
प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंहर इच्छा कहाँ पूरी होती है ....
अकेलापन का अहसास और हँसते आसपास के लोग
यही है जीवन ..
शुभकामनायें !
अहसासों की अद्भुत अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंलिखने में आपका जबाब नही,
या चाँद बहुत रोया था..
सूरज बहुत मुस्करा रहा था..
मन को भावविहल कर देने वाली
लाजबाब सुंदर रचना....
मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
जवाब देंहटाएंसैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था.बेहतरीन.
चाँद हमेशा साथ चलता है...!
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण!
हृदयस्पर्शी कविता ......
जवाब देंहटाएंचाँद यूँ ही कविताओं का विषय नहीं बना करता ...उसने नितांत अकेलेपन में हमेशा हमारा साथ दिया है इसीलिए हमारे शब्दों में भी साथ है !
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार भावाभिव्यक्ति है आपकी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,गहन भावों से भरी...मन को छू गई|
जवाब देंहटाएंनहीं जानती
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
इस अद्भुत रचना के लिए क्या कहूँ? बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत खूबसूरत रचना,आभार.
जवाब देंहटाएंgahra ahsas....bahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएंचाँद की शीतलता और नमी दोनों ही भिंगो रही है रचना जी.
जवाब देंहटाएंचलिए उस चाँद का साथ आपने तो निभाया.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे भावों को कलमबद्ध किया है आपने,बहुत अच्छी कृति !
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
बहुत खूब... भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.. ..........बहुत ही सधे हुए शब्द
जवाब देंहटाएंचाँद और मन का गहरा रिश्ता है...इसी तरह सूर्य और आत्मा का, मन तो बना ही है रोने के लिये और आत्मा मुस्कुराने के लिये....
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंउफ़्फ़! क्या खूबसूरत अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ।
जवाब देंहटाएंनहीं जानती
जवाब देंहटाएंमेरी आँखों के समंदर में
सैलाब आया था
या रात चाँद बहुत रोया था
हाँ पर सूरज
जरुर मुस्कुरा रहा था
....भावों और शब्दों का लाजवाब संयोजन...बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति...आभार
samvedneey ehsason ki adbhut abhivyakti.
जवाब देंहटाएंhar bheegi raat ke bad ujla sooraj nikalta hi hai.
रचना जी,मेरे नए पोस्ट "वजूद" में आपका स्वागत है ...
जवाब देंहटाएंनाजुक, कोमल अहसास.एक दृश्य खिंच गया.
जवाब देंहटाएंचाँद एक माध्यं है प्रेम और सुख-दुःख बयान करने का ... शायद इसलिए करवा चौथ पर भी इसे महत्व दिया गया हो ... कमाल की रचना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
KHOOB ! BAHUT KHOOB !!
जवाब देंहटाएंरचना जी इसे करवा चौथ पर क्यों न लिखा .....?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना .....
बहुत खूब ....
नदी में इंसान जैसे डुबकियाँ लगा कर स्नान करता है वैसे ही मैं भी आपकी रचनाओं में डुबकियाँ लेता हूँ। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...चाँद और करवाचौथ को देखने का कमल नजरिया...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएं