रविवार, 22 जुलाई 2012

चोर हूँ मैं


चोर हूँ मैं


पिछले कुछ सालों से बीमार हूँ
एक अजीब सी लत लगी है मुझे
चोरी की
जब भी कहीं भी किसी को देखती हूँ
मेरी बीमारी उकसाती है मुझे
मन पक्का करती हूँ
फिर भी मजबूर हो जाती हूँ
चुराने को
और फिर....
चुरा लेती हूँ..
अपनी ऑंखें सबसे
पिछले कुछ समय से जुटा पाई हूँ
कुछ साहस
मिलती हूँ सबसे
मिलाती हूँ ऑंखें
करती हूँ बातें
फिर भी जाने का नाम नहीं लेती
चोरी की ये आदत
हर रोज कहीं भी कैसे भी
कुछ भी कर के
चुराती हूँ, छुपाती हूँ,
चाती हूँ सबसे
सिर्फ अपने लिए
नहीं बनाती किसी को भी
अपना सहभागी यहाँ
नहीं बाँटती चोरी का ये माल
किसी के भी साथ
बैठती हूँ अपने साथ,
खाती हूँ अपने साथ,
समय बिताती हूँ अपने साथ
हाँ मैं एक चोर हूँ
चुराती हूँ हर रोज
थोड़ा थोड़ा समय
अपने अपने और
सिर्फ अपने लिए.

34 टिप्‍पणियां:

  1. रचना अच्छी है...पर मन आहत हो गया !!

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  2. अच्छा करती हैं आप , अपने लिए समय देना बेहद आवश्यक है !

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  3. अपने लिए तो समय निकलना ही चाहिए .
    लेकिन अपने में सिमट कर नहीं रह जाना चाहिए .

    दिल के सच्चे उद्गार .

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  4. मुखर व प्रखर अभिव्यक्ति ......काव्य की मर्म के साथ भवनिष्ठता प्रशंसनीय है ....

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  5. काश ऐसा चोर हर कोई बन सके .... अपने लिए थोड़ा वक़्त चुरा सके और कर सके आत्ममंथन ... अच्छी प्रस्तुति

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  6. बहुत गहरी बात कह दी आपने ..
    प्रभावपूर्ण रचना !

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  7. अपने लिए समय निकालना बहुत जरुरी होता है .... प्रखर अभिव्यक्ति !

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  8. अपने आप को भी समय देना जरुरी है..
    बहुत अच्छी वस्तू चुराती है आप..
    गहरे भाव लिए बेहतरीन रचना...
    :-)

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  9. अपने लिए भी समय निकालना बहुत जरुरी है..अच्छी प्रस्तुति..

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  10. रोचक अंदाज़ से कही मन की बात ...थोड़ा समय अपने लिये चुराना नितांत आवश्यक है ...

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  11. ये एक ऐसी चोरी है जो जरूर करनी चाहिए ... अपने लिए समय जरूर निकालना चाहिए किसी भी हालात में ....

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  12. जीवन में अपने लिए वक़्त चुराना जरूरी है , जो ऐसा नहीं कर पाते हें वे अपने जीवन में बहुत कुछ खो देते हें. जिसकी भरपाई फिर कभी नहीं हो सकती है.
    --

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  13. Aap bahut achha kartee hain....kaash! Samay rahte aisee choree maine bhee kee hoti!

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  14. सच है ...समय तो यूँ चुराना ही पड़ता है अपने लिए .....

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  15. नमस्कार !
    आपकी चोरी अच्छी लगी :)
    आत्ममंथन के लिए जरुरी है ये चोरी ...
    सादर !

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  16. बहुत अच्छा करती हैं....
    जहाँ हक़ न मिले वहाँ लूट सही...............

    अनु

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  17. कुछ करने के लिए समय निकालना ही पडता है,,,

    बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,

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  18. अपने लिये वक्त चुराना पडता है अगर वैसे ना मिले । अलग सी कविता, पसंद आई ।

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  19. समय चुराती है
    फिर सबको बताती है
    सब चोर रहे हैं
    समझ नहीं पाती है
    कोई समय चोर रहा है
    कोई बेसमय चोर रहा है !!

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  20. बड़ा भला यह चोर है, बाकी सभी छिछोर ।

    धन दौलत हीरे रतन, लालच रहे अगोर ।

    लालच रहे अगोर, चोर यह चोरा चोरी ।

    चोर-गली से जाय, चुराए समय कटोरी ।

    चम्मच से चुपचाप, अकेले पान करे है ।

    यह चोरित अनमोल, चीज को पास धरे है ।।

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  21. ज़ायज़ है यह चोरी ... बेहद सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ।

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  22. ~एक अलग सा ख़याल...~ अच्छा लगा !:)
    "जब भी करना चाहूं मैं चोरी....खुद कहीं खो सी जाती हूँ..,
    ढूँढने निकलती हूँ खुद को...मगर रस्ता ही भूल जाती हूँ..." :((

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  23. वाह .........बहुत ही गहरी बात कही आपने

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  24. यह चोरी तो डंके की चोट पर है! मतलब चोरी सही है।

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  25. इस तरह की चोरी बहुत ज़रूरी है।

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  26. ये चोरी तो सब को ही करनी चाहिये। अकसर लोग बडी बडी चोरियाँ करते हुये खुद को ही भूल जाते हैं। बहुत खूब बात कही।

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  27. अपने आप को भी समय देना जरुरी है.

    गहरे भाव लिए बेहतरीन रचना.

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  28. निराले अंदाज में निराली रचना..

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  29. बेहद प्यारी लगी ये आपकी चोरी की आदत

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  30. ek bar is aadat ko chhod k to dekhiye aur khud ki chadar se bahar nikal jara apne apno se miliye....fir dekhiye ye duniya aur bhi acchhi lagne lagegi aur chori karna to waise bhi buri baat hai. waqt rahte sambhal jaiye.....varna.....(log apko apna nahi kahenge) ha.ha.ha.

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  31. बहुत ही सुंदर समीक्षा ...
    हार्दिक बधाई !!

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