एक प्रश्न
जब तब बहस छिड़ती है,
कहते हैं स्त्री कमज़ोर है.
पुरुष से शारीरिक रूप से.
क्या करें प्रकृति से ही
सब कुछ कम पाया है.
आकार छोटा, मांस पेशियाँ कम.
शक्ति कम, गुरुत्व केंद्र भी नीचा.
यहाँ तक कि दि....ल .....भी छोटा.
बड़ा कुछ है, तो वो है फेफड़ा,
और इस नन्हे से दिल की धडकनें.
तुम्हारे बड़े दिल से कहीं ज्यादा.
ये सब मैं नहीं कह रही हूँ,
सत्यापित हो चुका है ये.
मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
सिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???
कौन बड़ा लगता है तुमको ?
छोटे दिल वाली मैं या बड़े दिल वाले तुम.
आखिरी निर्णय भी तुम्हारा ही मान्य है मुझे .
तुम्हारी प्रतिक्रिया में प्रतीक्षारत ......
तुम्हारी मैं .
Congrats on INDIAS CRICKET WORLD CUP VICTORY
जवाब देंहटाएंकई तरह के कष्ट झेलकर भी पूरी ऊर्जा के साथ बिना टूटे,बिना रुके, बिना थके, खुद को भुलाकर , घर को घर बनाए रखने का काम स्त्री करती है । यह असीम शक्ति का एक रूप है ।
जवाब देंहटाएंबड़ा कुछ है, तो वो है फेफड़ा, और इस नन्हे से दिल की धडकनें. तुम्हारे बड़े दिल से कहीं ज्यादा. ये सब मैं नहीं कह रही हूँ, सत्यापित हो चुका है ये. मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस, सिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
जवाब देंहटाएंसार्थक सवाल करती हुई बहुत सुंदर कविता। आभार।
जब तब बहस छिड़ती है,
जवाब देंहटाएंकहते हैं स्त्री कमज़ोर है.
पुरुष से शारीरिक रूप से.
क्या करें प्रकृति से ही
सब कुछ कम पाया है. ....
यथार्थपरक रचनाके लिए आपको हार्दिक बधाई।
मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
जवाब देंहटाएंसिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???
यथार्थ को आपने पूरी संवेदना से अभिव्यक्त किया है ..एक स्त्री को समाज आज भी कमजोर समझता है और उसकी संवेदनाओं के साथ हमेशा खिलवाड़ किया जाता रहा है आज तक ..आपका आभार
bahut achcha likhi hain.
जवाब देंहटाएंमेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
जवाब देंहटाएंऔर तुम्हारी धड़कन में .....???
बस इसी प्रश्न का उत्तर देना मुश्किल होता है मर्दों के लिए ।
विश्व कप में भारत की जीत पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ ।
ट्रूली , वी आर द चैम्प्स ।
जब तब बहस छिड़ती है,
जवाब देंहटाएंकहते हैं स्त्री कमज़ोर है.
पुरुष से शारीरिक रूप से.
per sahanshilta stree ki jabardast hai
wah kya prashn hai..........shartiya aap bhee rom rom me basee hangee............ aapka vyktitv hee aisa hai jee.........
जवाब देंहटाएं:)
मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
जवाब देंहटाएंसिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???
भले ही विज्ञान ने यह सिद्ध किया हो कि स्त्रियों को हर चीज़ कम मिली है पर सत्य यही है कि हर नारी उन कमियों के बाद भी देती ज्यादा ही है :):)
अब इस बात का भी सत्यापन कर दिया है कि स्त्री का दिल छोटा होता है तभी तो पुरुष बड़ा दिल रख कर " वो " के लिए जगह बना लेता है ..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सार्थक सवाल करती हुई बहुत सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंसबकी धड़कन और इच्छाशक्ति एक ही है।
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti
जवाब देंहटाएं"मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
जवाब देंहटाएंसिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???"-----
----बस यही तो नारी की सबसे बडी शक्ति है.....
जब तब बहस छिड़ती है,
जवाब देंहटाएंकहते हैं स्त्री कमज़ोर है.
पुरुष से शारीरिक रूप से.
क्या करें प्रकृति से ही
सब कुछ कम पाया है. ....
..bahut badiya... lekin naari ko kam aankna us vidhata ko kosna hoga jisne sabko banaya hai..
naari jaisa sahas aur dhairya bhala kismen hai...
saarthak prastuti.
वैज्ञानिक तथ्यों पर आपकी कविता तथ्य से कहीं अधिक कहती है... मुझे तो लगता है नारी हर मामले में पुरुषों से अधिक होती है... यह असीम शक्ति का एक रूप है ...बहुत सुंदर कविता........
जवाब देंहटाएंsunder kavita
जवाब देंहटाएंkvita-kaarn
सोच बहुत बड़ी चीज़ है
जवाब देंहटाएंshakti dekha jaye to purush ke apeksha nari ko jyada mili....aur baat yaha jab shaaririk shakti ki hai to yahi kahungi ki vo aur bhi jyada aur prashansneey ho jayegi agar purush use laabhkari srijan ke liye prayog kare...lekin....afsos...aisa nahi hota....vo bhatak kar kayi baar is shakti ka upyog karta hai tehes-nehas karne wale srijan me....nari ko dabane me...
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna komal bhaavo ko darshati.
बहुत सुन्दर कविता हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंजब तब बहस छिड़ती है,
जवाब देंहटाएंकहते हैं स्त्री कमज़ोर है.
पुरुष से शारीरिक रूप से.
क्या करें प्रकृति से ही
सब कुछ कम पाया है
बहुत बढ़िया पंक्तियाँ रची हैं...
यह पत्र दिल को छू गया...बड़ा वही जिसके दिल में प्यार हो बाकी उसके सामने धूल भी नहीं ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
जवाब देंहटाएंसिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???
बेहतरीन शब्द रचना ।
कौन बड़ा लगता है तुमको ?
जवाब देंहटाएंछोटे दिल वाली मैं या बड़े दिल वाले तुम.
आखिरी निर्णय भी तुम्हारा ही मान्य है मुझे .
तुम्हारी प्रतिक्रिया में प्रतीक्षारत ......
तुम्हारी मैं .
Nari ko hi prakriti ka doosara roop kaha gaya hai.uski bahy komalata uske aantarik komalata ka darpan hai.nau dinon tak maan(Nari) ki hi pooja hoti,na ki purush ki.yah prashn nahi ,hamari soch par aik prashn chnh hai.bahut dunder avam dil ko chhu lenewali rachana ke liye badhai.
सब कुछ कम मिलने के बाद भी नारी कमजोर कहाँ है..जो स्त्री पूरे परिवार की इच्छाओं का बोझ अपने कन्धों पर उठाती है वह कमज़ोर कहाँ हो सकती है..बहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना..नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंमेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
जवाब देंहटाएंसिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में .....???
बहुत ही सार्थक रचना ... कुछ सार्थक सवाल उठाती हुई ... अलग तरह के बिंबों का प्रयोग किया है ...
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 04 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
सार्थक अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंसार्थक और सुंदर जवाब .......!!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना .
आकार छोटा, मांस पेशियाँ कम.
जवाब देंहटाएंशक्ति कम, गुरुत्व केंद्र भी नीचा.
यहाँ तक कि दि....ल .....भी छोटा.
बड़ा कुछ है, तो वो है फेफड़ा,
aap to kavita ke doctor ho gaye
:)
bahut khub!
बड़े फेंफदों के मध्य छोटे से दिल में आवारा बहकती साँसों के उद्दीपन से विचलित हुए बिना बहुत ही अच्छी कविता प्रस्तुत की है आपने रचना जी| बधाई|
जवाब देंहटाएंhttp://samasyapoorti.blogspot.com
शारीरिक रूप से स्त्री भले ही पुरुष से कमज़ोर हो लेकिन चारित्रिक एवं मानसिक क्षमताओं में वह पुरुष से कितनी मजबूत है यह सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है ! एक सार्थक प्रश्न जिसका प्रतुत्तर भी उसीमें निरुद्ध है ! सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंDa beauty of dis poem lies in the logic of the questions which u asked thru dis poem.. i loved it :)
जवाब देंहटाएंअदभुत, बहुत खूबसूरत रचना! अंतिम पंक्तियाँ कटु सत्य को उजागर करती हैं!
जवाब देंहटाएंreally u r big i accept without any hesitation
जवाब देंहटाएंrachna ji
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi vishay -vastu ko aapne badi hi sahjta ke saath uthaya hai.
waqai aaj bhi istri ko kuchh log kamjor hi mante hain vo bhul jaate hi ki istri si samvedansheelta sahansheelta avam urja ko koi dusra vikalp nahi hai.
yah ab puri tarah se jabki hamare purushh pradhan samaj dwara bhi many ho vhuka hai .
aapki beech ki do panktiyan man ko bahut hi bhain
is nanhe se dil ki dhadkane tumahare bade dil se kahin bahut hi jyada badi hain.
bahit hi uamdapost
bahut bahut badhai
poonam
rachna ji
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi vishay -vastu ko aapne badi hi sahjta ke saath uthaya hai.
waqai aaj bhi istri ko kuchh log kamjor hi mante hain vo bhul jaate hi ki istri si samvedansheelta sahansheelta avam urja ko koi dusra vikalp nahi hai.
yah ab puri tarah se jabki hamare purushh pradhan samaj dwara bhi many ho vhuka hai .
aapki beech ki do panktiyan man ko bahut hi bhain
is nanhe se dil ki dhadkane tumahare bade dil se kahin bahut hi jyada badi hain.
bahit hi uamdapost
bahut bahut badhai
poonam
कौन बड़ा लगता है तुमको ? छोटे दिल वाली मैं या बड़े दिल वाले तुम. आखिरी निर्णय भी तुम्हारा ही मान्य है मुझे . तुम्हारी प्रतिक्रिया में प्रतीक्षारत ...... तुम्हारी मैं .
जवाब देंहटाएंwaal kamaal ki rachna ,behad khushi milti yahan .....
sangeeta ji meri dil ki baat kah gayi ,navraatri ke karan net nahi khol paa rahi is karan aa nahi saki .
नारीत्व सम्पूर्णता का दूसरा नाम है . और क्या लिखूं?
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक रचनाके लिए आपको हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता तो अच्छे-अच्छों को कटघरे में कड़ी कर सकती है. नारी सशक्त है.
जवाब देंहटाएंsuper like.....
जवाब देंहटाएंsach me bada achha likha h.
विज्ञान साइज बता सकता है भावना नहीं बता सकता ।रहा सवाल साइज का ,महिलायें तो त्याग की मूर्ति होती ही है प्रकृति से ही कह दिया होगा ‘‘ज्यादा की नहीं लालच हमको थोडे में गुजारा होता हेै’’ इन्हे ही सब देदो इनकी खुशी मे ही हमारी खुशी है और प्रकृति या ईश्वर या ब्रहमा जी ने या जिसने भी शरीर बनाया महिला की बात मानी और रचदिया माटी का पुतला।
जवाब देंहटाएंयथार्थ परक रचना , हार्दिक बधाई.......
जवाब देंहटाएंआदरणीय रचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
मेरे फेफड़ों में आवारा फिरती इक इक साँस,
सिर्फ तुम्हारे लिये ही जीती है.
मेरी हर धड़कन में बस तुम ही हो
और तुम्हारी धड़कन में !
..........बेहतरीन शब्द रचना ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएं