दिले नादाँ...
जब से जाना है
कोलेस्ट्राल की घनी मोटी परतों ने
मेरे शरीर में डेरा डाला है,
धमनिओं में एक अजीब सी
सिहरन और मीठा अहसास है.
सिहरन और मीठा अहसास है.
तेरी तस्वीर,
तेरी बात,
सब उन परतों के पीछे
जो छुपा रखी है.
अब दुनिया की कोई एंजियोप्लास्टी
तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकती
मेरे मरने तक
और मेरे मरने के बाद भी.
जो छुपा रखी है.
अब दुनिया की कोई एंजियोप्लास्टी
तुम्हें मुझसे अलग नहीं कर सकती
मेरे मरने तक
और मेरे मरने के बाद भी.
तस्वीर को , यादों को , बातों को दिल से लगाये रखना
जवाब देंहटाएंमगर नहीं है अच्छा कोलेस्ट्रोल से नाता बनाये रखना ।
कुछ लेना चाहिए जी ।
शुभकामनायें ।
dr sahab ne thik kaha ... haan khyaalon ka marz achha hai
जवाब देंहटाएंइतना अधिक कमिटमेंट शायद कोलोस्त्राल को बढ़ने ही न दे ,शुक्र है फिक्रमंद ऐसे हैं , माफ़ी चाहेंगे जी , बहुत बढ़िया अहसास दे गया ...... शुभकामनायें //
जवाब देंहटाएं:):) डॉक्टर साहब की बात पर क्या कहना है ? :):)
जवाब देंहटाएंवैसे सोच गज़ब की है
बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्द संयोजन.
हृदय का भौतिक व भावनात्मक चित्रण।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंखूबसूरत संयोजन
वाह, विज्ञान का मेल संस्कार से !
जवाब देंहटाएंअपनी तरह की अनूठी कविता।
वाह क्या गज़ब का ख्याल निकाला है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंकल 31/10/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
नई सोच और सुंदर शब्दों के संयोजन साथ अच्छी प्रसुतिती....बधाई...
जवाब देंहटाएंआह
जवाब देंहटाएंअलग सोच की कविता..आधुनिक विम्ब
जवाब देंहटाएंभावों को इन विम्बों से बढ़िया जोड़ा है!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंडा दाराल साहब की बाते काबिले गौर है...:))
सादर...
Gazab kee anoothee rachana!
जवाब देंहटाएंडॉ साहब नें सही कहा है,विचारणीय.
जवाब देंहटाएंआधुनिक बिम्ब
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता
अलग सी रचना.. ..शुभकामना..
जवाब देंहटाएंक्या बात है !!!
जवाब देंहटाएंविज्ञान कविता ???
कोलेस्ट्राल घटाइये...यह क्या मजाक है।
जवाब देंहटाएं:-) Nice :-)
जवाब देंहटाएंhttp://www.poeticprakash.com/
दिल से रिश्तों की अच्छी पड़ताल की है आपने.
जवाब देंहटाएंकोलेस्ट्रॉल माने एक ऐसा फैक्टर का आ जाना जो आसानी से एक तो जाता नहीं उस पर से मीठा-मीठा दर्द देता रहता है।
जवाब देंहटाएंरचना का भावनात्मक पक्ष जैविक पक्ष पर भारी पड़ गया है।
वाह ....बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत ही अनूठे ख्याल लिए उम्दा कविता ...
जवाब देंहटाएंरचना जी,केलोस्ट्रोल से दोस्ती ठीक नहीं,वैसे आपने स्वंम ही इसे स्वीकारा है
जवाब देंहटाएंaapne to har bad me bhi kuchh good hota hai wali baat sarthak kar di.
जवाब देंहटाएंlekin itni jaldi kya hai ji ?
जैसे की सभी डॉ साहब की बात से सहमत हैं मैं भी हूँ और क्या कहूँ। :-)वैसे सोच वाक़ई गजब की है आपकी no doubt ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है... लेकिन खतरनाक भी... दिल का मामला होता ही है खतरनाक..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...मजे़दार सोच..शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंकोलेस्ट्राल की घनी मोटी परतों ने मेरे शरीर में डेरा डाला है,
जवाब देंहटाएंसिहरन और मीठा अहसास है
उन परतों के पीछे
दुनिया की कोई एंजियोप्लास्टी
तुम्हें अलग नहीं कर सकती
मुझसे
मेरे मरने तक
रचनाजी!
दिल की यही बात तो समझ नहीं आती , जो भी अंदर आया उसे दिल से लगाकर रख लिया ..फिर चाहे वह केलोस्ट्राल से आयी क्लाटिंग ही क्यों न हो!। हद तो यह है कि ‘मरीज़ेदिल’ भी उस थक्के को एंजियो प्लास्ट नहीं कराना चाहता...क्या इसे ही दिल के रिश्तेकहते हैं.
:(
जवाब देंहटाएंरिश्तों की परत को कोलिस्त्रोल नहीं उतार पायेगा ... अनोखी रचना .. नए बिम्ब ले कर ...
जवाब देंहटाएंकोलेस्ट्रोल को भी भावना में जकड़ दिया...वाह!
जवाब देंहटाएंहरेक पंक्ति बहुत मर्मस्पर्शी है। कविता अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट देखे...आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही नाता तो हमारा अपना जीवन से भी है। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंविज्ञानं और काव्य का बेहतरीन मिश्रण ....
जवाब देंहटाएंआप मेरी पोस्ट पर आई आपका सादर धन्यवाद.
अति सुंदर
जवाब देंहटाएंधमनियों पर कॉलेस्ट्रोल के स्थान पर यादों की मोटी परत चढ़ा लीजिये ...
जवाब देंहटाएंलहसुन खाएं और कॉलेस्ट्रोल घटायें !
दिल का ख़याल भी तो
जवाब देंहटाएंदिल वालों को ही रखना होगा ...
आखिर
दिल ही तो है !!
bahut badiya prayogatmak rachna..
जवाब देंहटाएंकोलेस्ट्रॉल की परतों में यादें नही रहतीं खून का दौरा रुका रुका सा हो जाता है पर कवि का क्या करें वह तो कहीं भी प्रेम ढूढ लेता है । सुंदर प्यार भरी रचना ।
जवाब देंहटाएंदुनिया की कोई एंजियोप्लास्टी
जवाब देंहटाएंतुम्हें अलग नहीं कर सकती
मुझसे
मेरे मरने तक
और मरने के बाद भी
बहुत सुन्दर पंक्तिया!
AAPNE EKDAN NAI AUR SUNDER SOCH KE SATH YE KAVITA LIKHI HAI.
जवाब देंहटाएंBADHAI
RACHANA
वाह ....बहुत खूब ।रचना
जवाब देंहटाएंकोलेस्ट्रॉल और तस्वीर, यादें , एहसास ! बहुत सुंदर । शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएं